Loan Sharks: सूदखोरों की क्रूरता ने तबाह किया हंसता-खेलता परिवार, सरकारी अधिकारी ने आत्महत्या कर न्याय की गुहार लगाई, सुसाइड नोट में 7 लोगों को जिम्मेदार ठहराया



झुंझुनूं में सूदखोरों की क्रूरता से हुआ एक परिवार का विनाश झुंझुनूं जिले में रसूखदार सूदखोरों की बेरहमी ने एक हंसते-खेलते परिवार को नष्ट कर दिया है। महिला अधिकारिता विभाग…

Loan Sharks: सूदखोरों की क्रूरता ने तबाह किया हंसता-खेलता परिवार, सरकारी अधिकारी ने आत्महत्या कर न्याय की गुहार लगाई, सुसाइड नोट में 7 लोगों को जिम्मेदार ठहराया

झुंझुनूं में सूदखोरों की क्रूरता से हुआ एक परिवार का विनाश

झुंझुनूं जिले में रसूखदार सूदखोरों की बेरहमी ने एक हंसते-खेलते परिवार को नष्ट कर दिया है। महिला अधिकारिता विभाग में सहायक प्रशासनिक अधिकारी सुरेश सैन (54) ने सूदखोरों की मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। उनका शव रविवार, 12 अक्टूबर को कोतवाली थाना क्षेत्र के बीरबल मार्केट के बेसमेंट में फंदे पर लटका हुआ मिला। इस दुखद घटना में एक चार पेज का सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें उन्होंने अपनी मौत के लिए आठ लोगों को जिम्मेदार ठहराया है।

सुरेश की आत्महत्या ने उनके परिवार के लिए एक भयंकर सदमा दिया है। माता-पिता का सहारा छिन गया, पत्नी की मांग सूनी हो गई, और बेटे-बेटी के सिर से पिता का साया उठ गया। अब यह परिवार सिर्फ एक न्याय की गुहार लगा रहा है कि उन आठ नामजद गुनहगारों को सजा मिले, जिन्होंने उन्हें इस दर्दनाक स्थिति में पहुंचाया। सुरेश ने सुसाइड नोट में अपने परिवार से माफी मांगते हुए लिखा है कि वह इस मानसिक प्रताड़ना को और सहन नहीं कर सकते थे।

सुसाइड नोट में छलका सुरेश का दर्द

पुलिस को मिले सुसाइड नोट में सुरेश ने स्पष्ट रूप से उन आठ रसूखदार लोगों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है, जिनके नाम हैं: सुधीर कटारिया, सुरेंद्र कुमार आनंदपुरिया, देवकरण फगेड़िया, ताराचंद मारिगसर, यूनुस ठेकेदार, बीजू अणगासर, और रामनिवास महला। सुरेश ने लिखा कि उन्होंने 1 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज चुकाने के बावजूद, ये सूदखोर उन्हें लगातार मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे।

सुरेश के परिवार का कहना है कि उन्होंने पहले ही कोतवाली पुलिस और एसपी को कई बार शिकायत दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। न्याय की आस में भटकने और अधिकारियों द्वारा नजरअंदाज किए जाने के कारण सुरेश ने यह आत्मघाती कदम उठाने का निर्णय लिया। सुरेश के जीजा महेंद्र ने बताया कि शनिवार शाम सुरेश ने उन्हें कॉल किया था, लेकिन वह फोन नहीं उठा पाए, जिसका उन्हें अब गहरा मलाल है।

परिवार की मांग: आरोपियों को मिले कड़ी सजा

मृतक के परिवार ने सभी नामजद आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए मामला दर्ज कराया है। कोतवाली पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर बीडीके अस्पताल में पोस्टमॉर्टम कराया। परिवार न्याय की आस में है और यह चाहता है कि सुरेश के मामले में उचित कार्रवाई की जाए।

सुसाइड नोट से सामने आई सूदखोरों की क्रूर दास्तान

सुरेश के सुसाइड नोट में सूदखोरों की क्रूरता का ब्योरा दिया गया है। उन्होंने अलग-अलग आरोप लगाए हैं, जैसे:

  • सुधीर कटारिया: सुरेश ने लिखा कि उन्होंने उनकी पत्नी के नाम की संपत्ति को साजिश के तहत 45 लाख रुपए में हड़प लिया और इसके लिए उन्होंने सुरेश और उनकी पत्नी से पांच-पांच खाली चेक पर हस्ताक्षर करवा लिए।
  • सुरेंद्र कुमार आनंदपुरिया: सुरेश ने सुरेंद्र पर बीस लाख रुपए के लेन-देन में धोखाधड़ी का आरोप लगाया, जिसमें सुरेंद्र ने सुरेश के कार्यालय और दुकान पर कब्जा कर लिया।
  • देवकरण फगेड़िया: सुरेश ने बताया कि उन्होंने 40 लाख रुपए उधार दिए थे, लेकिन देवकरण ने चेक और रजिस्ट्री वापस नहीं की।
  • ताराचंद मारिगसर: सुरेश ने कहा कि ताराचंद ने उधार लिया हुआ पैसा लौटाने के बाद भी ब्याज मांगना जारी रखा।
  • यूनुस ठेकेदार: सुरेश ने बताया कि यूनुस ने 35 लाख रुपए का चेक जबरदस्ती ले लिया था।
  • बीजू अणगासर: सुरेश ने बताया कि बीजू ने उनका एक चेक कोर्ट में 6 लाख रुपए के लिए लगा दिया।
  • ताराचंद कुंडली वाले और रामनिवास महला: सुरेश ने लिखा कि ताराचंद से लिए 5 लाख रुपए का उधार चुकाया जाना था, और रामनिवास ने गिरवी रखी जमीन लौटाने से इनकार कर दिया।

निष्कर्ष

सुरेश सैन की आत्महत्या ने यह साबित कर दिया है कि सूदखोरी की समस्या हमारे समाज में कितनी गंभीर है। यह घटना न केवल एक व्यक्ति की जिंदगी का अंत है, बल्कि एक परिवार के लिए भी एक भयंकर त्रासदी है। अब परिवार को न्याय की उम्मीद है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या न्यायालय और पुलिस इस मामले में उचित कार्रवाई करते हैं।

सुरेश सैन के इस दुखद मामले ने एक बार फिर से हमें याद दिलाया है कि हमें समाज में व्याप्त अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

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