भोपाल के तालाबों की जल गुणवत्ता पर एमपीपीसीबी की रिपोर्ट: विसर्जन के बाद स्थिति सामान्य
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) द्वारा जारी एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, गणेश विसर्जन के बाद भोपाल के तालाबों का पानी सामान्य स्थिति में लौट आया है। हथाईखेड़ा, खटलापुरा, प्रेमपुरा (बड़ा तालाब), शाहपुरा और रानी कमलापति घाट से लिए गए सैंपलों में पानी की गुणवत्ता के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि विसर्जन के बाद पानी में घुली ऑक्सीजन (D.O.) में वृद्धि हुई है और हेवी मेटल्स जैसे जिंक और कॉपर की मात्रा में कमी आई है। एमपीपीसीबी का यह दावा है कि तालाबों की जल गुणवत्ता संतोषजनक है।
पर्यावरणविदों की चिंता: रिपोर्ट पर उठाए सवाल
हालांकि, इस रिपोर्ट पर कई पर्यावरणविदों ने सवाल उठाए हैं। पर्यावरणविद् सुभाष सी. पांडे ने एमपीपीसीबी की इस रिपोर्ट को वैज्ञानिक दृष्टि से “असंभव और भ्रामक” बताया। उनका कहना है कि प्रेमपुरा घाट (बड़ा तालाब) पर मूर्तियां सीधे पानी में डाली जाती हैं और वे दो-तीन दिन तक वहीं रहती हैं, जिसके बाद उनका पूरा मटेरियल पानी में घुल जाता है। इस संदर्भ में उनका कहना है कि यह दावा करना कि विसर्जन के बाद पानी की ऑक्सीजन बढ़ गई, वास्तव में संभव नहीं है।
पांडे ने आगे कहा कि मूर्तियां सॉलिड वेस्ट होती हैं और जब वे गलती हैं, तो पानी से ऑक्सीजन खींचती हैं। इसके विपरीत, रिपोर्ट में कहा गया है कि विसर्जन के बाद हेवी मेटल्स की मात्रा में कमी आई है, जो एक बड़ा विरोधाभास है। उनके अनुसार, यह रिपोर्ट किसी टेबल पर बैठकर बनाई गई लगती है और इसकी विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न उठते हैं।
CPCB मानकों की अनदेखी: एक गंभीर मामला
सुभाष सी. पांडे ने यह भी बताया कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के मानकों के अनुसार, 11 हैवी मेटल्स और सेडिमेंट्स (तलछट) की जांच अनिवार्य है। लेकिन एमपीपीसीबी ने केवल 6 मेटल्स (जिंक, कॉपर, लेड, कैडमियम, क्रोमियम, कोबाल्ट) की जांच की है। उन्होंने कहा कि मूर्तियों में उपयोग होने वाले रंगों और केमिकल्स में लगभग 30 से अधिक टॉक्सिक मेटल्स होते हैं, जिनमें से कई कैंसरकारक हैं। केवल छह मेटल्स लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करना भ्रामक है।
एमपीपीसीबी का जवाब: प्राकृतिक कारणों का हवाला
इस पर एमपीपीसीबी के रीजनल मैनेजर बृजेश शर्मा ने कहा कि हैवी मेटल्स का स्तर घटने के पीछे प्राकृतिक कारण हैं। उनका कहना है कि उस दौरान बारिश बहुत तेज हुई थी, जिससे पानी में डायल्यूशन हुआ और मेटल्स का कंसंट्रेशन कम हो गया। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि “CPCB की गाइडलाइन में 11 मेटल्स का टेस्ट जरूरी बताया गया है, लेकिन आमतौर पर जो प्रमुख रूप से मूर्तियों के रंगों में पाए जाते हैं वही 6 मेटल्स लिए जाते हैं। बाकी मेटल्स (जैसे मर्करी, एंटीमनी, बेरियम आदि) सामान्यतः इन सैंपलों में नहीं मिलते।”
स्थानीय घाटों पर हैवी मेटल्स का विश्लेषण
भोपाल के विभिन्न घाटों पर हैवी मेटल्स की स्थिति के बारे में रिपोर्ट में निम्नलिखित जानकारी दी गई है:
- हथाईखेड़ा घाट: विसर्जन से पहले जिंक का स्तर 0.077 mg/l था, जो विसर्जन के बाद हल्का बढ़कर 0.080 mg/l हो गया। कॉपर की मात्रा 0.156 mg/l से घटकर 0.100 mg/l पर आई। यहां पानी में घुली ऑक्सीजन (D.O.) 5.6 से बढ़कर 6.4 mg/l हो गई।
- खटलापुरा घाट (लोअर लेक): यहां जिंक 0.082 से घटकर 0.040 mg/l और कॉपर 0.138 से घटकर 0.080 mg/l हो गया।
- प्रेमपुरा घाट (बड़ा तालाब): यहां जिंक 0.030 से बढ़कर 0.060 mg/l और कॉपर 0.133 से बढ़कर 0.130 mg/l हो गया।
- शाहपुरा लेक घाट: यहां जिंक 0.091 से 0.070 mg/l तक घटा।
- रानी कमलापति घाट (कमला पार्क): यहां जिंक 0.014 से घटकर <0.009 mg/l और कॉपर 0.102 से घटकर <0.018 mg/l हुआ।
सीपीसीबी की गाइडलाइन के अनुसार आवश्यक मेटल्स की सूची
सीपीसीबी की गाइडलाइन के अनुसार, निम्नलिखित 11 मेटल्स की जांच जरूरी है:
- क्रोमियम
- लीड
- जिंक
- तांबा
- कैडमियम
- मर्करी
- एंटिमनी
- बेरियम
- कोबाल्ट
- मैंगनीज
- स्ट्रॉन्शियम
इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि भोपाल के तालाबों की जल गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न उठते हैं, और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सही और विस्तृत आंकड़ों की आवश्यकता है।