बलरामपुर में भगवान परशुराम के मंदिर का भूमि पूजन
बलरामपुर जिले के धुसाह क्षेत्र में भगवान परशुराम के एक नए मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इस मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास मंगलवार को अखिल भारतीय ब्राह्मण जन कल्याण समिति के द्वारा विधिपूर्वक संपन्न किया गया। इस अवसर पर पूर्व सांसद दद्दन मिश्र ने इस कार्य का नेतृत्व किया, जिन्होंने समारोह को भव्य रूप दिया।
दद्दन मिश्र का प्रेरणादायक संबोधन
भूमि पूजन के दौरान दद्दन मिश्र ने भगवान परशुराम को हमारे आराध्य और आदर्श बताते हुए उनकी वीरता और न्याय के प्रति अपने समर्पण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भगवान परशुराम तप, त्याग और तेज का संगम हैं।” उनके अनुसार, भगवान परशुराम ने हमेशा धर्म की रक्षा की है और हमें उनके सिद्धांतों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
मंदिर निर्माण की योजना
इस समारोह में दद्दन मिश्र ने ब्राह्मण समाज के लोगों को विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि शक्ति का प्रयोग तभी करना चाहिए जब उसका उद्देश्य न्याय और जन जागरण हो। इससे यह संदेश स्पष्ट होता है कि समाज के उत्थान के लिए एकजुट होकर काम करना जरूरी है।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर कई प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें गेल्हापुर मंहम बृजानंद महाराज, एमएलके पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. जेपी पाण्डेय, भाजपा नेता उदय प्रकाश त्रिपाठी, और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे। सभी ने भगवान परशुराम के जीवन और उनके सिद्धांतों पर प्रकाश डाला, जिससे कार्यक्रम में धार्मिकता और प्रेरणा का माहौल बना।
मंदिर निर्माण की पूर्ण योजना
समिति के जिलाध्यक्ष राम नरेश त्रिपाठी ने मंदिर निर्माण की संपूर्ण योजना प्रस्तुत की। महामंत्री अमरीश शुक्ल ने अप्रैल माह में परशुराम जयंती तक मंदिर निर्माण कार्य पूरा करने की अपील की और जन सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। इस प्रकार, मंदिर निर्माण को लेकर समाज में एक सकारात्मक उत्साह देखने को मिल रहा है।
समाज का उत्साह और सहभागिता
कार्यक्रम के संचालन का कार्य डॉ. तुलसीश दुबे ने किया। इस दौरान समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष सौरभ त्रिपाठी, निर्मल कुमार पाण्डेय उर्फ बब्बल, सेतु बंधु त्रिपाठी, संजय मिश्र, बाबा उमाशंकर त्रिपाठी, इंद्र प्रकाश त्रिपाठी, संदीप मिश्र सहित बड़ी संख्या में ब्राह्मण समाज के लोग उपस्थित रहे। यह दर्शाता है कि समाज के लोग अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं।
संक्षेप में
बलरामपुर में भगवान परशुराम के मंदिर का निर्माण केवल एक धार्मिक स्थल का निर्माण नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। यह कार्यक्रम यह दर्शाता है कि जब समाज एकजुट होता है, तो वह अपने धर्म और संस्कृति को आगे बढ़ाने में सफल हो सकता है। सभी ने मिलकर भगवान परशुराम के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।