राजस्थान में मौसमी बीमारियों का बढ़ता प्रकोप
राजस्थान में मौसम में बदलाव के साथ ही मौसमी बीमारियों के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिसमें सबसे ज्यादा वायरल इन्फेक्शन के मरीज शामिल हैं। बुखार, खांसी, और हाथ-पैर में दर्द जैसी समस्याओं से पीड़ित मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।
हाल ही में हुई बारिश और उसके बाद की हल्की सर्दी ने लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। कई लोग ठंड लगने के कारण बुखार से प्रभावित हो रहे हैं, जो कि 10 दिन से अधिक समय तक भी नहीं उतर पा रहा है। इस दौरान प्लेटलेट्स की कमी की स्थिति भी देखी जा रही है, हालाँकि डेंगू और मलेरिया की रिपोर्ट अभी तक नेगेटिव आई है।
बुखार और खांसी के मामले बढ़ते जा रहे हैं
केशवपुरा स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर यावर खान ने बताया कि वर्तमान में सबसे ज्यादा मरीज वायरल से प्रभावित हैं। उन्हें लक्षणों के आधार पर दवाइयाँ दी जा रही हैं, लेकिन इस बार मरीजों के बुखार का ठीक होने में समय लग रहा है। डॉक्टर की जानकारी के अनुसार, हर दिन लगभग 8 से 10 ऐसे मरीज अस्पताल आते हैं जिनका बुखार और खांसी 10 दिन बाद भी ठीक नहीं हो रही है। एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन उनका प्रभाव भी कम होता दिखाई दे रहा है। इस कारण मरीजों को ठीक होने में दो सप्ताह तक का समय लग सकता है।
इस स्थिति में मरीजों को दवाओं का कोर्स लंबा चलाना पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि बीमारी की गंभीरता को देखते हुए सही उपचार के लिए उचित मात्रा में दवाओं का सेवन आवश्यक है।
डेंगू और गैस्ट्रोएंटेराइटिस के मामलों में वृद्धि
डॉक्टरों ने बताया कि मरीजों की संख्या में वृद्धि के कारण लक्षण देखकर मलेरिया और डेंगू की जांच भी की जा रही है, लेकिन रिपोर्टें नेगेटिव आ रही हैं। इसके बावजूद, डेंगू जैसे लक्षणों के आधार पर मरीजों का इलाज जारी है। इसके अलावा, गैस्ट्रोएंटेराइटिस के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है, जिसमें दस्त, उल्टी और पेट दर्द जैसी समस्याएं शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम के परिवर्तन के कारण इस प्रकार की समस्याएं आमतौर पर बढ़ जाती हैं। बारिश की वजह से वायरस और बैक्टीरिया की संख्या में वृद्धि हो जाती है, जिससे संक्रमण का जोखिम भी बढ़ता है। इसके साथ ही, घरों में सफाई के चलते भी एलर्जी के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
बदलते पैटर्न और म्यूटेशन के कारण बीमारी का बढ़ता प्रकोप
डॉक्टर यावर खान ने बताया कि मौसमी बीमारियों के पैटर्न में बदलाव का मुख्य कारण लोगों की इम्यूनिटी का कमजोर होना और वायरस तथा बैक्टीरिया का म्यूटेशन होना है। जब लोग सामान्य सर्दी-खांसी के लिए स्वयं से एंटीबायोटिक्स का सेवन करते हैं, तो इससे दवाओं का प्रभाव कम होता जा रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि लोगों की इम्यूनिटी कमजोर हो रही है, और वायरस के म्यूटेशन के कारण उनकी प्रभावशीलता बढ़ रही है।
इस प्रकार, मौसमी बीमारियों का यह प्रकोप राजस्थान में लोगों की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि नागरिकों को सावधानी बरतनी चाहिए और स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना आवश्यक है ताकि इस बीमारी से बचा जा सके।
अंत में, राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वे इस समस्या के समाधान के लिए उचित कदम उठाएं और जनता को जागरूक करें ताकि मौसमी बीमारियों के मामलों में कमी लाई जा सके।























