Karwa Chauth 2025: करवा चौथ के दिन करवे में डालें ये 5 चीजें, वैवाहिक जीवन रहेगा सुखी और परिवार में होगा सुख-समृद्धि का आगमन



करवा चौथ 2025: महत्व और पूजा विधि करवा चौथ का व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, करवा…

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ के दिन करवे में डालें ये 5 चीजें, वैवाहिक जीवन रहेगा सुखी और परिवार में होगा सुख-समृद्धि का आगमन

करवा चौथ 2025: महत्व और पूजा विधि

करवा चौथ का व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा, जो कि एक रविवार के दिन पड़ रहा है। यह दिन खास तौर पर सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस अवसर पर पूजा के लिए अनेक विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है, जिनमें प्रमुखता से करवा, जो मिट्टी से बना एक छोटा मटका होता है, शामिल है।

करवा चौथ की पूजा में करवे का होना अनिवार्य माना जाता है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। पहले केवल मिट्टी के करवे का ही इस्तेमाल होता था, लेकिन अब तांबे और पीतल के करवे का भी प्रचलन बढ़ गया है। पूजा की थाली में सबसे पहले करवा रखा जाता है, जिसके बाद अन्य सामग्रियों का समावेश किया जाता है।

पूजा सामग्री: करवे में क्या डालें?

इस लेख में हम ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से जानेंगे कि करवे में क्या-क्या डालना चाहिए। करवे में गेहूं भरना सबसे शुभ माना जाता है। यह न केवल पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है, बल्कि मां अन्नपूर्णा का भी प्रतिनिधित्व करता है। करवा माता की पूजा में गेहूं भरने से घर में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं आती और परिवार में खुशियों का आगमन होता है। इसलिए गेहूं भरने के दौरान मंत्रों का जाप करना भी आवश्यक है।

इसके अलावा, करवे में दूध और चीनी भरने का भी विशेष महत्व है। करवे के ढक्कन में चीनी भरी जाती है और दूध में गंगाजल डालने का विधान है। ध्यान देने वाली बात यह है कि करवे को करवा वाले कलश से अलग रखना चाहिए, क्योंकि इससे सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

करवे में अक्षत और चांदी का सिक्का

करवे में अक्षत (अविभाजित चावल) और एक चांदी का सिक्का भी डालने का विधान है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। करवे में खील और चांदी का सिक्का डालने के बाद चंद्रमा की पूजा विधिवत रूप से की जाती है। इससे कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और वैवाहिक जीवन में चल रहे कलह-क्लेश से छुटकारा मिल सकता है।

करवा चौथ की पूजा विधि

करवा चौथ की पूजा विधि विशेष रूप से सरल और प्रभावशाली होती है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले निर्जला उपवासी रहती हैं। वे दिनभर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। शाम को चंद्रमा की आराधना के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। महिलाएं चंद्रमा को देखकर पहले उसे अर्घ्य देती हैं और फिर अपने पति के हाथों से पानी पीती हैं। इस अवसर पर विशेष रूप से सजने-संवरने का प्रचलन है, क्योंकि महिलाएं इस दिन अपने सुहाग का प्रतीक माने जाने वाले वस्त्र पहनती हैं।

पूजा के समय करवे को सजाने के लिए विभिन्न रंग-बिरंगे वस्त्रों और आभूषणों का उपयोग किया जाता है। इस दौरान महिलाएं एक-दूसरे को उपहार भी देती हैं और व्रत की मिठाईयों का आदान-प्रदान करती हैं। इस दिन का विशेष महत्व यह है कि यह न केवल दांपत्य जीवन को मजबूत बनाता है, बल्कि परिवार में प्रेम और एकता को भी बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष

करवा चौथ का व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इस दिन की पूजा विधि और सामग्रियों का चयन इस पर्व की विशेषता को और भी बढ़ा देता है। महिलाएं अपने पति के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को इस पर्व के माध्यम से व्यक्त करती हैं। इसलिए, इस साल करवा चौथ पर सभी सुहागिनों को शुभकामनाएं, और उम्मीद है कि यह दिन आपके जीवन में खुशियों और समृद्धि का संचार करे।

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