Supreme Court ने Sharda University BDS छात्रा आत्महत्या मामले में सख्ती दिखाई, शिक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल



सुसाइड नोट में शिक्षकों पर लगाए गए आरोप घटना स्थल से बरामद सुसाइड नोट में छात्रा ज्योति ने दो शिक्षकों — महेंद्र सर और सैरी मैम — को अपनी मृत्यु…

Supreme Court ने Sharda University BDS छात्रा आत्महत्या मामले में सख्ती दिखाई, शिक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल

सुसाइड नोट में शिक्षकों पर लगाए गए आरोप

घटना स्थल से बरामद सुसाइड नोट में छात्रा ज्योति ने दो शिक्षकों — महेंद्र सर और सैरी मैम — को अपनी मृत्यु के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। उसने लिखा कि अगर उसकी मृत्यु होती है, तो पीसीपी (Pre Clinical Prosthodontics) और डेंटल मटेरियल के शिक्षक इसके लिए उत्तरदायी होंगे। ज्योति ने नोट में उल्लेख किया कि महेंद्र सर और सैरी मैम ने उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित और अपमानित किया, जिससे वह लंबे समय से डिप्रेशन में थी। उसने यह भी लिखा कि वह अब इस स्थिति में और नहीं रह सकती[1][2]।

छात्रा पर फर्जी हस्ताक्षर का आरोप और विभाग से निष्कासन

जांच में सामने आया कि छात्रा पर फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया गया था। छात्रों के अनुसार, उसे पीसीपी विभाग से तीन दिनों तक — गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार — लगातार कक्षा से निकाल दिया गया। उसकी फाइल विभागाध्यक्ष को सौंप दी गई और माता-पिता को बुलाने का निर्देश दिया गया। सोमवार को माता-पिता के आने के बाद ही उसे फाइल वापस की गई। छात्रों के अनुसार, तब तक वह मानसिक रूप से अत्यधिक तनाव में थी। एक छात्रा ने बताया कि शुक्रवार को वह अत्यधिक रो रही थी और उसे परीक्षा में फेल करने की धमकी भी दी जा रही थी।

वार्डन पर सुसाइड नोट छिपाने का आरोप

एक छात्रा ने आरोप लगाया कि वार्डन ने सुसाइड नोट कथित तौर पर छिपा लिया था। छात्रा ने बताया कि शुक्रवार को ज्योति उनसे मिली थीं और वह अत्यधिक परेशान थीं।

पिता द्वारा विभागीय शिक्षकों पर प्रताड़ना के आरोप

छात्रा के पिता, रमेश जांगड़ा ने डीन डॉ. एम. सिद्धार्थ, विभागाध्यक्ष डॉ. आशीष चौधरी, प्रोफेसर डॉ. अनुराग, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महिंदर सिंह चौहान, डॉ. सुरभि और डॉ. सैरी वशिष्ठ पर मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस ने इस मामले में डॉ. सैरी वशिष्ठ और डॉ. महिंदर सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

डिजिटल साक्ष्यों की फॉरेंसिक जांच

पुलिस द्वारा छात्रा का मोबाइल, लैपटॉप, टैब और डायरी जब्त कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं। सोशल मीडिया, व्हाट्सऐप चैट और अन्य डिजिटल माध्यमों के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि सुसाइड से पूर्व वह किन परिस्थितियों से गुजर रही थीं। सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग की भी जांच की जा रही है।[1]

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए विश्वविद्यालय से पूछा है:

  • क्या छात्रा की मृत्यु की जानकारी समय रहते पुलिस को दी गई?
  • क्या प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई?

कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अपर्णा भट्ट को अमिकस क्यूरी नियुक्त कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की गई है।

परीक्षा स्थगित, छात्रों की चिंता

घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने थर्ड ईयर की परीक्षा स्थगित कर दी है। प्रशासन का कहना है कि नई तिथियां शीघ्र घोषित की जाएंगी। हालांकि, छात्रों द्वारा यह सवाल उठाया गया है कि क्या एक फाइल, एक हस्ताक्षर और शिक्षकों की प्रताड़ना किसी छात्रा के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण है।[2]

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