Cyber ठगी का मामला: बैंक जैसा सेटअप चलाता था ​शातिर, फ्रॉड के 122 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए, एनसीआरपी पोर्टल पर 183 लोगों ने की है शिकायत



राजस्थान: साइबर ठगी का बड़ा खुलासा, म्यूल अकाउंट नेटवर्क का पर्दाफाश राजस्थान के भिवाड़ी में साइबर ठगी से जुड़े एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जो विदेशों से संचालित…

Cyber ठगी का मामला: बैंक जैसा सेटअप चलाता था ​शातिर, फ्रॉड के 122 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए, एनसीआरपी पोर्टल पर 183 लोगों ने की है शिकायत

राजस्थान: साइबर ठगी का बड़ा खुलासा, म्यूल अकाउंट नेटवर्क का पर्दाफाश

राजस्थान के भिवाड़ी में साइबर ठगी से जुड़े एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जो विदेशों से संचालित हो रहा था। भिवाड़ी पुलिस ने इस मामले में एक शातिर आरोपी को दिल्ली से गिरफ्तार किया है, जो ठगों के चक्रव्यूह में तीसरे स्तर के ऑपरेशन को संभालता था। आरोपी का नाम अंकित शर्मा है, जिसकी उम्र 33 वर्ष है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि उसके बैंक खातों में 122 करोड़ 21 लाख 59 हजार 57 रुपए के ट्रांजेक्शन की पुष्टि हुई है।

इस मामले में पुलिस ने बताया कि अंकित शर्मा के खिलाफ 183 शिकायतकर्ता एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर चुके थे। भिवाड़ी पुलिस के एसपी प्रशांत किरण ने जानकारी दी कि पुलिस ने आरोपी के पास से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और उपकरण जब्त किए हैं। इनमें 38 चेक बुक, 4 पास बुक, 20 एटीएम कार्ड, 8 क्यूआर कोड, एक स्वैप मशीन, 9 मोबाइल फोन, 9 रबर मोहर और ढाई लाख रुपए की नकदी शामिल हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि पुलिस ने पहले ही इस साइबर ठगी के नेटवर्क में शामिल अन्य आरोपियों, जैसे कि राशिद, अजमत और वकील को गिरफ्तार किया था।

म्यूल अकाउंट नेटवर्क की कार्यप्रणाली

पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया है कि साइबर ठगी के इस नेटवर्क में म्यूल अकाउंट एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसे ठग थर्ड लेयर के रूप में संदर्भित करते हैं। यह म्यूल अकाउंट उन लोगों से जुड़े होते हैं, जो ठगी की रकम को चंद सेकंड में विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर देते हैं। इससे यदि ठगी में इस्तेमाल किया गया खाता सीज भी हो जाए, तो पैसा सुरक्षित तरीके से बाहर निकल जाता है। म्यूल अकाउंट्स को प्राप्त करने के लिए ठग लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, जहां वे लोगों को कमीशन का लालच देकर अपने जाल में फंसाते हैं।

यहां यह भी देखा गया है कि ठग फेक जॉब ऑफर और क्यूरेटर चैनल जैसे साधनों का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही, बैंककर्मियों और बैंकिंग सिस्टम का भी दुरुपयोग किया जा रहा है। अब जांच एजेंसियां एडवांस्ड ट्रांजेक्शन मॉनिटरिंग और मशीन लर्निंग टूल्स के माध्यम से इन म्यूल अकाउंट्स को पकड़ने के लिए सक्रिय हो गई हैं।

पुलिस की कार्रवाई और संदिग्ध खातों की जांच

पुलिस ने संदिग्ध खातों का विश्लेषण करने के दौरान एक ओवरसीज बैंक में राशिद के नाम से खोले गए खाते की जांच की। इस खाते के खिलाफ एनसीआरपी पोर्टल पर 63 शिकायतें दर्ज थीं और इसमें 50 करोड़ रुपए का लेनदेन पाया गया। इसके अतिरिक्त, एक अन्य खाता तमिलनाडु बैंक का भी पाया गया, जिसमें 11 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ था और इस पर 33 शिकायतें दर्ज थीं।

आरोपी अजमत से पूछताछ के दौरान पुलिस को यह जानकारी मिली कि वह अपने बैंक खातों को भारी कमीशन पर अंकित शर्मा को बेचता था। इससे पुलिस ने अंकित शर्मा तक पहुंच बनाई। इस प्रकार, ठगी की शिकायतों की संख्या 183 और ठगी गई रकम का आंकड़ा 122 करोड़ से भी ऊपर पहुंच गया है। इस मामले में अब पुलिस अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।

यह घटना दिखाती है कि साइबर ठगी का जाल कितना व्यापक और संगठित हो चुका है। पुलिस की इस कार्रवाई से उम्मीद है कि इस तरह के साइबर अपराधों पर लगाम लगेगी और लोगों को इस तरह की ठगी से बचाया जा सकेगा।

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