Corruption: जोधपुर पुलिस के घूसखोर कांस्टेबल को तीन साल की सजा, 5 हजार की रिश्वत मांगने पर एसीबी कोर्ट ने 30 हजार का जुर्माना भी लगाया



जोधपुर में पुलिस कांस्टेबल को रिश्वत लेने के मामले में मिली सजा जोधपुर के विशिष्ट न्यायाधीश मदन गोपाल सोनी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (क्रमांक-01) के तहत एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते…

Corruption: जोधपुर पुलिस के घूसखोर कांस्टेबल को तीन साल की सजा, 5 हजार की रिश्वत मांगने पर एसीबी कोर्ट ने 30 हजार का जुर्माना भी लगाया

जोधपुर में पुलिस कांस्टेबल को रिश्वत लेने के मामले में मिली सजा

जोधपुर के विशिष्ट न्यायाधीश मदन गोपाल सोनी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (क्रमांक-01) के तहत एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए जोधपुर ग्रामीण (वर्तमान में फलोदी जिला) पुलिस थाना मतोड़ा के पूर्व कांस्टेबल मनोहरसिंह को रिश्वत लेने के मामले में दोषी करार दिया है। यह फैसला शुक्रवार को सुनाया गया, जिसमें न्यायालय ने मनोहरसिंह को भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया है।

मनोहरसिंह, जो मूल रूप से शेरगढ़ के डेरिया निवासी है, वर्ष 2016 में जोधपुर ग्रामीण पुलिस के मतोड़ा थाने में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था। इस दौरान, 30 जुलाई 2016 को उसने पूनासर के निवासी सुरताराम से एक मामले में मदद करने के एवज में 5,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। इस घटना की शिकायत के बाद एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने उसे रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया और न्यायालय में चार्जशीट पेश की।

एसीबी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य और गवाहों का महत्व

इस मामले में एसीबी के सहायक निदेशक अभियोजन ने कोर्ट में अपनी पैरवी के दौरान कुल 19 गवाहों के बयान दर्ज कराए। इसके अलावा, केस से संबंधित 34 दस्तावेज भी न्यायालय में प्रस्तुत किए गए। एसीबी के द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों और मौखिक साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने आरोपी कांस्टेबल मनोहरसिंह को दोषी करार दिया।

न्यायालय ने एसीबी द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों और तर्कों को ध्यान में रखते हुए मनोहरसिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 8 के तहत दोषी ठहराया। इस निर्णय के अनुसार, आरोपी कांस्टेबल को तीन वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही, अदालत ने उसे 30,000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। यदि अभियुक्त द्वारा यह जुर्माना अदा नहीं किया जाता है, तो उसे तीन माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता

इस फैसले से स्पष्ट होता है कि न्यायालय भ्रष्टाचार के खिलाफ कितनी गंभीरता से कार्रवाई कर रहा है। यह न केवल समाज में एक सकारात्मक संदेश भेजता है, बल्कि पुलिस कर्मचारियों को भी यह चेतावनी है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करें और किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार गतिविधियों में संलिप्त न हों।

भ्रष्टाचार के मामलों में न्यायालय का यह कदम दर्शाता है कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ की गई शिकायतों पर गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि ईमानदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए सभी स्तरों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

निष्कर्ष

जोधपुर में हुए इस मामले ने एक बार फिर से यह साबित किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सख्त कानून और न्यायिक प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। न्यायालय के इस फैसले से यह उम्मीद की जा सकती है कि अन्य लोग भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने में आगे आएंगे और समाज में बदलाव लाने में मदद करेंगे।

यह घटना उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय हैं और यह दर्शाती है कि हमारी न्याय प्रणाली ऐसे मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करती है।

राजस्थान समाचार हिंदी में

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