Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर अद्भुत योग और चांद निकलने का समय, पूजा मुहूर्त और विधि की जानकारी



करवा चौथ 2025: सुहागिन महिलाओं का अखंड सौभाग्य पर्व करवा चौथ का पर्व हर साल हिंदू धर्म में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से सुहागिन…

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर अद्भुत योग और चांद निकलने का समय, पूजा मुहूर्त और विधि की जानकारी

करवा चौथ 2025: सुहागिन महिलाओं का अखंड सौभाग्य पर्व

करवा चौथ का पर्व हर साल हिंदू धर्म में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे पति की लंबी उम्र और सुखद जीवन के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चांद के दर्शन करने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। 2025 में करवा चौथ का पर्व 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं और इस दौरान वे विशेष रूप से सजती-संवरती हैं।

करवा चौथ की पूजा विधि भी विशेष है। महिलाएं सुबह से ही व्रत का संकल्प लेकर दिनभर उपवास करती हैं। इस दिन के लिए खास तौर पर तैयार की गई थाली में पूजा का सामान रखा जाता है, जिसमें करवा, मिठाई, फल और अन्य पूजा सामग्री शामिल होती है। इस दिन चांद निकलने का समय भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि चांद के दर्शन के बाद ही महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं।

करवा चौथ की पूजा विधि और महत्व

करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान कर पूजा की तैयारी करती हैं। इस दिन का महत्व न केवल पति की लंबी उम्र के लिए है, बल्कि यह सुहागिन महिलाओं के लिए उनके पति के प्रति समर्पण और प्रेम का प्रतीक भी है। पूजा के दौरान महिलाएं निम्नलिखित विधियों का पालन करती हैं:

  • स्नान करने के बाद नए कपड़े पहनें और श्रृंगार करें।
  • पूजा की थाली में करवा, मिठाई, फल और पूजा सामग्री रखें।
  • किसी भी सुहागिन महिला का आशीर्वाद लें।
  • संध्या समय चांद निकलने का इंतजार करें और चांद को देखकर विधिपूर्वक पूजा करें।
  • चांद को देखकर पति का नाम लेते हुए व्रत का पारण करें।

चांद के दर्शन का महत्व

चांद के दर्शन का इस पर्व में विशेष महत्व है। माना जाता है कि चांद का दर्शन करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण बढ़ता है। महिलाएं चांद को देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। चांद को देखकर व्रत का पारण करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो इस दिन को और भी खास बनाती है।

करवा चौथ का संकल्प और व्रत

करवा चौथ का व्रत रखने के लिए महिलाएं विशेष संकल्प लेती हैं। यह संकल्प न केवल भौतिक सुखों के लिए होता है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा भी है। महिलाएं अपने पति के स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं और इस दिन के व्रत को बड़ी श्रद्धा से निभाती हैं।

इस पर्व का एक और खास पहलू यह है कि महिलाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर इस दिन को मनाती हैं। वे अपने अनुभव साझा करती हैं और एक-दूसरे को आशीर्वाद देती हैं। यह एकता और भाईचारे का प्रतीक है, जो इस पर्व को और भी खास बनाता है।

करवा चौथ का पर्व: एक सांस्कृतिक धरोहर

करवा चौथ केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि यह परिवार की एकजुटता और सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देता है। भारतीय समाज में इस पर्व का एक खास स्थान है और यह हर वर्ष उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इस प्रकार, करवा चौथ का पर्व न केवल एक व्रत है, बल्कि यह प्रेम, समर्पण और एकता का प्रतीक भी है। इस दिन चांद की पूजा और पति की लंबी उम्र की कामना करना महिलाओं के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। आने वाले 12 अक्टूबर 2025 को जब महिलाएं इस पर्व को मनाएंगी, तो यह एक बार फिर से प्रेम और समर्पण का नया अध्याय लिखेगा।

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