“MP News: Doctor ने दवाई लिखी, पत्नी ने कफ सिरप बेची: भास्कर का सवाल-कम उम्र के बच्चों को क्यों दी सिरप, डॉक्टर का जवाब-कुछ कंटेंट हिडन होते हैं”



छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत का मामला: 11 मासूमों की जिंदगी को निगल गया कफ सिरप मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक दुखद घटना सामने आई है, जहां 32 दिनों…

“MP News: Doctor ने दवाई लिखी, पत्नी ने कफ सिरप बेची: भास्कर का सवाल-कम उम्र के बच्चों को क्यों दी सिरप, डॉक्टर का जवाब-कुछ कंटेंट हिडन होते हैं”

छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत का मामला: 11 मासूमों की जिंदगी को निगल गया कफ सिरप

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक दुखद घटना सामने आई है, जहां 32 दिनों के भीतर **11 बच्चों** की किडनी फेल होने के कारण मौत हो गई। ये बच्चे **1 से 5 साल** के बीच के थे और सभी को सर्दी, खांसी और बुखार की समस्या थी। सभी बच्चे एक ही डॉक्टर के पास गए थे, जिन्होंने उन्हें दवा लिखी थी। आरोप है कि इस दवा में एक कफ सिरप शामिल थी, जिसे **4 साल** से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए था। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है।

बच्चों की तबीयत बिगड़ने का क्रम

जब बच्चों ने डॉक्टर द्वारा दी गई दवा ली, तो पहले उनकी तबीयत में सुधार हुआ। बुखार उतर गया और खांसी भी ठीक हो गई। लेकिन दो दिन बाद बच्चों को पेशाब में समस्या का सामना करना पड़ा। परिवारवालों ने छिंदवाड़ा से नागपुर तक इलाज करवाने का प्रयास किया, लेकिन किसी भी बच्चे की जान नहीं बचाई जा सकी। इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दुख जताते हुए मृतकों के परिवारों को **4-4 लाख** रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।

घटनाक्रम का विस्तृत विवरण

परासिया में बाग बर्गीया के रहने वाले चार साल के शिवम राठौड़ की तबीयत 16 अगस्त को खराब हुई थी। परिजनों ने उसे डॉक्टर प्रवीण सोनी के पास ले जाया, जिन्होंने उसे कफ सिरप के साथ दवा लिखी। दवा लेने के बाद बच्चे का बुखार तो उतर गया, लेकिन चौथे दिन उसे पेट में दर्द और सूजन की शिकायत होने लगी। जब पेशाब नहीं हुआ, तो परिवार ने उसे डॉक्टर के पास ले जाने का निर्णय लिया। वहां से उसे परासिया सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ और उसे छिंदवाड़ा जिला अस्पताल रेफर किया गया।

नागपुर में इलाज के दौरान हुई मौतें

जिला अस्पताल में किडनी इन्फेक्शन का पता चला, लेकिन तीन दिन बाद भी सुधार नहीं हुआ। इसके बाद परिवार ने बच्चे को नागपुर ले जाने का निर्णय लिया, जहां 2 सितंबर को उसकी मौत हो गई। इसी तरह सभी बच्चों के मामले में यही स्थिति रही। सभी ने कफ सिरप का सेवन किया और कुछ दिन बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अंततः सभी बच्चों की मौत किडनी फेल होने के कारण हुई।

डॉक्टर की सफाई और प्रशासन की कार्रवाई

दैनिक भास्कर ने इस मामले में डॉक्टर प्रवीण सोनी से सवाल किए, जिन्होंने बताया कि वे पिछले **15 साल** से यह कफ सिरप लिख रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने पहले कभी ऐसी शिकायतें सुनी हैं, तो उन्होंने नकारात्मक उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने उनसे कोई सफाई नहीं मांगी है। इस बीच, प्रशासन ने भी इस मामले की गंभीरता को समझते हुए तात्कालिक कार्रवाई की है और दवा की जांच शुरू कर दी है।

परिजनों की आपत्ति और एसडीएम का बयान

इस मामले में परिजनों ने प्रशासनिक अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उनसे किसी ने संपर्क नहीं किया और न ही पोस्टमॉर्टम करवाने के लिए कहा गया। परासिया एसडीएम शुभम यादव ने कहा कि परिजनों से बात की गई थी, लेकिन वे पोस्टमॉर्टम के लिए राजी नहीं हुए। इस बात पर परिवार ने स्पष्ट किया है कि उन्हें प्रशासनिक स्तर पर कोई सूचना नहीं मिली थी।

स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता और जांच

स्वास्थ्य विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए क्षेत्र में स्वास्थ्य सर्वेक्षण शुरू किया है। 4658 बच्चों की जांच की गई है, जिनमें से 411 बच्चों की रिपोर्ट सामान्य आई है। इस बीच, बच्चों के लिए अलग से आईसीयू वार्ड भी बनाया गया है।

मुख्यमंत्री की घोषणा और विपक्ष की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि इस घटना के बाद कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीड़ित परिवारों को **50 लाख** रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग की है।

जांच के परिणाम और स्वास्थ्य जोखिम

जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में **48.6%** डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा पाई गई है, जो एक जहरीला तत्व है। इस मामले में प्रशासन ने सभी संबंधित दवाओं की बिक्री को रोकने का आदेश दिया है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

इस दुखद घटना ने न केवल छिंदवाड़ा बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में कितनी प्रभावी कार्रवाई करता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाता है।

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