कान्हा टाइगर रिजर्व में वन्यजीव संरक्षण सप्ताह का आयोजन
मंडला। कान्हा टाइगर रिजर्व के सिझोरा उपवनमंडल में 4 अक्टूबर 2025 को वन्यजीव संरक्षण सप्ताह के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सरही इंटरप्रिटेशन सेंटर में संपन्न हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पारंपरिक लोक संस्कृति को प्रोत्साहित करना था।
ईको विकास समितियों की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यक्रम में सिझोरा उपवनमंडल के तीनों परिक्षेत्रों से 12 ईको विकास समितियों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों ने पर्यावरण, वन, वन्यजीव सुरक्षा और कान्हा टाइगर रिजर्व के महत्व पर आधारित लोक गीत प्रस्तुत किए। इसके अतिरिक्त, तीन समितियों ने अहीर, सैला और बैगा जैसी पारंपरिक नृत्य प्रस्तुतियों का भी आयोजन किया, जिससे कार्यक्रम में जीवंतता बनी रही।
स्थानीय खानपान का प्रमोशन
कार्यक्रम के दौरान स्थानीय खानपान को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक व्यंजनों के स्टॉल लगाए गए। इन स्टॉलों पर विभिन्न प्रकार के पकवान उपलब्ध थे, जिनमें कोदो का चावल, कुटकी की खीर, उड़द की दाल, चेच की भाजी, मक्का पेज, उड़द बड़ा, चावल चीला, पुदीना चटनी, मक्का रोटी और महुआ-सोंठ लड्डू शामिल थे। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और उपस्थित लोगों ने इन पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लिया।
प्रतिनिधियों की उपस्थिति और पुरस्कार वितरण
इस अवसर पर बिछिया विधानसभा क्षेत्र के विधायक नारायण सिंह पट्टा सहित कई अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में 250 से अधिक ईको विकास समिति के सदस्य, स्थानीय जनप्रतिनिधि और पर्यटक बड़ी संख्या में शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन कान्हा टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक और उप संचालक के मार्गदर्शन में किया गया, जो कि कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वन्यजीव संरक्षण और लोक संस्कृति का महत्व
उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने वन्यजीव संरक्षण और लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के इस प्रयास की सराहना की। इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन न केवल वन्यजीवों के प्रति जागरूकता बढ़ाता है, बल्कि स्थानीय संस्कृति को भी संरक्षित करता है। अंत में, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों ने सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहन पुरस्कार देकर सम्मानित किया, जिससे सभी को अपने प्रयासों की सराहना मिली।
सारांश
कान्हा टाइगर रिजर्व में आयोजित यह कार्यक्रम वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने और स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। इसने न केवल क्षेत्र की पारंपरिक संस्कृति को जीवित रखा, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रति स्थानीय समुदाय की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया। ऐसी गतिविधियाँ आगे चलकर न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक होंगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर प्रदान करेंगी।
इस प्रकार के आयोजन वन्यजीव संरक्षण के लिए आवश्यक हैं, जिससे हम अपने प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा कर सकें।