Student Suicides: भारत में एक दशक में 65% की वृद्धि, समग्र आत्महत्याओं से तेज़ – NCRB डेटा



भारत में छात्र आत्महत्याओं की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हाल के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डेटा से स्पष्ट होता है कि 2023 में देश में…

Student Suicides: भारत में एक दशक में 65% की वृद्धि, समग्र आत्महत्याओं से तेज़ – NCRB डेटा

भारत में छात्र आत्महत्याओं की संख्या में चिंताजनक वृद्धि

हाल के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डेटा से स्पष्ट होता है कि 2023 में देश में छात्र आत्महत्याओं की संख्या में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2019 की तुलना में एक गंभीर चिंता का विषय है।

पिछले एक दशक में, छात्र आत्महत्याओं की संख्या में लगभग 65 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 2013 में यह आंकड़ा 8,423 था, जो 2023 में बढ़कर 13,892 हो गया है। यह वृद्धि, कुल आत्महत्या की दर की तुलना में अधिक तेज़ है। 2013 की तुलना में, कुल आत्महत्या के मामलों में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2023 में 1.71 लाख पहुँच गई, जबकि 2013 में यह संख्या 1.35 लाख थी। 2019 की तुलना में, 2023 में आत्महत्या के मामलों में 23 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली।

छात्र आत्महत्याओं का प्रतिशत और पेशे के अनुसार आंकड़े

2023 में, छात्र आत्महत्याओं ने देश में कुल आत्महत्या के मामलों का लगभग 8.1 प्रतिशत हिस्सा बनाया। यह आंकड़ा एक दशक पहले 6.2 प्रतिशत था। पेशे के अनुसार, दैनिक मजदूरों ने 2023 में कुल आत्महत्या के मामलों का 27.5 प्रतिशत हिस्सा लिया, जबकि गृहणियों का हिस्सा 14 प्रतिशत और स्वयं-नियोजित व्यक्तियों का 11.8 प्रतिशत था।

  • छात्र आत्महत्याएं: 13,892 (2023)
  • कुल आत्महत्याएं: 1.71 लाख (2023)
  • दैनिक मजदूरों का आत्महत्या में योगदान: 27.5%
  • गृहणियों का आत्महत्या में योगदान: 14%
  • स्वयं-नियोजित व्यक्तियों का आत्महत्या में योगदान: 11.8%

समाज में आत्महत्या के मामलों का बढ़ता ग्राफ

आत्महत्या के मामलों में इस वृद्धि के कई संभावित कारण हो सकते हैं। छात्रों पर शिक्षण प्रणाली का लगातार बढ़ता दबाव, मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं, और सामाजिक असमानताएं मुख्य कारणों में शामिल हैं। इसके अलावा, छात्रों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी भी इस समस्या को और बढ़ा रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। इसके साथ ही, परिवारों और समाज को भी चाहिए कि वे छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील बनें और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास करें।

समाधान की दिशा में उठाए जाने वाले कदम

इस समस्या के समाधान के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:

  • छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य परामर्श सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाना।
  • विद्यालयों और कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।
  • परिवारों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना।
  • समाज में आत्महत्या के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना।

भारत में आत्महत्या के मामलों में वृद्धि एक गंभीर समस्या है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह केवल छात्रों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। हर किसी को इस दिशा में अपनी भूमिका निभाने की आवश्यकता है, ताकि हम इस समस्या का समाधान कर सकें और एक स्वस्थ और सकारात्मक भविष्य की दिशा में बढ़ सकें।

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