E-book: राजस्थान में ‘अपना घर आश्रम’ में दिवाली टेबल का अनोखा लॉन्च, मां की याद में दो बहनों ने मनाया विशेष उत्सव, किताब से होगी आय आश्रम को डोनेट



जयपुर की बहनों ने दिवाली टेबल के माध्यम से अनोखी पहल की दिवाली का त्योहार केवल रोशनी और मिठास का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह प्रेम, करुणा और सामुदायिक जुड़ाव…

E-book: राजस्थान में ‘अपना घर आश्रम’ में दिवाली टेबल का अनोखा लॉन्च, मां की याद में दो बहनों ने मनाया विशेष उत्सव, किताब से होगी आय आश्रम को डोनेट

जयपुर की बहनों ने दिवाली टेबल के माध्यम से अनोखी पहल की

दिवाली का त्योहार केवल रोशनी और मिठास का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह प्रेम, करुणा और सामुदायिक जुड़ाव का भी प्रतीक है। इसी भावना को साकार करने के लिए जयपुर की बहनें, रतिका भार्गव और ऋचा खेतान, ने अपनी दिवंगत मां की याद में एक अनोखी पहल की है। उन्होंने “कोलड्रेन सिस्टर्स” के नाम से पहचान बनाने वाले इस प्रयास के तहत “दिवाली टेबल” नामक एक डिजिटल फंडरेजर कुकबुक तैयार की है।

पिछले वर्ष, रतिका और ऋचा ने अपनी मां को खो दिया था। उनकी मां के अंतिम संस्कार के पारंपरिक तरीके को अपनाने के बजाय, दोनों बहनों ने उनके शरीर को एक मेडिकल कॉलेज को दान करने का निर्णय लिया। इस निर्णय के माध्यम से, उन्होंने अपनी मां की अंतिम यात्रा को ज्ञान, उपचार और दान का प्रतीक बना दिया। इस वर्ष, उनकी मां की पहली बरसी पर, उन्होंने अपनी कुकबुक के माध्यम से उनकी स्मृति को सम्मानित करने का निर्णय लिया।

दिवाली टेबल: एक अनोखी कुकबुक

दिवाली टेबल कुकबुक भारतभर के घरेलू रसोइयों, कलाकारों और भोजन प्रेमियों की ओर से भेजी गई क्षेत्रीय रेसिपीज, त्योहारी परंपराओं, कविताओं और कलाकृतियों का एक समृद्ध संग्रह है। कुकबुक में राजस्थान की मावा कचौरी, बंगाल की चौद्द शाक, आंध्र प्रदेश की तीपी गव्वलू और कर्नाटक की निपट्टू जैसी पारंपरिक डिशों को शामिल किया गया है।

इस किताब में प्रसिद्ध फूड हिस्टोरियन पुष्पेश पंत का निबंध भी शामिल है, जो इसे भारत की पाक विरासत का एक जीवंत दस्तावेज बनाता है। यह कुकबुक न केवल व्यंजनों का संग्रह है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी सम्मान करती है।

अपना घर आश्रम में कुकबुक की लॉन्चिंग

इस कुकबुक की लॉन्चिंग अपना घर आश्रम में की गई, जो वृद्ध और दिव्यांग लोगों के लिए एक आश्रय का काम करता है। रतिका और ऋचा ने बताया कि इस कुकबुक से होने वाली संपूर्ण आय इस आश्रम को दी जाएगी। 13 अक्टूबर को, रतिका और ऋचा ने निवाला टीम के साथ मिलकर यहां एक विशेष दिवाली भोज का आयोजन भी किया।

रतिका और ऋचा ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, “दिवाली टेबल हमारी मां की रौशनी को जीवित रखने का हमारा तरीका है। उन्होंने हमें सिखाया कि देने का सिलसिला जीवन के साथ समाप्त नहीं होता, बल्कि यह उन जीवनों में चलता रहता है जिन्हें हम छूते हैं।” यह कुकबुक परियोजना निवाला, श्रुति तनेजा के नेतृत्व वाले एक पुरस्कार-विजेता क्यूलिनरी डिजाइन स्टूडियो के सहयोग से बनाई गई है।

समुदाय में प्रेम और सहानुभूति का संदेश

दिवाली टेबल का उद्देश्य सिर्फ खाना पकाने की विधियों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह एक समुदाय के रूप में एकजुट होने का संदेश भी देता है। इस कुकबुक के माध्यम से, रतिका और ऋचा ने यह दर्शाया है कि सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखना और साझा करना कितना महत्वपूर्ण है। यह कुकबुक उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है जो अपने प्रियजनों की यादों को संजोने के लिए कुछ विशेष करना चाहते हैं।

दिवाली के इस विशेष अवसर पर, रतिका और ऋचा की यह पहल हमें यह याद दिलाती है कि प्यार और करुणा का संचार कभी समाप्त नहीं होता। जब हम एक-दूसरे की सहायता करते हैं, तब हम न केवल अपने प्रियजनों की यादों को जीवित रखते हैं, बल्कि हम समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

इस प्रकार, “दिवाली टेबल” न केवल एक कुकबुक है, बल्कि यह प्यार और दान की एक अनकही कहानी है, जो हमें यह सिखाती है कि जब हम एक साथ आते हैं, तब हम एक मजबूत और सहानुभूतिपूर्ण समुदाय का निर्माण कर सकते हैं।

राजस्थान समाचार हिंदी में

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