भारत का अंतरिक्ष मिशन: गगनयान और चंद्रमा पर नागरिकों की यात्रा
रांची में आयोजित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT), मेसरा के 35वें दीक्षांत समारोह में इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने बताया कि भारत ने 2040 तक अपने नागरिकों को चंद्रमा पर उतारने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बीच, भारत का पहला मानव स्पेस मिशन ‘गगनयान’ 2027 में लॉन्च किया जाएगा। यह जानकारी इसरो प्रमुख ने समारोह में दी।
गगनयान मिशन की विशेषताएँ
नारायणन ने बताया कि इसरो 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की स्थापना करने की योजना बना रहा है। इसके तहत 2026 तक तीन मानव रहित गगनयान मिशन लॉन्च किए जाएंगे। इनमें से पहला मिशन दिसंबर 2025 में अर्ध-मानव रोबोट ‘व्योममित्रा’ के साथ लॉन्च होगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रमा पर मानव मिशन के लिए 2040 की समय सीमा निर्धारित की है।
चंद्रमा और शुक्र ग्रह पर मिशन
इसरो प्रमुख ने स्पष्ट किया कि इस मिशन के तहत भारत को चंद्रमा पर सुरक्षित रूप से अपने नागरिकों को उतारना और वापस लाना होगा। इसके अलावा, शुक्र ग्रह पर अध्ययन के लिए ‘वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM)’ को भी मंजूरी दी गई है। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई उपलब्धियों की ओर ले जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना
इसरो प्रमुख ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की स्थापना 2035 तक की जाएगी। इसके पहले चरण के मॉड्यूल्स 2027 से ही अंतरिक्ष में स्थापित किए जा सकते हैं। गगनयान मिशन में प्रगति के साथ-साथ, मानवयुक्त मिशन के लिए तीन मानव रहित मिशनों की योजना भी बनाई जा रही है।
आधुनिक तकनीकों का उपयोग
नारायणन ने बताया कि इसरो ने हाल के वर्षों में अपनी लॉन्च क्षमता बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, “भविष्य के मानवयुक्त मिशनों के लिए हमें अपनी लॉन्च क्षमता को 80 हजार किलोग्राम तक ले जाना होगा।” इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और बिग डेटा जैसे क्षेत्रों का उपयोग भी तेजी से बढ़ रहा है, जो आगामी अंतरिक्ष मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
300 से अधिक स्टार्टअप्स की भागीदारी
इसरो प्रमुख ने यह भी बताया कि भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) की स्थापना के बाद, भारत में 300 से अधिक स्टार्टअप्स ने अंतरिक्ष क्षेत्र में कदम रखा है। ये स्टार्टअप उपग्रह निर्माण, लांच सेवाओं और डेटा एनालिटिक्स में कार्यरत हैं, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में मांग को पूरा करने में मदद मिल रही है।
गगनयान मिशन के लाभ
- स्पेस उद्योग की वृद्धि, जो 2035 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।
- भारत, मानव को स्पेस में भेजने वाला चौथा देश बनकर वैश्विक मानचित्र पर उभरेगा।
- अन्य ग्रहों के अध्ययन के लिए नए रास्ते खुलेंगे।
- भारत को अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने का अवसर मिलेगा।
- रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में नए रोजगार का सृजन होगा।
- निवेश में वृद्धि से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अवसर उपलब्ध होंगे।
गगनयान मिशन की तैयारी
गगनयान मिशन के तहत कई महत्वपूर्ण तैयारियाँ की गई हैं। इसमें मानव को अंतरिक्ष में ले जाने वाले लॉन्च व्हीकल HLVM3 का निर्माण पूरा हो चुका है। इसके अलावा, तीन एस्ट्रोनॉट्स के चयन के लिए एयरफोर्स के 4 पायलटों को चुना गया है, जिनकी ट्रेनिंग भारत और रूस में चल रही है।
इसरो ने मानव रहित मिशन के लिए एक ह्यूमोनोइड ‘व्योममित्र’ भी तैयार किया है, जो माइक्रोग्रैविटी में प्रयोग करने और मॉड्यूल की टेस्टिंग के लिए उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही, क्रू एस्केप सिस्टम और रिकवरी टेस्टिंग भी पूरी की जा चुकी है।
भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र: भविष्य की दिशा
नारायणन ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब उन चार देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक हासिल की है। इसके अलावा, इसरो ने हाल ही में अपने 100वें प्रक्षेपण को पूरा किया है, जो भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र अब वैश्विक मानकों को पूरा करने के साथ-साथ, कई मामलों में उनसे आगे बढ़ चुका है। चंद्रयान-1 और चंद्रयान-3 जैसी सफलताओं ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाई है। ऐसे प्रयासों से भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम न केवल विज्ञान की नई ऊँचाइयों को छू रहा है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।