बिहार में किसानों का चक्का जाम, एनएच 107 पर प्रदर्शन
खगड़िया जिले के बेलदौर प्रखंड में अखिल भारतीय किसान महासभा (एआईकेएम) के बैनर तले हजारों किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 107 पर स्थित उसराहा के डुमरी घाट पुल को जाम कर दिया। यह प्रदर्शन किसानों द्वारा अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किया गया, जिसमें गैर मजरुआ आम, बकास्त, और सर्वस्ता खेसरा भूमि को रैयती करने की मांग की गई।
किसानों ने आरोप लगाया कि कई मौजों में गैर मजरुआ जमीन की खरीद-बिक्री और लगान रसीद काटने पर रोक लगी हुई है। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में किसानों के रजिस्टर टू को रद्द करने की तैयारी चल रही है, जिससे उन्हें और भी अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने “जमीन चोर गद्दी छोड़ो” और “बिहार किसान एक हो” जैसे नारे लगाते हुए अपनी आवाज बुलंद की।
प्रदर्शन का नेतृत्व और भागीदारी
इस विशाल प्रदर्शन का नेतृत्व अखिल भारतीय किसान महासभा की बेलदौर अंचल इकाई ने किया, जिसकी अध्यक्षता मनोहर प्रसाद शर्मा कर रहे थे। इस मौके पर इंडिया गठबंधन के घटक दलों के नेताओं ने भी किसानों का समर्थन किया। इसमें अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव शैलेन्द्र वर्मा, कांग्रेस जिलाध्यक्ष अविनाश कुमार गुडु, अजय प्रभाकर और तेलिहार पैक्स अध्यक्ष राकेश कुमार सहित हजारों किसान उपस्थित थे।
किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉली के माध्यम से एनएच 107 को अवरुद्ध कर दिया, जिसके फलस्वरूप सहरसा और बेलदौर के मुख्य मार्ग पर लंबा जाम लग गया। इस जाम के कारण वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। यह स्थिति यातायात के लिए बेहद कठिनाई भरी साबित हुई।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रदर्शन स्थल पर बेलदौर अंचलाधिकारी, थाना प्रभारी और अन्य पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। प्रशासन ने जाम को समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने का प्रयास किया, लेकिन किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दृढ़ता दिखाई। उनकी मांगें पूरी होने तक वे अपने आंदोलन को जारी रखने की बात कह रहे थे। इस दौरान, किसानों ने स्पष्ट किया कि वे अपनी भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार के आंदोलन से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं।
बेलदौर के किसानों का यह प्रदर्शन केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे बिहार के किसानों की समस्याओं का प्रतिनिधित्व करता है। राज्य में कृषि भूमि के अधिकार, खरीद-बिक्री की प्रक्रिया और अन्य संबंधित मुद्दों को लेकर किसानों में व्यापक असंतोष है। किसान संगठनों ने इस बात पर जोर दिया है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे भविष्य में और भी बड़े आंदोलनों का आयोजन कर सकते हैं।
किसानों की मांगें और उनकी चुनौतियाँ
किसान संगठनों ने स्पष्ट किया है कि उनकी प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
- गैर मजरुआ भूमि की रैयतीकरण: किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी कृषि भूमि का वैध अधिकार मिलना चाहिए।
- खरीद-बिक्री पर रोक का हटाना: किसानों ने यह मांग की है कि गैर मजरुआ जमीन की खरीद-बिक्री पर लगी रोक को समाप्त किया जाए।
- रजिस्टर टू की स्थिति: कई किसानों का रजिस्टर टू रद्द करने की प्रक्रिया को रोकने की मांग की गई है।
इस तरह के आंदोलनों से साफ है कि बिहार के किसान अपनी समस्याओं को लेकर कितने गंभीर हैं। किसान संगठनों का कहना है कि यदि समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। आगे आने वाले दिनों में सरकार को किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता होगी।
किसान आंदोलन के इस दृश्य ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार के किसान अब अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं और वे अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं। इस मुद्दे पर स्थानीय प्रशासन और सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि किसानों की समस्याओं का समाधान किया जा सके और कृषि क्षेत्र को फिर से मजबूत किया जा सके।