रवींद्र जडेजा के लिए ऐतिहासिक मौका
रवींद्र जडेजा, जो अपनी सटीक गेंदबाजी, बेहतरीन बल्लेबाजी और तीव्र फील्डिंग के लिए जाने जाते हैं, विश्व क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर्स में शामिल हैं। इंग्लैंड के खिलाफ चल रही टेस्ट सीरीज के चौथे टेस्ट में उनके पास एक नया रिकॉर्ड बनाने का अवसर है।
23 जुलाई से मैनचेस्टर में शुरू हो रहे चौथे टेस्ट मैच में टीम इंडिया सीरीज में 1-2 से पिछड़ रही है, जिससे यह मुकाबला निर्णायक बन गया है। जडेजा के पास इस मैच में न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट को इंटरनेशनल विकेट्स के मामले में पीछे छोड़ने का मौका है। फिलहाल जडेजा के नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 611 विकेट हैं, और एक विकेट लेते ही वह बोल्ट से आगे निकल जाएंगे।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज
- मुथैया मुरलीधरन (श्रीलंका): 1347 विकेट, 495 मैच
- शेन वॉर्न (ऑस्ट्रेलिया): 1001 विकेट, 339 मैच
- जेम्स एंडरसन (इंग्लैंड): 991 विकेट, 401 मैच
- अनिल कुंबले (भारत): 956 विकेट, 403 मैच
- ग्लेन मैकग्रा (ऑस्ट्रेलिया): 949 विकेट, 376 मैच
- वसीम अकरम (पाकिस्तान): 916 विकेट, 460 मैच
- स्टुअर्ट ब्रॉड (इंग्लैंड): 847 विकेट, 344 मैच
- शॉन पोलक (दक्षिण अफ्रीका): 829 विकेट, 423 मैच
- वकार यूनुस (पाकिस्तान): 789 विकेट, 349 मैच
- टिम साउदी (न्यूजीलैंड): 776 विकेट, 394 मैच
इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में जडेजा का प्रदर्शन
इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज में रवींद्र जडेजा का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। गेंदबाजी में उन्होंने अब तक तीन विकेट लिए हैं, जबकि बल्लेबाजी में पिछले चार पारियों में लगातार चार अर्धशतक जमाए हैं। तीन मैचों की छह पारियों में वह 109.00 की औसत से 327 रन बना चुके हैं, जिससे उनकी मिडिल ऑर्डर में मजबूती झलकती है।
तीसरे टेस्ट (लॉर्ड्स) में जडेजा ने 61 रनों की जुझारू पारी खेली थी। हालांकि भारत को 22 रन से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन जडेजा ने अकेले दम पर टीम को जीत के करीब पहुंचाने की पूरी कोशिश की।
करियर की शुरुआत और आंकड़े
रवींद्र जडेजा ने 2012 में भारत के लिए टेस्ट डेब्यू किया। तब से अब तक 83 टेस्ट में 3697 रन और 326 विकेट, वनडे में 231 विकेट तथा टी20 इंटरनेशनल में 54 विकेट ले चुके हैं।
रवींद्र जडेजा की खासियत
रवींद्र जडेजा को केवल ऑलराउंडर कहना उनकी काबिलियत को कम आंकना होगा। मैदान पर संकट की घड़ी में वह कप्तान की पहली पसंद होते हैं, चाहे विकेट लेने हों, रन रोकने हों या दबाव में टिककर बल्लेबाजी करनी हो। उनकी फील्डिंग का स्तर इतना ऊंचा है कि कई बार अकेले ही मैच का रुख बदल सकते हैं।