राजगढ़ में किसानों का अनोखा प्रदर्शन: घुटनों के बल चलकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे
राजगढ़ जिले में हाल ही में हुई अति वृष्टि ने किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया है, जिसके खिलाफ भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों ने मंगलवार को एक अनोखा प्रदर्शन किया। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर कार्यालय की ओर घुटनों के बल चलकर बढ़ते हुए ज्ञापन सौंपा। इस प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार से उचित मुआवजा प्राप्त करना है, जिसे किसान अब अपनी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा मानते हैं।
किसानों का आरोप है कि प्रदेश सरकार ने उन्हें इस स्थिति में ला खड़ा किया है कि उन्हें अपनी मांगों को उठाने के लिए इस तरह का प्रदर्शन करना पड़ रहा है। राजगढ़ के खिलचीपुर नाके पर दोपहर 1 बजे एकत्रित हुए किसान, साउंड सिस्टम के साथ नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट कार्यालय की ओर बढ़े। लेकिन जैसे ही वे कलेक्ट्रेट के गेट तक पहुंचे, पुलिस ने उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया। इसके बाद, किसानों ने घुटनों के बल चलकर अपनी मांगों को कार्यालय तक पहुंचाया।
किसानों की समस्याओं का समाधान न होने पर बढ़ रहा विरोध
किसानों ने ज्ञापन में स्पष्ट कहा कि अति वृष्टि के कारण उनकी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं और उन्हें नुकसान का उचित मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिले में सत्ता में मौजूद सांसद, मंत्री और विधायक उनके मुद्दों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसके अलावा, किसानों ने भावांतर योजना के तहत सही मूल्य न मिलने की भी शिकायत की।
- किसानों ने बताया कि फसलें बर्बाद होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है।
- उन्होंने बीते कुछ महीनों में हुई बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान का जिक्र किया।
- किसान नेताओं का कहना है कि अगर उनकी मांगों का समाधान नहीं हुआ तो वे और भी बड़े आंदोलन की योजना बना सकते हैं।
ज्ञापन एसडीएम निधि भारद्वाज ने स्वीकार किया और आश्वासन दिया कि उनकी मांगों का समाधान एक सप्ताह के अंदर किया जाएगा। हालांकि, किसानों ने स्पष्ट किया कि वे 15 दिन तक इंतजार करेंगे। यदि इस दौरान सर्वे और मुआवजा नहीं मिला, तो वे कलेक्ट्रेट परिसर में टेंट लगाकर धरना देंगे और सुंदरकांड का पाठ करेंगे। किसानों की यह दृढ़ता स्पष्ट करती है कि वे अपनी स्थिति को लेकर कितने गंभीर हैं और अपने हक के लिए किस हद तक जा सकते हैं।
सरकार की जिम्मेदारी: किसानों को मिले उचित मुआवजा
किसान हर दिन अपने खेतों में मेहनत करते हैं, लेकिन जब प्राकृतिक आपदाएं उनके प्रयासों को मिटा देती हैं, तो उन्हें सरकार से उम्मीद होती है कि वे उनकी मदद के लिए आगे आएगी। वर्तमान में, राजगढ़ के किसानों की स्थिति दर्शाती है कि सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिलता है, तो उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है, जो न केवल उनके परिवारों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है।
किसानों के इस अनोखे प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी हक की लड़ाई के लिए तैयार हैं। अब देखना यह है कि क्या सरकार उनकी मांगों पर ध्यान देगी और उचित कार्रवाई करेगी। यदि सरकार ने समय पर मुआवजा नहीं दिया, तो यह आंदोलन और भी बड़े रूप में सामने आ सकता है।
इस तरह के आंदोलनों से यह संदेश मिलता है कि किसान अब और चुप नहीं रहेंगे और वे अपने हक के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। इससे न केवल राजगढ़ में बल्कि पूरे प्रदेश में किसानों की समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, जो कि एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में पहला कदम हो सकता है।