Ravana Dahan: शिवाजी मैदान में 144 साल पुरानी रावण दहन परंपरा, जबलपुर में 51 फीट रावण, कुंभकरण, मेघनाद के पुतलों का दहन



जबलपुर में रावण दहन का भव्य आयोजन जबलपुर शहर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपराओं में से एक, श्री धनुष रामलीला समिति सदर द्वारा आयोजित रावण दहन का भव्य आयोजन गुरुवार…

Ravana Dahan: शिवाजी मैदान में 144 साल पुरानी रावण दहन परंपरा, जबलपुर में 51 फीट रावण, कुंभकरण, मेघनाद के पुतलों का दहन

जबलपुर में रावण दहन का भव्य आयोजन

जबलपुर शहर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपराओं में से एक, श्री धनुष रामलीला समिति सदर द्वारा आयोजित रावण दहन का भव्य आयोजन गुरुवार की शाम शिवाजी मैदान में हुआ। विजयादशमी के इस पावन पर्व पर, असत्य पर सत्य की जीत के उत्सव को देखने के लिए हजारों की संख्या में दर्शक उपस्थित हुए। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी एक प्रतीक है।

श्री धनुष रामलीला समिति का योगदान

श्री धनुष रामलीला समिति सदर के सचिव मधुर तिवारी ने बताया कि उनकी समिति पिछले 144 वर्षों से इस ऐतिहासिक मैदान पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की लीलाओं का मंचन और दशहरा पर्व का आयोजन कर रही है। समिति के अध्यक्ष चिंटू चौकसे के अनुसार, पुतला दहन की परंपरा भी पिछले 141 सालों से लगातार चली आ रही है। इस आयोजन ने दर्शकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान किया, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।

विशाल पुतले और इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी

इस वर्ष, बुराई का प्रतीक रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के 51-51 फीट ऊंचे विशाल पुतलों का दहन किया गया। पुतलों की भव्यता और उनकी शानदार सजावट ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आयोजन को और भी खास बनाने के लिए, विशेष रूप से मुंबई से कारीगरों को बुलाया गया था, जिन्होंने इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी का प्रदर्शन किया।

जैसे ही प्रभु श्री राम के तीर से रावण के पुतले में आग लगी, आसमान रंग-बिरंगी आतिशबाजी से जगमगा उठा। कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले भी धूं-धूं कर जल उठे। यह इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी सुरक्षा के लिहाज़ से भी बेहतर थी और दर्शकों को एक अद्भुत दृश्य प्रदान किया।

कार्यक्रम की शुरुआत और दर्शकों की भागीदारी

कार्यक्रम की शुरुआत समिति द्वारा आयोजित रामलीला के मंचन से हुई, जिसमें भगवान श्री राम की मानव लीलाओं को दर्शाया गया। इसके बाद, दशहरे का मुख्य कार्यक्रम, अर्थात पुतला दहन, आयोजित किया गया। हजारों की भीड़ ने पूरे उत्साह और उल्लास के साथ इस पर्व को मनाया, जिसने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि असत्य पर सत्य की जीत हमेशा होती है।

जबलपुर का ऐतिहासिक दशहरा पर्व

जबलपुर का यह ऐतिहासिक दशहरा पर्व, अपनी सदियों पुरानी परंपरा और भव्य आयोजन के कारण हर साल शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह शहर की सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।

शहर के लोग हर साल इस आयोजन का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं, क्योंकि यह उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ता है। रावण दहन के साथ-साथ रामलीला का मंचन भी दर्शकों को एक अद्भुत अनुभव देता है, जिसे वे लंबे समय तक याद रखते हैं। जबलपुर की यह परंपरा न केवल धार्मिक है, बल्कि यह एक सामाजिक उत्सव के रूप में भी मानी जाती है, जो स्थानीय लोगों को एक साथ लाती है।

इस दशहरे के अवसर पर, जबलपुर के नागरिकों ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं। आने वाले वर्षों में भी जबलपुर में इस प्रकार के भव्य आयोजनों की उम्मीद की जा सकती है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक बनेंगे।

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