Energy: राजस्थान में ऊर्जा-शुद्धिकरण के नाम पर तस्करी, 20 लाख का माल जब्त



राजस्थान में वन्यजीव तस्करी का बड़ा खुलासा राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक युवक की गिरफ्तारी ने वन्यजीव तस्करी के एक संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। साहिल गोड़ उर्फ…

Energy: राजस्थान में ऊर्जा-शुद्धिकरण के नाम पर तस्करी, 20 लाख का माल जब्त

राजस्थान में वन्यजीव तस्करी का बड़ा खुलासा

राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक युवक की गिरफ्तारी ने वन्यजीव तस्करी के एक संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। साहिल गोड़ उर्फ साहिल शर्मा नामक यह युवक सोशल मीडिया पर ‘ऊर्जा शुद्धिकरण गुरु’ के नाम से प्रसिद्ध था, लेकिन असल में वह वन्यजीवों के अवैध कारोबार में लिप्त था। उसकी गिरफ्तारी से यह साफ होता है कि कैसे कुछ लोग धार्मिक मान्यताओं का सहारा लेकर अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।

गिरफ्तारी के दौरान साहिल के पास से कई दुर्लभ और प्रतिबंधित वस्तुएं जैसे कि हाथा जोड़ी, उल्लू के नाखून, जंगली सुअर के दांत, इंद्रजाल और मस्कपोड बरामद की गई हैं। इनकी कुल कीमत 20 लाख रुपये से अधिक आंकी गई है। यह कार्रवाई वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) और झुंझुनूं वन विभाग द्वारा की गई थी।

ऑपरेशन “फेक गुरु” की सफलता

दिल्ली WCCB और झुंझुनूं वन विभाग की टीमें पिछले छह महीनों से साहिल के सोशल मीडिया अकाउंट की निगरानी कर रही थीं। उसने “वास्तु दोष निवारण” के नाम पर अपने फॉलोअर्स को आकर्षित किया था। उसके इंस्टाग्राम अकाउंट पर हजारों फॉलोवर्स थे, लेकिन उसकी संदिग्ध गतिविधियों ने जांच एजेंसियों को सतर्क कर दिया।

टीम ने साहिल से संपर्क करने के लिए एक फर्जी ग्राहक बनाया। जब साहिल ने झुंझुनूं रेलवे स्टेशन पर डिलीवरी देने का समय तय किया, तब उसे रंगे हाथों पकड़ा गया। यह पूरी प्रक्रिया महीनों की सावधानीपूर्वक योजना का परिणाम थी।

धोखाधड़ी और तंत्र-मंत्र का खेल

साहिल ने अपने वीडियो में दावा किया कि हाथा जोड़ी से व्यापार में लाभ होता है, उल्लू के नाखून से बुरी नजर दूर होती है और मस्कपोड से धन की प्राप्ति होती है। इस प्रकार की जानकारी को देखकर लोग उसकी ओर आकर्षित होते थे और ऑनलाइन ऑर्डर करने लगते थे। साहिल ने एक ‘तंत्र पैकेज’ के नाम पर 50 हजार से लेकर 3 लाख रुपये तक की राशि वसूल की।

यह सारा कारोबार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अवैध था। असल में, ग्राहक वास्तु सामग्री खरीदने के नाम पर वन्यजीवों के उत्पाद खरीद रहे थे।

सोशल मीडिया पर अवैध कारोबार का नया अड्डा

जांच में यह भी सामने आया कि साहिल का नेटवर्क केवल राजस्थान तक सीमित नहीं था। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लोग भी उससे संपर्क करते थे। अधिकतर ग्राहक उच्चवर्गीय परिवारों से थे, जो ‘वास्तु समाधान’ के नाम पर भारी रकम खर्च करते थे।

इस प्रकार के ऑनलाइन अपराधों की बढ़ती प्रवृत्ति ने यह साबित किया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म अब तस्करी का नया माध्यम बन चुके हैं। साहिल के इंस्टाग्राम पर एक लाख से ज्यादा फॉलोवर्स थे, जिसमें कई बड़े कारोबारी और हाई-प्रोफाइल परिवारों के लोग शामिल थे।

देशभर में फैला तस्करी का नेटवर्क

पूछताछ में यह पता चला कि साहिल पिछले दो वर्षों से इस धंधे में सक्रिय था और वह मुंबई के कुख्यात वन्यजीव तस्कर राजू भोसले के संपर्क में था। भोसले पर कई राज्यों में वन्यजीव तस्करी के मामले दर्ज हैं। दोनों ने मिलकर ऑनलाइन क्लाइंट बेस तैयार किया था।

साहिल के मोबाइल से मिले डेटा में सैकड़ों ऑनलाइन पेमेंट के रिकॉर्ड और कई विदेशी नंबरों से बातचीत के सबूत मिले हैं। यह सबूत यह दर्शाते हैं कि उसका नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय हो सकता है।

अवैध सामग्री की बरामदगी और आगे की कार्रवाई

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि साहिल के घर और गोदाम की तलाशी के दौरान कई प्रतिबंधित वस्तुएं बरामद की गईं। यह सामग्री वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची I और II के अंतर्गत आती है, जिनकी खरीद-फरोख्त या रखना भी अपराध है।

अधिकारी अब यह जांच कर रहे हैं कि क्या साहिल का नेटवर्क भारत से बाहर भी सक्रिय था। इसके लिए डिजिटल सबूतों का विश्लेषण किया जा रहा है।

गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी

साहिल के साथ दो और सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है, जो पार्सल तैयार करने और पेमेंट रिसीव करने का काम कर रहे थे। उनके पास से भी फर्जी इनवॉइस और कुरियर बिल मिले हैं, जो पूरे नेटवर्क के विस्तार को दर्शाते हैं।

वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने इस कार्रवाई को एक बड़ी सफलता माना है और इसे “मॉडल ऑपरेशन” का नाम दिया है। जांच अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार की कार्रवाई से तस्करी का यह नेटवर्क तेजी से खत्म किया जा सकता है।

समाज में जागरूकता की आवश्यकता

इस घटना ने यह स्पष्ट किया है कि समाज में वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता है। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि अवैध वन्यजीव उत्पादों का व्यापार न केवल कानूनी दृष्टि से गलत है, बल्कि यह पर्यावरण और जैव विविधता के लिए भी खतरा है।

जितना संभव हो सके, हमें जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि लोग ऐसे तस्करी के नेटवर्क का हिस्सा बनने से बच सकें और वन्यजीवों के संरक्षण में सहयोग कर सकें।

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