इंदौर के पास बेटे की डूबने से हुई दर्दनाक मौत
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के बेटमा में मंगलवार को एक 2 वर्षीय बच्चे की डूबने से मौत हो गई। यह घटना उस समय हुई जब बच्चे के बड़े पिता पानी की टंकी भरने के लिए नीचे की हौज का ढक्कन खोलकर गए थे। जब वे वापस आए, तो देखा कि बच्चा पानी में डूबा हुआ है। परिवार के सदस्य तुरंत बच्चे को दो अस्पतालों में ले गए, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
घटनाक्रम की जानकारी
बेटमा पुलिस के अनुसार, मृतक बच्चे का नाम प्रिंस है, जो उमेश मिश्रा का पुत्र है। उसे उसके बड़े पिता करण सिंह ने एमवाय अस्पताल में दोपहर के समय पहुंचाया। वहां के डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। करण सिंह ने बताया कि मंगलवार सुबह उन्हें घर में पानी की टंकी भरने के लिए काम करना था। उन्होंने 5 फीट की हौज का ढक्कन खोलकर मोटर लगाई और थोड़ी देर के लिए बाहर चले गए।
करीब आधे घंटे बाद जब करण सिंह वापस लौटे, तो उन्होंने पाया कि प्रिंस घर में नहीं है। जब उन्होंने अन्य परिवार के सदस्यों से पूछा, तो उन्हें बताया गया कि बच्चा बाहर खेल रहा है। परिवार के लोग कुछ देर तक बच्चे को बाहर ढूंढते रहे, लेकिन जब वह नहीं मिला, तो अंततः उसे हौज में डूबा हुआ पाया गया।
अस्पताल में बच्चों की हालत
प्रिंस को तुरंत निकालकर परिवार ने पहले सरकारी अस्पताल पहुंचाया। वहां के डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि बच्चे को तुरंत दूसरे अस्पताल ले जाना चाहिए। इसके बाद प्रिंस को चोइथराम अस्पताल ले जाया गया, जहां भी डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अंततः, परिजनों ने उसे एमवाय अस्पताल लेकर गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
- बच्चे के पिता एक फैक्ट्री में काम करते हैं।
- परिवार मूल रूप से गुना का रहने वाला है।
- वे दो साल पहले काम के सिलसिले में इंदौर आए थे।
- प्रिंस का एक बड़ा भाई है, जो मूकबधिर है।
पुलिस की कार्रवाई
मंगलवार शाम को पुलिस ने एमवाय अस्पताल में बच्चे का पोस्टमार्टम कराया और उसके शव को परिजनों को सौंप दिया। यह मामला न केवल परिवार के लिए एक दुखद घटना है, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है। बच्चों की सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना बहुत आवश्यक है, खासकर जब वे छोटे होते हैं। ऐसे मामलों में लापरवाही से बचने के लिए सभी को सावधान रहना चाहिए।
समाज में जागरूकता की आवश्यकता
यह घटना एक बार फिर यह दर्शाती है कि बच्चों की देखभाल में लापरवाही कितनी महंगी साबित हो सकती है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। माता-पिता को बच्चों की सुरक्षा के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
इस घटना ने स्थानीय समुदाय को भी झकझोर दिया है और अब यह समाज के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी बनती है कि वे एक-दूसरे की मदद करें और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें। बच्चों की सुरक्षा और देखभाल में न केवल माता-पिता की जिम्मेदारी होती है, बल्कि समाज के अन्य सदस्यों की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
अंत में, सभी को इस घटना से सबक लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को सुरक्षित वातावरण में रखा जाए, ताकि ऐसी दुखद घटनाएं दोबारा न हों।