“Revenue कोर्ट के फैसलों पर हाई कोर्ट ने उठाए सवाल; एसडीएम से कमिश्नर तक को कानून पढ़ाने के लिए न्यायिक अकादमी बनेगी”



राजस्थान में न्यायिक सुधार: एसडीएम से डिविजनल कमिश्नर तक के लिए नई ट्रेनिंग अकादमी राजस्थान में राजस्व कोर्ट के फैसलों पर उच्च न्यायालय द्वारा उठाए गए सवालों के बाद, सरकार…

“Revenue कोर्ट के फैसलों पर हाई कोर्ट ने उठाए सवाल; एसडीएम से कमिश्नर तक को कानून पढ़ाने के लिए न्यायिक अकादमी बनेगी”

राजस्थान में न्यायिक सुधार: एसडीएम से डिविजनल कमिश्नर तक के लिए नई ट्रेनिंग अकादमी

राजस्थान में राजस्व कोर्ट के फैसलों पर उच्च न्यायालय द्वारा उठाए गए सवालों के बाद, सरकार ने एक नई पहल शुरू की है। अब एसडीएम से लेकर डिविजनल कमिश्नर तक को नए सिरे से कानून की जानकारी देने के लिए राजस्थान न्यायिक अकादमी की स्थापना की जाएगी। इस अकादमी का प्रस्ताव मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पारित हो चुका है, और इसे एसीएस (ट्रेनिंग) के पास भेजा जाएगा। यह कदम न्यायिक प्रणाली में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

इस प्रस्ताव का एक प्रमुख पहलू यह है कि सभी अधिकारियों को ट्रेनिंग के बाद परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। जो अधिकारी परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होंगे, उनके एसीआर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, और इससे उनके प्रमोशन पर भी असर होगा। इसके अलावा, पीठासीन और अपील न्यायालय के अधिकारियों को एक महीने के भीतर ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेनिंग पूरी करनी होगी। यह कदम न्यायिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली को सुधारने में सहायक होगा।

हाईकोर्ट की टिप्पणियों के बाद उठे कदम

हाईकोर्ट ने 27 मई 2025 को मुकदमा CWP 840/2025 और 8 जुलाई 2025 को CWP 627/2021 की सुनवाई के दौरान अधीनस्थ राजस्व अदालतों के पीठासीन अधिकारियों के निर्णयों पर गंभीर टिप्पणी की थी। इसके बाद, सरकार को इन अधिकारियों को न्यायिक प्रशिक्षण देने का आदेश दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप, राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव ज्यूडिशियल एकेडमी की स्थापना की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस संबंध में उच्च न्यायालय में सरकार द्वारा हलफनामा भी दाखिल किया जा चुका है।

मुख्य सचिव की कमेटी के अनुसार, राजस्व और अपीलीय राजस्व न्यायालयों की कार्यप्रणाली में सुधार की अत्यंत आवश्यकता है। इसे कछुए की गति से चलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसलिए, राजस्व अदालतों को पूरी तरह से डिजिटल करना आवश्यक है। निर्णयों को ऑनलाइन अपलोड किया जाना चाहिए, और डेटा ग्रिड या वर्चुअल जस्टिस क्लॉक की स्थापना की जानी चाहिए। इसके साथ ही, संभागीय मुख्यालय स्तर पर उनकी कार्यप्रणाली पर प्रभावी निगरानी प्रणाली की आवश्यकता है।

राजस्व मामलों का कम्प्यूटरीकरण

सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि राजस्व मामलों में कम्प्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली, जिसे आरसीएमएस के रूप में जाना जाएगा, का ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाएगा। राज्य की सभी राजस्व कोर्ट से जारी नोटिस और समन को तेजी से पक्षकारों तक पहुंचाने के लिए उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय की तरह ही एक नोटिस तामीली एप विकसित किया जाएगा। इसके अलावा, सरकार ने तहसीलों में खाली तामील कुंडा पदों को भरने का निर्णय लिया है। नियमित कर्मियों की भर्ती होने तक, तहसीलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 50% पदों को अनुबंध पर भरने का प्रस्ताव भी रखा जाएगा।

राजस्व कोर्ट में लंबित मामले

राजस्थान के राजस्व कोर्ट में **6.64 लाख** मामले लंबित हैं, जिनमें से सबसे अधिक एसडीओ कोर्ट में **4.23 लाख** मामले हैं। यह स्थिति न्यायिक प्रणाली के समक्ष एक बड़ी चुनौती पेश करती है। जनवरी में, राजस्व मंडल सहायक कलेक्टरों और अनुविभागीय अधिकारियों के समक्ष लंबित मामलों के आधार पर सहायक कलेक्टरों की नियुक्ति का स्थान तय करेगा।

इस प्रकार, राजस्थान में न्यायिक सुधार की दिशा में उठाए गए ये कदम न केवल न्यायिक प्रक्रिया को सुधारने में मदद करेंगे, बल्कि न्यायालयों के कार्यभार को भी कम करेंगे। यह राज्य के नागरिकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है कि न्यायालयों में मामलों का निपटारा तेजी से किया जा सकेगा।

राजस्थान की अन्य समाचारों के लिए यहां क्लिक करें

लेखक –