Weather Update: एमपी में अब दिन में धूप, रात में ठंडक; पूर्वी हिस्से में 2 दिन बूंदाबांदी के आसार, मानसून की वापसी भी संभव



मध्य प्रदेश में मौसम का बदलाव: मानसून की विदाई मध्य प्रदेश में इस समय मौसम में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। दिन में तेज धूप का सामना करना…

Weather Update: एमपी में अब दिन में धूप, रात में ठंडक; पूर्वी हिस्से में 2 दिन बूंदाबांदी के आसार, मानसून की वापसी भी संभव

मध्य प्रदेश में मौसम का बदलाव: मानसून की विदाई

मध्य प्रदेश में इस समय मौसम में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। दिन में तेज धूप का सामना करना पड़ रहा है जबकि रात में ठंडी हवाएं चलने लगी हैं। मौसम विभाग ने संकेत दिए हैं कि अगले 2 से 3 दिनों में प्रदेश से मानसून की विदाई हो जाएगी। हालांकि, पूर्वी हिस्से के कुछ जिलों में बूंदाबांदी की संभावना बनी हुई है। इस बीच, बुधवार को प्रदेश के किसी भी हिस्से में बारिश नहीं होने की सूचना है।

मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश के 12 जिलों—ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी, गुना, आगर-मालवा, नीमच, मंदसौर और रतलाम—से मानसून पूरी तरह विदा हो चुका है। जबकि राजगढ़ और अशोकनगर के कुछ हिस्सों से यह लौटने की प्रक्रिया में है। वर्तमान में प्रदेश में बारिश के लिए कोई सक्रिय सिस्टम मौजूद नहीं है, जिससे मानसून के लौटने की परिस्थितियां अनुकूल हो गई हैं।

अगले 3 दिनों का मौसम पूर्वानुमान

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले 3 दिनों में प्रदेश में धूप और छांव का मौसम रहेगा, जिसमें पूर्वी हिस्से के कुछ जिलों में बूंदाबांदी संभव है। वहीं, भोपाल, इंदौर, उज्जैन और ग्वालियर में दिन में तेज धूप की उम्मीद है। इस दौरान, कई शहरों में रात का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। उदाहरण के लिए, 8-9 सितंबर को धार, इंदौर और राजगढ़ में तापमान 17.6 से 17.7 डिग्री के बीच रहा।

भोपाल में तापमान 19.6 डिग्री, उज्जैन में 19 डिग्री, ग्वालियर में 22.1 डिग्री और जबलपुर में 21 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इस प्रकार, मध्य प्रदेश में तापमान में गिरावट का दौर शुरू हो गया है, जिससे लोगों को रातों में ठंड का अनुभव होने लगा है।

मध्य प्रदेश में मानसून की बारिश की स्थिति

इस वर्ष मध्य प्रदेश में मानसून के दौरान हुई बारिश की स्थिति भी काफी दिलचस्प रही है। गुना जिले में सबसे अधिक **65.6 इंच** बारिश दर्ज की गई है। वहीं, मंडला-रायसेन में 62 इंच से अधिक और श्योपुर-अशोकनगर में 56 इंच से अधिक बारिश हुई है। इसके विपरीत, शाजापुर, खरगोन, खंडवा, बड़वानी और धार जैसे जिलों में बारिश की मात्रा कम रही है। शाजापुर में **28.9 इंच**, खरगोन में **29.6 इंच**, खंडवा में **32 इंच**, बड़वानी में **33.5 इंच** और धार में **33.6 इंच** बारिश हुई है।

इंदौर और उज्जैन संभाग की स्थिति भी इस मानसूनी सीजन में काफी बेहतर हुई है। प्रारंभ में इंदौर में बारिश की कमी थी, लेकिन सितंबर में हुई तेज बारिश ने स्थिति को बदल दिया। अब इंदौर में सामान्य बारिश का कोटा पूरा हो चुका है। हालांकि, उज्जैन में अब भी बारिश का कोटा पूरा नहीं हुआ है, और यह जिले सबसे कम बारिश वाले जिलों में शामिल है।

ग्वालियर और चंबल-सागर क्षेत्र की बारिश का हाल

ग्वालियर और चंबल-सागर क्षेत्र में भी इस वर्ष मानसून ने जमकर बारिश की है। यहां के सभी 8 जिलों में बारिश की मात्रा सामान्य से अधिक रही है। इन जिलों में ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, दतिया और श्योपुर शामिल हैं। जबकि मध्य प्रदेश के पूर्वी हिस्से में जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में भी काफी अच्छी बारिश हुई है।

इस मानसूनी सीजन में कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन अब मौसम में सुधार हो रहा है, जिससे लोगों को राहत मिली है।

अक्टूबर में मौसम का पूर्वानुमान

अक्टूबर महीने में मौसम की स्थिति भी काफी महत्वपूर्ण होती है। भोपाल में सामान्य औसत अधिकतम तापमान **32.7 डिग्री** और न्यूनतम तापमान **19.1 डिग्री** सेल्सियस रहता है। पिछले कुछ वर्षों में तापमान 33 डिग्री के पार पहुंच चुका है, जबकि 2012 में रिकॉर्ड **38 डिग्री** सेल्सियस दर्ज किया गया था। इसी तरह, इंदौर में भी अक्टूबर के दौरान तापमान में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।

इंदौर में इस महीने का न्यूनतम तापमान कभी-कभी **6.2 डिग्री** तक गिर जाता है। ग्वालियर में अक्टूबर में तापमान **39 डिग्री** तक पहुंच सकता है, जबकि जबलपुर में औसत अधिकतम तापमान **31.8 डिग्री** सेल्सियस रहता है। उज्जैन में भी पिछले 10 वर्षों में 3 साल बारिश नहीं हुई।

इस प्रकार, मध्य प्रदेश का मौसम न केवल अपने विविध स्वरूप के लिए जाना जाता है, बल्कि हर मौसम में उसकी विशेषताएं भी हैं, जो इसे अन्य राज्यों से अलग बनाती हैं। आगामी दिनों में मौसम की स्थिति पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा, ताकि किसान और आम जनता दोनों ही सही निर्णय ले सकें।

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