“Need for Mental Coach: गौतम गंभीर का वेस्टइंडीज सीरीज के बाद बड़ा बयान”



स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम का हेड कोच बनने का सफर आसान नहीं होता। इसमें न केवल चयन की प्रक्रिया की चुनौतियाँ होती हैं, बल्कि हार के बाद…

“Need for Mental Coach: गौतम गंभीर का वेस्टइंडीज सीरीज के बाद बड़ा बयान”

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम का हेड कोच बनने का सफर आसान नहीं होता। इसमें न केवल चयन की प्रक्रिया की चुनौतियाँ होती हैं, बल्कि हार के बाद मिलने वाली आलोचना भी एक बड़ा सिरदर्द होती है। जब युवा कप्तान को टीम की जिम्मेदारी दी जाती है, तो कोच की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। इसी संदर्भ में भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच गौतम गंभीर ने कहा है कि उन्हें एक मेंटल कोच की आवश्यकता महसूस हो रही है।

हाल ही में, भारत ने वेस्टइंडीज को दो मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-0 से हराया, और अब टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली है, जो 19 अक्टूबर से शुरू होगा। इस बीच, दिल्ली में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब गंभीर से सवाल किया गया कि क्या शुभमन गिल को मेंटल कोच की आवश्यकता है, तो उन्होंने मजाक में अपनी ही स्थिति का उल्लेख किया।

गंभीर ने उठाया अपनी आवश्यकता का मुद्दा

गंभीर का आज जन्मदिन भी है, और इस दिन भारत ने उन्हें एक जीत का तोहफा दिया है। जब गिल को मेंटल कोच की आवश्यकता पर चर्चा हुई, तो गंभीर ने कहा, “सबसे पहली बात, मुझे जरूरत है।” यह गिल की कप्तानी में भारत की पहली टेस्ट सीरीज जीत है, और उन्होंने इंग्लैंड दौरे पर टीम का नेतृत्व करते हुए मुश्किल हालात में सीरीज को ड्रॉ करवा दिया था। इस सीरीज में गंभीर के कई फैसले आलोचना के घेरे में रहे, लेकिन टीम के अच्छे प्रदर्शन ने उन पर पर्दा डाल दिया।

कोच की जिम्मेदारी और खिलाड़ी का मनोबल

गंभीर ने अपने कोच की जिम्मेदारी को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि जब टीम जीतती है, तो सबकुछ अच्छा होता है, लेकिन जब हार होती है, तो कोच की जिम्मेदारी होती है कि वह खिलाड़ियों का मनोबल बनाए रखें। उन्होंने कहा, “जब टीम जीतती है, तो हर कोई सकारात्मक रहता है। लेकिन जब हार होती है, तो मुझे उन्हें सही मनोबल में रखना होता है।”

याद रहे कि जब टीम इंडिया को अपने घर में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 3-0 से हार का सामना करना पड़ा, तब गंभीर की कोचिंग शैली की आलोचना हुई थी। हालांकि, उनके नेतृत्व में टीम इंडिया ने चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी, लेकिन टेस्ट कोचिंग के मामले में अभी भी गंभीर की क्षमताओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

गंभीर का दृष्टिकोण और भविष्य की चुनौतियाँ

गंभीर ने अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए कहा कि एक कोच का कार्य केवल खिलाड़ियों को तकनीकी रूप से तैयार करने तक सीमित नहीं होता, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य और उनकी मनोवैज्ञानिक स्थिति को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

गंभीर ने कहा, “हमारी टीम में युवा और अनुभवी दोनों तरह के खिलाड़ी हैं। युवा खिलाड़ियों को विशेष देखभाल और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, जबकि अनुभवी खिलाड़ियों को भी कभी-कभी मानसिक समर्थन की आवश्यकता होती है।” उन्होंने आगे कहा कि एक कोच को टीम के हर सदस्य की स्थिति को समझना और उनकी जरूरतों के अनुसार समर्थन प्रदान करना चाहिए।

आगे का रास्ता

अब जब टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली है, गंभीर को एक नई चुनौती का सामना करना होगा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलना हमेशा कठिन होता है, और इस बार गंभीर की कोचिंग शैली पर सभी की नजरें होंगी। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य टीम को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना है ताकि वे कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकें।

गंभीर ने अपनी टीम को प्रेरित करने का प्रयास किया है और उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य न केवल जीतना है, बल्कि हर मैच में अपने खेल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। यह मानसिक मजबूती और उत्साह के बिना संभव नहीं है।” उनकी टीम को एकजुट होकर आने वाले मैचों में अपनी चुनौती का सामना करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

गौतम गंभीर का बयान इस तथ्य को उजागर करता है कि क्रिकेट केवल शारीरिक कौशल का खेल नहीं है, बल्कि मानसिक ताकत भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। एक सफल कोच वही होता है जो अपने खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखता है और उन्हें कठिन समय में संभालने में मदद करता है। अब देखना यह होगा कि गंभीर और उनकी टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने खेल में किस तरह की मानसिक दृढ़ता प्रदर्शित करते हैं।

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