Collapse: गाजीपुर में 450 साल पुराना शिव मंदिर ढहा, भारी बारिश से रामगंगा घाट में आधा ढांचा बहा, शिखर और घंटा अभी भी सुरक्षित



गाजीपुर में भारी बारिश से शिव मंदिर ढहा, प्रशासन ने किया सुरक्षा कड़ा गाजीपुर में हाल ही में हुई भारी बारिश ने एक ऐतिहासिक शिव मंदिर को नुकसान पहुंचाया है।…

Collapse: गाजीपुर में 450 साल पुराना शिव मंदिर ढहा, भारी बारिश से रामगंगा घाट में आधा ढांचा बहा, शिखर और घंटा अभी भी सुरक्षित

गाजीपुर में भारी बारिश से शिव मंदिर ढहा, प्रशासन ने किया सुरक्षा कड़ा

गाजीपुर में हाल ही में हुई भारी बारिश ने एक ऐतिहासिक शिव मंदिर को नुकसान पहुंचाया है। यह मंदिर लगभग 450 साल पुराना था और रामगंगा घाट पर स्थित था। यह घटना सदर कोतवाली क्षेत्र के राजागांधी की गढ़ी, जिसे किला कोहना भी कहा जाता है, में बीती रात घटी। मंदिर का आधा हिस्सा गंगा नदी में समा गया है, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।

लगातार तीन दिन तक हुई बारिश के कारण मंदिर के नीचे की मिट्टी खिसक गई, जिसके चलते रात करीब 9:30 बजे मंदिर का आधा ढांचा भरभराकर गिर गया। घटना के समय घाट पर मौजूद लोगों ने देखा कि मंदिर का एक हिस्सा गंगा की धारा तक पहुंच गया है, जबकि मंदिर का शिखर और घंटा अभी भी सुरक्षित हैं। इस दृश्य ने स्थानीय लोगों को हैरान कर दिया है।

सुरक्षा के लिए प्रशासन ने किया कड़ा कदम

इस हादसे के बाद, जिला प्रशासन ने रामगंगा घाट पर आम लोगों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी है। सुरक्षा के मद्देनजर बैरिकेडिंग लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया है और पुलिस बल भी तैनात किया गया है। प्रशासन का यह कदम लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, ताकि कोई और अनहोनी न हो।

मंदिर की देखभाल कर रहे पुजारी काशीदास ने बताया कि मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य चल रहा था। उन्होंने यह भी बताया कि जिस समय मंदिर का हिस्सा गिरा, उस वक्त घाट पर मौजूद दो लोगों ने गंगा में कूदकर अपनी जान बचाई। यह घटना दर्शाती है कि कैसे प्राकृतिक आपदाएं कभी-कभी जान-माल को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

रामगंगा घाट का ऐतिहासिक महत्व

रामगंगा घाट केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह इतिहास और आस्था का प्रतीक भी है। मान्यता है कि राजा गाधी के पुत्र विश्वामित्र भगवान राम और लक्ष्मण को इसी स्थान पर लाए थे। कहा जाता है कि भगवान राम ने यहीं गंगा स्नान किया था, जिसके कारण इस घाट का नाम रामगंगा घाट पड़ा। यहीं से गंगा के उस पार ताड़ी घाट है, जहां भगवान राम ने ताड़का का वध किया था।

यह घाट वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र रहा है। लेकिन अब यह शिव मंदिर इतिहास के एक दर्दनाक अध्याय में बदल गया है। प्रशासन ने घाट पर लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी है और मंदिर के अवशेषों को सुरक्षित करने की तैयारी चल रही है।

प्राकृतिक आपदाओं से धरोहरों की सुरक्षा पर सवाल

इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारी धरोहरें प्राकृतिक आपदाओं के आगे सुरक्षित हैं? क्या हम अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहे हैं? यह एक विचारणीय विषय है, जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।

आगामी समय में प्रशासन को ऐसे उपाय करने होंगे, जिससे ऐसी घटनाओं को टाला जा सके और हमारी धरोहरें सुरक्षित रह सकें। इसके लिए स्थानीय लोगों और सरकार को मिलकर काम करना होगा ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

गाजीपुर में हुए इस हादसे ने न केवल एक ऐतिहासिक स्थल को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि यह हम सभी के लिए एक चेतावनी भी है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें।

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