27 अप्रैल, रविवार को वैशाख महीने की अमावस्या है, जिसे सटुवाई अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पूजा के साथ-साथ पितरों के लिए दान करने की परंपरा भी है। ज्योतिष में सूर्य को रविवार का ग्रह माना जाता है, इसलिए इस दिन की शुरुआत सूर्य पूजा से करनी चाहिए। इस अमावस्या पर सत्तू का दान करने का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, वैशाख महीना भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है और इस महीने की अमावस्या तिथि धार्मिक दृष्टि से खास महत्व रखती है।
जोधपुर के ज्योतिषाचार्य अनिश व्यास ने बताया कि इस वर्ष वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल को है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से, भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। गर्मी के मौसम को देखते हुए, इस अमावस्या पर जरूरतमंदों को जूते, चप्पल, पानी, कपड़े, भोजन और छाते का दान करना चाहिए। अमावस्या को एक पर्व के रूप में भी देखा जाता है और इस दिन का स्वामी पितर देव माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य अनिश व्यास ने कहा कि वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल 2025 को पड़ेगी। इस दिन का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है और इसे कई पवित्र कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान, पितृ तर्पण, पितृ पूजा और दान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। साथ ही, अमावस्या के दिन शनि देव और भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन की आध्यात्मिक गतिविधियाँ जीवन में समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाने का एक महत्वपूर्ण साधन मानी जाती हैं।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अमावस्या का स्नान और दान विशेष महत्व रखता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें और उसके बाद दान करें। जरूरतमंदों को भोजन और मौसमी फल जैसे आम, तरबूज, और खरबूजा दें। जूते, चप्पल, कपड़े और छाते का भी दान करें। गायों को चारा देकर उनकी देखभाल करें। अमावस्या पर सूर्योदय से पहले स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।
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इस दिन पितरों के लिए विशेष रूप से चावल सत्तू का दान किया जाता है। इसे दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं। चावल को देवताओं का भोजन माना जाता है और यह हर यज्ञ में प्रयुक्त होता है।
वैशाख अमावस्या का महत्व इस बात में है कि इस दिन किए गए सभी पुण्य कार्य विशेष फल देते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, जब सूर्य मेष राशि में होता है, तब अमावस्या का स्नान और दान विशेष फलदायी होता है। इस दिन अगर कोई व्यक्ति अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करता है, ब्राह्मणों को भोजन कराता है और पिंडदान करता है, तो न केवल उसके पितर खुश होते हैं, बल्कि उसे भी मोक्ष प्राप्त होता है।
– डॉ. अनिश व्यास
ज्योतिषी और भविष्यवक्ता