बालोतरा के जसोल गांव में श्मशान घाट पर अतिक्रमण के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन
राजस्थान के बालोतरा स्थित जसोल गांव में श्मशान घाट से अतिक्रमण हटाने और अवैध निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने विधायक आवास के बाहर धरना दिया। इस धरने के दौरान ग्रामीणों ने अपनी आवाज उठाते हुए शुक्रवार को जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा। यह कदम तब उठाया गया जब ग्रामीणों की शिकायतें अनसुनी हो गईं और उन्होंने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने का निर्णय लिया।
ग्रामीण नेता नारायण पालीवाल ने बताया कि जसोल नगर के सार्वजनिक श्मशान घाट के आगे अवैध निर्माण कार्य हो रहा है, जो स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय है। उनका कहना है कि श्मशान घाट क्षेत्र का उपयोग आमजन के लिए आरक्षित है, और इस पर किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य या कब्जा नहीं होना चाहिए। ग्रामीणों का मानना है कि श्मशान घाट का स्थान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्णता रखता है, इसलिए इसे किसी भी प्रकार के अतिक्रमण से बचाना आवश्यक है।
अतिक्रमण के खिलाफ ग्रामीणों की एकजुटता
ग्रामीणों ने नगर पालिका द्वारा विकास के नाम पर जारी की गई एनओसी को भी जनहित में निरस्त करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह एनओसी अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रही है और इससे स्थानीय लोगों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। इस मुद्दे पर ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों का निस्तारण अगले पांच दिनों के भीतर नहीं किया गया, तो वे जिला कलेक्टर कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू करेंगे।
- अतिक्रमण हटाने की मांग
- अवैध निर्माण कार्यों पर रोक
- एनओसी का निरस्तीकरण
- अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी
ग्रामीणों ने एकजुट होकर यह संकल्प लिया है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस धरने में शामिल ग्रामीणों ने कहा कि श्मशान घाट का स्थान न केवल एक अंतिम संस्कार स्थल है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा भी है। इसलिए, इसे किसी भी प्रकार की अतिक्रमण से मुक्त रखना आवश्यक है।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
इस मामले में स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर से अपेक्षा की है कि वे इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान दें और उचित कार्रवाई करें। प्रशासन को चाहिए कि वह इस समस्या का समाधान निकाले और ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से ले। यदि प्रशासन इस समस्या को नजरअंदाज करता है, तो इससे ग्रामीणों में असंतोष बढ़ सकता है और स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
ग्रामीणों ने कहा कि वे अपने हक के लिए किसी भी प्रकार का संघर्ष करने को तैयार हैं। उनका मानना है कि यदि वे एकजुट रहेंगे, तो वे अपने अधिकारों की रक्षा करने में सफल होंगे। इस प्रकार के आंदोलन न केवल स्थानीय मुद्दों को उठाने का एक साधन हैं, बल्कि यह स्थानीय समुदाय की एकता और सहानुभूति को भी दर्शाते हैं।
समुदाय की एकता और आगे की रणनीति
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर अन्य गांवों के लोगों को भी जागरूक करेंगे, ताकि उनके साथ भी इस प्रकार के मुद्दों पर चर्चा की जा सके। उनका मानना है कि जब तक सभी समुदाय एकजुट नहीं होंगे, तब तक इस तरह की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकेगा।
इस प्रकार, जसोल गांव के ग्रामीणों का यह संघर्ष न केवल उनके लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण पेश करता है। उनकी एकता और साहस से यह स्पष्ट होता है कि जब लोग अपनी आवाज उठाते हैं, तो वे अपने अधिकारों के लिए लड़ सकते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है और ग्रामीणों की मांगों का समाधान कैसे होता है।