ब्लैकआउट्स भारत में: वर्तमान स्थिति
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती तनावों के बीच, विशेष रूप से हालिया मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद, भारतीय अधिकारियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में कड़े ब्लैकआउट नियम लागू किए हैं। उदाहरण के लिए, जैसलमेर में सभी खरीदारी सुविधाओं को शाम 5 बजे तक बंद करना होगा, इसके बाद रात 6 बजे से सुबह 6 बजे तक पूर्ण ब्लैकआउट रहेगा। इस दौरान सभी लाइटें बंद रहनी चाहिए और परिवहन गतिविधियां भी रुक सकती हैं। महत्वपूर्ण सुरक्षा स्थलों के चारों ओर 5 किलोमीटर का नो-एंट्री जोन लागू किया जा सकता है, जिसमें उल्लंघन पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
यह ब्लैकआउट एक व्यापक नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य आम लोगों और सैन्य संसाधनों को संभावित हवाई हमलों से बचाना है। इसके तहत दुश्मन बलों को अंधेरे में लक्ष्यों की पहचान करने से रोकने की कोशिश की जा रही है। ऐसे ब्लैकआउट पंजाब के कुछ जिलों जैसे चंडीगढ़, जालंधर और मोहाली, और जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू किए गए हैं।
इसके अलावा, भारत ने हाल ही में राष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा मॉक अभ्यास किए हैं, जिसमें ब्लैकआउट, चेतावनी सायरन और निकासी अभ्यास शामिल हैं। ये अभ्यास 244 जिलों में नागरिकों की तैयारियों और प्रतिक्रिया रणनीतियों का परीक्षण करने के लिए आयोजित किए गए हैं।
जहां ब्लैकआउट और कर्फ्यू दोनों ही सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए आपातकालीन उपाय हैं, वहीं वे मूलतः भिन्न हैं:
– ब्लैकआउट का उद्देश्य बिजली और रोशनी को बंद करना है ताकि पहचान से बचा जा सके।
– कर्फ्यू लोगों की आवाजाही को सीमित करता है ताकि कानून और व्यवस्था को बनाए रखा जा सके।
– वर्तमान भारतीय परिप्रेक्ष्य में, ब्लैकआउट बाहरी खतरों के खिलाफ एक रक्षा उपाय हैं, जबकि कर्फ्यू आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए लागू किए जा सकते हैं।