सीकर में NSUI ने किया आक्रोश रैली का आयोजन
**राजस्थान** से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां छात्र संगठन **NSUI** ने प्रदेशाध्यक्ष **विनोद जाखड़** और अन्य सदस्यों की रिहाई की मांग को लेकर आज **सीकर** में एक आक्रोश रैली का आयोजन किया। यह रैली **डाक बंगला** से शुरू होकर **कलेक्ट्रेट** तक पहुंची। रैली के दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने मुख्यमन्त्री के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।
आक्रोश रैली निकालते हुए NSUI पदाधिकारी और कार्यकर्ता।
राजस्थान विश्वविद्यालय में विवादित कार्यक्रम
रैली के दौरान **NSUI** के सीकर जिलाध्यक्ष **ओमप्रकाश नागा** ने बताया कि हाल ही में **राजस्थान विश्वविद्यालय** में एक संगठन द्वारा **शस्त्र पूजा** का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। यह संगठन historically अंग्रेजों की मुखबिरी करने के लिए जाना जाता था। ओमप्रकाश नागा ने कहा, “भाजपा के सहयोग से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था, जहां छात्रों की पढ़ाई हो रही है।” उनके अनुसार, जब एनएसयूआई ने इसका विरोध किया, तो प्रशासन ने उन पर लाठीचार्ज किया।
उन्होंने आगे कहा कि विनोद जाखड़ और उनके साथी दो से तीन दिनों तक थानों में इधर-उधर घुमाए गए और अंततः उन्हें जेल में डाल दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम ने छात्रों में भारी आक्रोश उत्पन्न किया है।
CM भजनलाल शर्मा का पुतला जलाते हुए।
सरकार के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार
ओमप्रकाश नागा ने कहा, “भाजपा के शासन में छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है। राजस्थान विश्वविद्यालय में शस्त्रों की पूजा करवाकर प्रशासन क्या संदेश देना चाह रहा है? संविधान में विरोध करने का अधिकार सभी को है। तो फिर एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया गया?”
उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि जल्द से जल्द विनोद जाखड़ और अन्य साथियों की रिहाई नहीं की जाती है, तो एनएसयूआई को मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा। उनका कहना था कि इस स्थिति की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी।
छात्रों का एकजुट होना आवश्यक
एनएसयूआई के इस प्रदर्शन ने स्पष्ट कर दिया है कि छात्रों में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का साहस मौजूद है। यह रैली केवल एक संगठन की रिहाई की मांग नहीं, बल्कि छात्रों के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए एक मजबूत संदेश है। यदि प्रशासन और सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है।
ऐसे में, यह देखना होगा कि क्या सरकार इस मामले का समाधान निकालेगी या छात्रों को अपने अधिकारों के लिए और भी अधिक संघर्ष करना पड़ेगा।
आगे की राह
इस आक्रोश रैली के बाद, एनएसयूआई ने स्पष्ट किया है कि वे अपने नेता और साथियों की रिहाई के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। छात्रों का यह आंदोलन केवल सीकर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे राज्यभर में फैलाने का प्रयास किया जाएगा। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे अपनी आवाज उठाने से पीछे नहीं हटेंगे और छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
इस प्रकार, सीकर में आयोजित यह आक्रोश रैली न केवल एक संगठन के लिए एकजुटता का प्रतीक है, बल्कि यह छात्रों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम भी है।