आज, 25 सितंबर 2025, का दिन न केवल वार (गुरुवार) के कारण बल्कि नवरात्रि और विनायक चतुर्थी के संयोग से भी अत्यंत विशिष्ट है। पंचांग की यह विस्तृत जानकारी आपको अपने दिन की योजना बनाने और शुभ ऊर्जा का अधिकतम लाभ उठाने में सहायक होगी।
1. मुख्य ज्योतिषीय गणनाएँ (Panchang Tithi & Nakshatra)
आज का दिन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के तहत आता है। इस अवधि को चंद्र-कला के बढ़ने के कारण शुभ और सकारात्मक ऊर्जा वाला माना जाता है।
पंचांग अंग | स्थिति और विस्तार | फल और विशेषताएँ |
तिथि (Tithi) | तृतीया (वृद्धि) उपरांत चतुर्थी (समाप्ति शाम 06:03 बजे) | तिथि की वृद्धि के कारण धार्मिक कार्यों का महत्व बढ़ जाता है। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है, जो बुद्धि और शुभता के दाता हैं। |
नक्षत्र (Nakshatra) | स्वाति (समाप्ति शाम 07:09 बजे) उपरांत विशाखा | स्वाति नक्षत्र का स्वामी वायु देव और राशि स्वामी राहु है। यह नक्षत्र स्वतंत्रता, व्यापार, और लचीलेपन के लिए शुभ माना जाता है। इसके बाद विशाखा नक्षत्र शुरू होगा, जो ऊर्जा और दृढ़ता लाता है। |
योग (Yoga) | वैधृति (समाप्ति रात्रि 09:53 बजे) | वैधृति योग को सामान्यतः अशुभ माना जाता है और इस दौरान सभी शुभ कार्यों, यात्राओं और नए निवेश से बचना चाहिए। यह योग समाप्त होने के बाद विष्कुम्भ योग शुरू होगा। |
करण (Karan) | गर, वणिज उपरांत विष्टि (भद्रा) | गर और वणिज शुभ करण हैं। किंतु, रात में विष्टि करण शुरू होगा, जिसे भद्रा कहा जाता है, और यह समय शुभ कार्यों के लिए वर्जित रहता है। |
ग्रह स्थिति | सूर्य: कन्या राशि में; चंद्रमा: दिन-रात तुला राशि में। | तुला राशि में चंद्रमा का गोचर होने से आज का दिन प्रेम, संबंध, और सामाजिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण रहेगा। |
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2. दिन का धार्मिक महत्व और पूजा विधि (Puja Vidhi & Significance)
गुरुवार का दिन और चतुर्थी तिथि का अद्भुत संयोग इस दिन को विशेष बना रहा है।
A. विनायक चतुर्थी का महत्व
आज के दिन गणेश जी की पूजा का विधान है।
- पूजा विधि: सुबह स्नान के बाद गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें। उन्हें दूर्वा घास, मोदक या लड्डू और सिंदूर अवश्य अर्पित करें। ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- लाभ: इस दिन व्रत और पूजन करने से ज्ञान, बुद्धि, और एकाग्रता की प्राप्ति होती है। विद्यार्थी वर्ग को इस दिन गणेश जी की आराधना विशेष रूप से करनी चाहिए।
B. गुरुवार और देव गुरु बृहस्पति
- गुरुवार के स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं, जो शिक्षा, धन, विवाह और संतान के कारक माने जाते हैं।
- अखंड सौभाग्य: महिलाएं आज के दिन केले के पेड़ की पूजा करके अपने पति के दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।
- दान: आज पीली वस्तुओं (हल्दी, बेसन, सोना, पीला कपड़ा) का दान करने से करियर और व्यापार में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
3. शुभ-अशुभ काल और दिशाशूल (Muhurat & Travel)
किसी भी कार्य को सही मुहूर्त में शुरू करना सफलता की कुंजी है।
काल का प्रकार | समय (लगभग) | सुझावित कार्य |
अभिजीत मुहूर्त | 11:48 AM से 12:37 PM | नया व्यापार शुरू करने, महत्वपूर्ण यात्रा पर निकलने, या कोई शुभ सौदा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ। |
अमृत काल | 09:17 AM से 11:05 AM | औषधियों का सेवन, मंत्र जाप, और आध्यात्मिक कार्यों के लिए उत्तम। |
राहुकाल | 01:30 PM से 03:00 PM | सर्वथा वर्जित। इस समय में कोई नया काम शुरू न करें और न ही यात्रा पर निकलें। |
दिशा शूल | दक्षिण | गुरुवार को दक्षिण दिशा में यात्रा करना शुभ नहीं माना जाता है। यदि आवश्यक हो, तो दही या जीरा खाकर ही यात्रा पर निकलें। |
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4. आज का महाउपाय (Remedy for the Day)
गुरुदोष निवारण: यदि आपको करियर या विवाह में समस्या आ रही है, तो आज के दिन चने की दाल (कम से कम एक मुट्ठी) किसी पीपल के पेड़ के नीचे रखें या किसी जरूरतमंद को दान करें। साथ ही, स्नान के जल में एक चुटकी हल्दी मिलाकर स्नान करें। इससे गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और भाग्योदय होता है।