Fire: राजस्थान में एसएमएस ट्रॉमा सेंटर में आग के बाद मरीजों को आफत, मुख्य ऑपरेशन थिएटर बंद, वार्डों में मशीनें खराब; आईसीयू के 24 बेड हुए कम



जयपुर के SMS हॉस्पिटल में आग का भीषण हादसा: 8 लोगों की मौत राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित सवाई मान सिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में हाल ही में…

Fire: राजस्थान में एसएमएस ट्रॉमा सेंटर में आग के बाद मरीजों को आफत, मुख्य ऑपरेशन थिएटर बंद, वार्डों में मशीनें खराब; आईसीयू के 24 बेड हुए कम

जयपुर के SMS हॉस्पिटल में आग का भीषण हादसा: 8 लोगों की मौत

राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित सवाई मान सिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में हाल ही में लगी आग ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को उजागर किया है। इस घटना में 8 लोगों की जान चली गई, जिसके बाद मरीजों के लिए स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। ट्रॉमा सेंटर के मुख्य ऑपरेशन थिएटर (OT) बंद हो गए हैं, जिससे गंभीर मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ है।

आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की कमी

आग लगने के कारण ट्रॉमा सेंटर के दोनों आईसीयू वार्ड और ऑपरेशन थिएटर में काफी नुकसान हुआ है। अब वहां केवल 22 आईसीयू बेड बचे हैं, जबकि पहले 46 बेड थे। इनमें से 6 बेड इमरजेंसी में हैं और 16 बेड पोली ट्रॉमा वार्ड में हैं। डॉक्टरों ने बताया कि इस ऑपरेशन थिएटर में 8 ओटी टेबल हैं, जिन पर रोजाना औसतन 3 से 4 मरीजों का ऑपरेशन किया जाता था।

क्षति के कारण वार्ड में रखी मशीनें भी खराब हो गई हैं। ऐसे में गंभीर मरीजों के लिए इलाज करना और भी कठिन हो गया है। ट्रॉमा सेंटर में ज्यादातर मरीज गंभीर अवस्था में आते हैं, जिसमें अधिकतर को आईसीयू की आवश्यकता होती है। यह प्रदेश का सबसे बड़ा ट्रॉमा सेंटर है, जहाँ अन्य राज्यों से भी मरीज रेफर होकर आते हैं।

नए अधीक्षक का कार्यभार संभालना

इस घटना के बाद सरकार ने एसएमएस हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी और ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज डॉ. अनुराग धाकड़ को उनके पद से हटा दिया है। उनकी जगह डॉ. मृणाल जोशी को अधीक्षक और डॉ. बी.एल. यादव को ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नए अधीक्षक डॉ. जोशी ने आज कार्यभार संभालते ही ट्रॉमा सेंटर के घटनास्थल का दौरा किया और व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया।

डॉ. जोशी ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि ट्रॉमा सेंटर का इन्फ्रास्ट्रक्चर और एचआर मैनेजमेंट को सुधारें। उन्होंने यह भी कहा कि वह पूरे हॉस्पिटल के इन्फ्रास्ट्रक्चर, मशीनरी और अन्य संसाधनों की चैकिंग कराएंगे।

परिजनों की शिकायतें और अन्य घटनाएं

इस आग की घटना के बाद परिजनों ने भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि स्टाफ ने जलते हुए मरीजों को छोड़कर भागने का काम किया। कुछ परिवारों ने कहा कि उन्हें 20 मिनट पहले ही आग लगने की जानकारी मिली थी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस घटना में कई मरीजों का दम घुटने से भी निधन हुआ है।

  • कांच चुभने से घायल हुए लोग: कई परिजनों ने बताया कि वे अपने प्रियजनों को बचाने के लिए अंदर पहुँचे, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।
  • स्मॉक डिटेक्टर की विफलता: आग लगने के समय स्मॉक डिटेक्टर ने काम नहीं किया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
  • बचाव कार्य: आग लगने के बाद 16 से ज्यादा मरीजों को बचाया गया, लेकिन इसके बावजूद कई मरीजों को सड़क पर ले जाना पड़ा।

आग की जांच और भविष्य की योजनाएं

आग लगने के कारणों की जांच जारी है। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, शॉर्ट सर्किट को आग लगने का मुख्य कारण माना जा रहा है। सरकार ने इस मामले की गहन जांच का आदेश दिया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

इस हादसे ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों को अब यह चिंता है कि क्या ऐसे बड़े अस्पतालों में सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा है। आने वाले समय में अस्पताल प्रशासन को कई सुधार करने की आवश्यकता होगी ताकि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

निष्कर्ष

जयपुर के SMS हॉस्पिटल में हुई इस आग की घटना ने न केवल मरीजों के लिए संकट पैदा किया है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़ा किया है। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा।

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