मध्य प्रदेश में दवा व्यापार की गंभीर स्थिति पर चिंता
मध्य प्रदेश में दवा व्यापार का वार्षिक कारोबार लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का है। यह व्यापार हर साल 5.7% की दर से बढ़ रहा है, जो कि लगभग 600 करोड़ रुपये के बराबर है। इसके बावजूद, प्रदेश में दवा व्यापार की निगरानी के लिए केवल 79 ड्रग इंस्पेक्टर नियुक्त हैं। जबकि दवाओं के सैंपल की जांच के लिए केवल 3 सक्रिय लैब हैं, जिनमें से केवल भोपाल स्थित लैब पूरी तरह कार्यशील है।
इस कमजोर व्यवस्था के कारण कई जहरीले सिरप, जैसे कि कोल्ड्रिफ, री लाइफ और रेस्पिफ्रेस टीआर, बाजार में बिना किसी रोक-टोक के बिकते रहे हैं। यह स्थिति इतनी चिंताजनक हो गई है कि मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से 23 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनमें छिंदवाड़ा, बैतूल, नागपुर और पांढुर्णा शामिल हैं।
मेडिकल स्टोरों की संख्या और उनके संचालन की स्थिति
राज्य में 60 हजार से अधिक मेडिकल स्टोर हैं, जिसमें भोपाल में साढ़े तीन हजार स्टोर सक्रिय हैं। केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र घाकड़ के अनुसार, इन स्टोरों की जांच व्यवस्था बेहद कमजोर है, विशेषकर छोटी फार्मास्युटिकल कंपनियों में। हालांकि, भोपाल में नियमित जांच की जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप यहां इस तरह की घटनाएं अब तक नहीं हुई हैं।
दवाओं की टेस्टिंग प्रक्रिया की जटिलताएँ
राज्य में 96 ड्रग इंस्पेक्टर के पद स्वीकृत हैं, लेकिन केवल 79 पर ही अधिकारी तैनात हैं। हर ड्रग इंस्पेक्टर को प्रति माह कम से कम 5 सैंपल जांच के लिए भेजना अनिवार्य है। प्रदेश में चार लैब हैं, लेकिन ग्वालियर की लैब कार्यरत नहीं है। शेष तीन लैब की संयुक्त क्षमता सालाना लगभग 7 से 8 हजार टेस्टिंग की है।
- सैंपल प्रदेश के अन्य जिलों से भोपाल पहुंचने में 1 से 3 दिन लगते हैं और जांच में 2 से 3 दिन और लगते हैं।
- इस प्रकार, रिपोर्ट आने में औसतन एक सप्ताह का समय लगता है, जो स्थिति को गंभीर बनाता है।
सैंपल की त्वरित जांच की नई योजना
ड्रग कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव ने बताया कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत, यदि किसी ड्रग में गड़बड़ी की आशंका होगी तो सैंपल अब स्पीड पोस्ट से नहीं भेजे जाएंगे, बल्कि उन्हें सीधे लैब पहुंचाया जाएगा।
लैब को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट तैयार करें, ताकि समय रहते आवश्यक कार्रवाई की जा सके। इस प्रक्रिया के तहत छिंदवाड़ा से पहले 19 सैंपल लिए गए थे और अब 3 नए कफ सिरप के सैंपल भी लिए गए हैं। कुल मिलाकर 21 दवाओं के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
दवाओं पर नई चेतावनी लेबल का कार्यान्वयन
फार्मास्युटिकल मार्केट एनालिसिस कंपनी ‘एक्युएंट’ के अनुसार, भारत में फार्मास्युटिकल मार्केट का वार्षिक कारोबार 2,30,867 करोड़ रुपये है, जो हर साल 7.4% की दर से बढ़ रहा है। मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 10,767 करोड़ रुपये है।
हालांकि, प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण छोटी कंपनियाँ क्वालिटी से समझौता कर रही हैं, जिसका ताजा उदाहरण छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत है। अब से सिरप के साथ वॉर्निंग लेबल के साथ बेचे जाएंगे।
केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच प्रक्रिया का विस्तार
भोपाल, जबलपुर और इंदौर की लैब के अलावा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) भी प्रदेश में विस्तृत जांच कर रहा है। ड्रग कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि फिलहाल फोकस कफ सिरप पर है। जिन कंपनियों के सिरप नॉन स्टैंडर्ड क्वालिटी के पाए गए हैं, उन्हें जब्त करने की प्रक्रिया जारी है।
इसके अलावा, अन्य फार्मास्युटिकल सिरप के सैंपल भी जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। इस प्रक्रिया में केंद्रीय एजेंसी राज्य सरकार के साथ पूरी तरह सहयोग कर रही है।
कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई
मध्य प्रदेश में 23 बच्चों की मौत का कारण बने कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी को तमिलनाडु सरकार ने सील कर दिया है। इस संबंध में चेन्नई बेस्ट कंपनी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।
इस प्रकार, मध्य प्रदेश में दवा व्यापार की स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है। इसे सुधारने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।