मध्य प्रदेश में जनजातीय कार्य विभाग के अधीक्षकों का ई-अटेंडेंस प्रणाली के खिलाफ विरोध
मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य विभाग के अधीन संचालित छात्रावासों और आश्रम शालाओं के अधीक्षकों ने हाल ही में ई-अटेंडेंस प्रणाली के खिलाफ एक ज्ञापन आयुक्त को सौंपा। इस ज्ञापन को जिला संयोजक के नेतृत्व में सौंपा गया, जिसमें अधीक्षकों ने अपनी समस्याओं और कार्य परिस्थितियों को स्पष्ट किया। अधीक्षकों का कहना है कि उन्हें केवल शिक्षण कार्य तक सीमित नहीं रखा जा सकता, बल्कि उनकी जिम्मेदारियों में विद्यार्थियों की देखरेख, भोजन व्यवस्था, बीमार बच्चों का उपचार और अनुशासन बनाए रखना भी शामिल है।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि ई-अटेंडेंस के तहत सुबह 10 से शाम 5 बजे तक उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। अधीक्षकों ने यह भी बताया कि उन्हें अन्य योजनाओं जैसे आदर्श ग्राम, घरती आवास, शिष्यवृत्ति, सीएम हेल्पलाइन शिकायतें और अंतरजातीय विवाह सत्यापन कार्य भी सौंपे गए हैं। इसके अलावा, रविवार या शासकीय अवकाश पर उनकी उपस्थिति की अपेक्षा करना भी अनुचित है। इस स्थिति के कारण अधीक्षकों में नाराजगी बढ़ रही है।
अधीक्षकों की मांगें और चेतावनी
अधीक्षकों ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि उन्हें ई-अटेंडेंस प्रणाली से मुक्त किया जाए या उनके लिए एक अलग कार्य समय प्रणाली बनाई जाए। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे सामूहिक विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से प्रशांत पटेल, ब्रजकिशोर गौर, राधेश्याम, एचपी अहिरवार, संतोष धाकड़, पहलाद सिंह, दीपक राजपूत, नीलू शर्मा, लखन लाल लोधी, जितेंद्र धाकड़ और अर्चना बागड़ी शामिल रहे।
इस मामले में अधीक्षकों की चिंताओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। राज्य सरकार को यह समझना चाहिए कि शिक्षण कार्य केवल पाठ्यक्रम की पढ़ाई तक सीमित नहीं होता, बल्कि विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए भी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना आवश्यक है। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे न केवल उनके कार्यक्षेत्र को प्रभावित करते हैं, बल्कि विद्यार्थियों की शिक्षा और देखभाल पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
समाज में बदलाव की आवश्यकता
इस स्थिति का समाधान निकालना न केवल अधीक्षकों के लिए, बल्कि विद्यार्थियों के लिए भी आवश्यक है। अगर शिक्षकों को उचित कार्य वातावरण और समय दिया जाए, तो वे अधिक प्रभावी तरीके से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकेंगे। इसके साथ ही, समाज में भी शिक्षा के प्रति जागरूकता और स्वीकार्यता बढ़ेगी।
- अध्यक्षों की समस्याएँ: 24 घंटे विद्यार्थियों की देखरेख, भोजन व्यवस्था, अनुशासन बनाए रखना।
- अन्य कार्य: आदर्श ग्राम, घरती आवास, शिष्यवृत्ति, सीएम हेल्पलाइन शिकायतें।
- महत्वपूर्ण समय: ई-अटेंडेंस की बाध्यता सुबह 10 से शाम 5 बजे तक।
- चेतावनी: सामूहिक विरोध प्रदर्शन की तैयारी।
समाज और सरकार को इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि शैक्षिक संस्थानों में कार्यरत अधीक्षक और शिक्षक दोनों ही अपनी भूमिकाओं को बेहतर तरीके से निभा सकें। इस प्रकार की समस्याओं का समाधान न केवल अधीक्षकों के लिए, बल्कि विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।