हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार: गुटबाजी और आत्मविश्वास का असर
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार को लेकर पार्टी के कई नेता, जिनमें राहुल गांधी भी शामिल हैं, ईवीएम में गड़बड़ी और वोट काटने के आरोप लगा रहे हैं। लेकिन गहराई में जाने पर यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी और जीत के प्रति अति आत्मविश्वास ने पार्टी की हार को और बढ़ावा दिया है। चुनाव परिणामों के बाद से पार्टी के भीतर की स्थिति और भी जटिल हो गई है।
राहुल गांधी द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस के आयोजन से पहले, हरियाणा कांग्रेस के नेता आपसी गुटबाजी को ही हार का मुख्य कारण मानते थे। लेकिन जब राहुल गांधी ने ईवीएम में गड़बड़ी और वोट काटने के आरोप लगाए, तब पार्टी के नेताओं ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। अब वे अपनी हार की वजहों को और भी जटिल बताते नजर आ रहे हैं। यह स्थिति पार्टी की एकता को और कमजोर कर रही है और इससे कांग्रेस की छवि पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
गुटबाजी और अनुशासनहीनता का खुलासा
कांग्रेस की अनुशासन समिति के चेयरमैन धर्मपाल मलिक ने रविवार को इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करते हुए कहा कि पार्टी के भीतर की गुटबाजी, एक-दूसरे के खिलाफ विरोधी बयानबाजी और अनुशासनहीनता ने कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया है। चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस कार्यालय में हुई अनुशासन समिति की बैठक में इस विषय पर गहराई से चर्चा की गई।
धर्मपाल मलिक ने कहा, “हरियाणा की जनता कांग्रेस को वोट देना चाहती थी, लेकिन हमारे अपने नेताओं की खींचतान ने जनसमर्थन को हानि पहुँचाई।” उन्होंने यह भी कहा कि जनता का कोई दोष नहीं था, बल्कि असली गलती पार्टी की थी। यह बयान पार्टी के भीतर की समस्याओं को उजागर करता है और यह दर्शाता है कि कैसे आंतरिक कलह ने चुनाव में नकारात्मक प्रभाव डाला।
अनुशासन की बहाली का महत्व
धर्मपाल मलिक ने अनुशासन की बहाली को संगठन को मजबूत बनाने का पहला कदम बताया। उन्होंने कहा कि, “हम पहले अपने घर को व्यवस्थित करेंगे, तभी जनता का भरोसा वापस जीत पाएंगे।” इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के सभी नेताओं से आग्रह किया कि वे व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के बजाय संगठन की मजबूती में योगदान दें।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अनुशासनात्मक कार्रवाई में पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता बरती जाएगी। सदस्य सचिव रोहित जैन ने कहा कि अगर किसी नेता या कार्यकर्ता को किसी प्रकार की शिकायत या नाराजगी है, तो उन्हें पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी बात रखनी चाहिए। सार्वजनिक रूप से बयानबाजी करने की बजाय, पार्टी के भीतर ही समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए।
पार्टी के नियमों का पालन
अगर कोई पार्टी नेता या कार्यकर्ता पार्टी के फोरम पर अपनी बात रखने की बजाय सार्वजनिक रूप से किसी अन्य नेता या पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करता है, तो यह पार्टी संविधान का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे मामले में सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह कदम पार्टी के भीतर अनुशासन को सुनिश्चित करने और संगठन को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है।
कांग्रेस की इस स्थिति ने न केवल पार्टी के नेताओं के लिए एक चेतावनी का काम किया है, बल्कि यह दर्शाता है कि पार्टी को अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान देना होगा। अनुशासन और एकता के बिना, कांग्रेस का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। यह समय है कि पार्टी अपने नेताओं को एकजुट करें और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बहाल करें।
कुल मिलाकर, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार ने पार्टी के लिए कई सबक सिखाए हैं। अगर कांग्रेस अपने आंतरिक विवादों पर काबू पाने में सफल होती है, तो वह भविष्य में फिर से जनता का विश्वास जीत सकती है।























