Blood गफलत के चलते दूसरे मरीज को चढ़ाया खून, थैली फेंकी; पेशेंट की हालत स्थिर



जोधपुर में अस्पताल की लापरवाही: गलत मरीज को चढ़ाया गया रक्त जोधपुर के एम्स अस्पताल में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां एक ही नाम के दो…

Blood गफलत के चलते दूसरे मरीज को चढ़ाया खून, थैली फेंकी; पेशेंट की हालत स्थिर

जोधपुर में अस्पताल की लापरवाही: गलत मरीज को चढ़ाया गया रक्त

जोधपुर के एम्स अस्पताल में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां एक ही नाम के दो मरीजों के बीच भ्रम के कारण **गलत मरीज** को **खून चढ़ा दिया गया**। यह घटना तब हुई जब एक मरीज, मांगीलाल बिश्नोई, जिसका इलाज मधुमक्खी के काटने के कारण चल रहा था, को खून चढ़ाने के लिए उसे आवश्यक नहीं था। अस्पताल प्रशासन ने तुरंत इस गलती की पहचान की और खून की ड्रिप को हटा दिया।

इस मामले में जनसंपर्क अधिकारी डॉ. जीवनराम बिश्नोई ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है और मरीज की हालत फिलहाल स्थिर है। परिजनों ने भी मरीज के खून का परीक्षण एक निजी लैब में करवाया, जिसमें खून का ग्रुप **बी पॉजिटिव** पाया गया, लेकिन साथ ही उसमें थोड़ा **इंफेक्शन** भी था। इस घटना ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और इसके कारण लोगों में चिंता का माहौल बना हुआ है।

मामले की विस्तृत जानकारी

यह घटना तब हुई जब **बालोतरा** जिले के डोली गांव के रहने वाले गुमानाराम ने बताया कि उनके चाचा, 50 वर्षीय मांगीलाल बिश्नोई, को 6 अक्टूबर को भर्ती कराया गया था। इस दौरान, अस्पताल में एक और 80 वर्षीय मरीज भी मांगीलाल नाम से भर्ती था। इस नाम की समानता ने खून चढ़ाने में गलती को जन्म दिया।

  • गांव से रक्त दान के लिए बुलाए लोग: गुमानाराम ने बताया कि अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें सूचित किया कि उनके चाचा को खून की आवश्यकता है और इसके लिए उन्हें 2 यूनिट रक्त दान करना होगा। इसके बाद, उन्होंने गांव से लोगों को बुलाकर रक्त दान करवाया।
  • डॉक्टर की जांच में खुलासा: जब एक डॉक्टर ने राउंड के दौरान पूछा कि मरीज को खून क्यों चढ़ाया जा रहा है, तब पता चला कि यह खून गलत मरीज को चढ़ाया जा रहा था। तब तक एक यूनिट का लगभग तीन चौथाई भाग चढ़ाया जा चुका था।
  • गलत मरीज की जांच: गुमानाराम ने बताया कि जब गलत खून चढ़ाया गया मरीज की जांच की गई, तो उसका खून भी **बी पॉजिटिव** निकला। इस कारण एम्स प्रशासन और परिजनों ने राहत की सांस ली।
  • प्रशासन की कार्रवाई: इसके बाद मरीज को इमरजेंसी वार्ड से प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।

अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस घटना ने न केवल अस्पताल के कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि इससे मरीजों और उनके परिजनों के मन में अस्पताल के प्रति विश्वास को भी प्रभावित किया है। एम्स प्रशासन ने इस लापरवाही की गंभीरता को समझते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

डॉ. जीवनराम बिश्नोई ने कहा कि अस्पताल में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मरीज की देखभाल के सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा और उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर लगातार नजर रखी जाएगी।

अंत में

यह घटना इस बात का प्रमाण है कि अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा और उनकी देखभाल में कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। ऐसे मामलों में न केवल मरीजों की जीवन रक्षा में बाधा आती है, बल्कि यह स्वास्थ्य प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। इस घटना के बाद, उम्मीद की जा रही है कि अस्पताल प्रशासन गंभीरता से इस मामले की जांच करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाएगा।

इस घटना के परिणामस्वरूप, जोधपुर के एम्स अस्पताल में मरीजों के खून के परीक्षण और उनका प्रबंधन करने की प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में किसी भी तरह की लापरवाही से बचा जा सके।

राजस्थान समाचार हिंदी में

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