नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पाकिस्तान के लिए 2.3 अरब डॉलर के पैकेज के विस्तार के प्रस्ताव का विरोध किया है। भारत ने कहा है कि ये फंड आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए गलत इस्तेमाल हो सकते हैं।
नई दिल्ली ने इस महत्वपूर्ण IMF बैठक पर मतदान को रोक दिया, जिसकी परिणामों की जानकारी समाचार के प्रकाशित होने तक नहीं मिल पाई थी।
भारत ने IMF के कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर चिंता जताई है, खासकर पाकिस्तान की कमजोर ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत ने IMF बोर्ड में अपना विरोध दर्ज कराया, जिसने शुक्रवार को पाकिस्तान के लिए विस्तारित फंड सुविधा (EFF) के तहत 1 अरब डॉलर के कर्ज और नई लचीलापन और स्थिरता सुविधा (RSF) के तहत 1.3 अरब डॉलर के कर्ज पर विचार किया।
भारत ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक खतरनाक संदेश मिलता है, जिससे फंडिंग एजेंसियों और दाताओं के लिए जोखिम बढ़ता है और यह वैश्विक मूल्यों का मजाक बनाता है।
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वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि IMF का गलत इस्तेमाल कई सदस्य देशों के लिए चिंता का विषय है, जिससे आतंकवाद के लिए सैन्य और राज्य-प्रायोजित उद्देश्यों के लिए फंडिंग की संभावना बढ़ती है।
इस विरोध के समय भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा हुआ है, खासकर 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हुई थी।
बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान की सेना की आर्थिक मामलों में गहरी दखलंदाजी के कारण नीतिगत पतन और सुधारों के उलटने का गंभीर खतरा है। भारत ने यह भी बताया कि 2021 की एक संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में सेना से जुड़े व्यवसायों को पाकिस्तान में ‘सबसे बड़ा समूह’ बताया गया था।
भारत ने IMF के स्रोतों पर एक विस्तृत अध्ययन के आधार पर कहा कि पाकिस्तान को कर्ज देने में राजनीतिक विचारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। बार-बार की आर्थिक मदद के कारण पाकिस्तान का कर्ज बहुत अधिक हो गया है, जिससे वह IMF के लिए एक बहुत बड़ा असफल कर्जदार बन गया है।
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