राजस्थान विधानसभा में 9 बिलों को मिली मंजूरी
राजस्थान के राजभवन ने विधानसभा के मानसून सत्र में पारित **9 महत्वपूर्ण बिलों** को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी सदन से पारित होने के **30 दिन** के भीतर मिली है, जो इस बात का संकेत है कि सरकार इन विधेयकों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए तत्पर है। इनमें से कुछ विधेयक जबरन धर्म परिवर्तन, मछली के अवैध कारोबार, कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित हैं।
राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण विधेयक
इस विधेयक को **19 मार्च** को विधानसभा में पेश किया गया था और इसे **24 मार्च** को प्रवर समिति के पास भेजा गया। अंततः यह विधेयक **3 सितंबर** को पारित किया गया। इस कानून के तहत राज्य के सभी कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही, संस्थानों को छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता और अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए एक परामर्श प्रणाली स्थापित करनी होगी। इस विधेयक का प्रमुख उद्देश्य छात्रों में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को रोकना है, जो एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
राजस्थान मत्स्य क्षेत्र संशोधन विधेयक-2025
यह विधेयक **3 सितंबर** को विधानसभा में पेश किया गया और **8 सितंबर** को पारित किया गया। इस विधेयक में अवैध मछली पकड़ने के मामलों में जुर्माना राशि को **500 रुपए** से बढ़ाकर **25 हजार रुपए** कर दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति पहली बार इस अपराध में लिप्त पाया जाता है, तो उसे **25 हजार रुपए** का जुर्माना और **3 महीने** की कैद की सजा या दोनों दी जा सकती है। वहीं, अपराध दोहराने पर जुर्माना **50 हजार रुपए** और **6 महीने** की जेल या दोनों सजा हो सकती है।
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के तहत आयुर्विज्ञान संस्थान
इसके अलावा, **आयुर्विज्ञान संस्थान जयपुर विधेयक** भी **3 सितंबर** को सदन में पेश किया गया और इसे **8 सितंबर** को पारित किया गया। सरकार ने इससे पहले **राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक-2025** को भी पारित किया था। इस विधेयक के माध्यम से एम्स दिल्ली की तर्ज पर एक स्वायत्त और विश्वस्तरीय सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थान स्थापित किया जाएगा। इसमें आरयूएचएस के संबद्ध कॉलेज और राज्य के कैंसर संस्थान जयपुर को शामिल किया जाएगा। यहां पात्र मरीजों को सरकारी योजनाओं के तहत मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे दूसरे सरकारी अस्पतालों पर बोझ कम होगा।
भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण विधेयक
यह विधेयक विधानसभा ने **10 सितंबर** को पारित किया। इसे पहली बार पिछले साल **26 जुलाई** को पेश किया गया था, लेकिन इसे **1 अगस्त** को प्रवर समिति को भेजा गया। बजट सत्र में सहमति न बनने के कारण इसे **19 मार्च** को फिर से समिति के पास भेजा गया। इस विधेयक का उद्देश्य भूजल संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना करना है, जिससे सभी कृषि उपयोगकर्ताओं को भूजल उपयोग के लिए प्राधिकरण से अनुमति लेनी होगी।
राजस्थान भू-राजस्व संशोधन एवं विधि मान्यकरण विधेयक
इस विधेयक को **25 फरवरी** को बजट सत्र में प्रस्तुत किया गया था और इसे **21 मार्च** को पहली बार प्रवर समिति को भेजा गया। अंततः यह विधेयक **10 सितंबर** को सदन से पारित कर दिया गया। इसमें रीको को अपने क्षेत्रों में भूमि प्रबंधन और उपयोग परिवर्तन के अधिकार दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण पहले रीको की जमीनों पर लैंड यूज बदलने पर रोक थी, जिसे अब हटा दिया गया है। इससे पुराने विवाद समाप्त होंगे और निवेश में वृद्धि होगी। रीको अपने औद्योगिक क्षेत्रों के प्लांटों का नियमितीकरण, ट्रांसफर, सब डिवीजन, मर्जर और नियमितीकरण कर सकेगा।
निष्कर्ष
राजस्थान विधानसभा द्वारा पारित ये विधेयक न केवल राज्य की कानून व्यवस्था को सुधारने में सहायक हैं, बल्कि वे समाज में व्याप्त कुछ गंभीर समस्याओं का समाधान भी प्रदान करेंगे। विशेष रूप से छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और भूजल संकट जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना, सरकार की सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। ऐसे में इन विधेयकों का प्रभावी कार्यान्वयन राजस्थान की विकास यात्रा में एक नई दिशा प्रदान करेगा।