खंडवा में दुर्गा विसर्जन के दौरान भीषण हादसा, 11 लोगों की गई जान
खंडवा जिले में दुर्गा विसर्जन के अवसर पर एक भयानक दुर्घटना ने 11 लोगों की जान ले ली। यह हादसा अर्दला डैम के बैकवाटर में एक ट्रैक्टर-ट्रॉली के पलटने से हुआ। ट्रॉली में करीब 30 लोग सवार थे, जो दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के लिए जा रहे थे। यह घटना उस गांव के बाहर हुई, जहां के लोग तुरंत इकट्ठा हुए और तैराक युवकों ने 12-15 लोगों को बचाने की कोशिश की।
स्थानीय लोगों ने तैरकर 10 शव और 3 घायलों को बाहर निकाला। इसके बाद एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और सर्च अभियान चलाया, जिसमें आखिरी शव एक 7 वर्षीय बच्ची का मिला, जो बैकवाटर में पुलिया के नीचे फंसी हुई थी। यह हादसा न केवल दुखद है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दा भी उठाता है।
दुर्गा विसर्जन की तैयारी और घटनाक्रम
हादसे का शिकार होने वाले लोग पाडलफाटा गांव के निवासी थे। घटना स्थल से उनके गांव की दूरी लगभग 8 किलोमीटर है। दुर्गा विसर्जन की प्रक्रिया से पहले, गांव के लोगों ने गुरूवार को सुबह की आरती की और हवन-पूजन के बाद शोभायात्रा निकाली। इस दौरान बच्चों और महिलाओं ने गांव में नाच-गाना किया। इसके बाद तय किया गया कि विसर्जन के लिए अर्दला डैम पर जाना है।
ट्रैक्टर में ज्यादातर बच्चे और गांव की युवा महिलाएं सवार हुईं। जब वे अर्दला डैम की ओर बढ़ रहे थे, तब काकोड़ा गांव में ट्रैक्टर पंचर हो गया। इस समस्या को हल करने के लिए, गांव से एक किसान का ट्रैक्टर लिया गया और ट्रॉली में लगा दिया गया। इसके बाद वे डैम की ओर बढ़े।
दुर्घटना का कारण और उसके परिणाम
डैम के पाल पर जाने के बाद, वहां की गहराई को देखते हुए उन्होंने विसर्जन के लिए उपयुक्त स्थान नहीं पाया। उन्होंने बैकवाटर की तरफ मूर्ति ले जाने का फैसला किया, जो उन्हें जामलीखुर्द गांव में मिला। हालांकि, ट्रैक्टर के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं था, इसलिए उन्होंने दो किलोमीटर का फेर लगाकर ट्रैक्टर को जामली गांव की ओर ले जाने का निर्णय लिया।
जैसे ही वे बैकवाटर की ओर बढ़े, ड्राइवर ने ट्रैक्टर को न्यूट्रल कर दिया। लेकिन ढलान खत्म होते ही, ट्रैक्टर बेकाबू होकर पलट गया। पानी में पुलिया होने के कारण ट्रैक्टर अंसतुलित हो गया और ट्रॉली बैकवाटर में पलट गई। इस हादसे के समय ट्रैक्टर में लगभग 30 लोग सवार थे। कुछ लोग तैरकर बाहर आ गए, जबकि कई बच्चे ट्रॉली के नीचे दबकर डूब गए। कुल 11 शवों को बाहर निकाला गया।
हादसे के शिकार लोगों की पहचान
हादसे में मारे गए लोगों में कई रिश्तेदार शामिल थे। उर्मिला और किरण, दो सगी बहनें थीं, जो अपनी मौसी पातलीबाई के साथ दुर्गा विसर्जन के लिए गई थीं। इस दुर्घटना में मौसी की भी जान गई। इसके अलावा, आरती और शर्मिला नाम की भी दो सगी बहनें थीं, जो हादसे का शिकार हो गईं। यह हादसा न केवल परिवारों के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए एक बड़ा आघात है।
स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा की जिम्मेदारी
इस प्रकार की घटनाएँ समाज में सुरक्षा की कमी को उजागर करती हैं। स्थानीय प्रशासन को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। दुर्घटना के बाद, ग्रामीणों ने सुरक्षा उपायों की कमी और प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।
इस दुखद घटना ने न केवल परिवारों को प्रभावित किया है, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को यह सोचने पर मजबूर किया है कि हमें अपनी सुरक्षा और सावधानी के प्रति अधिक जागरूक होना होगा। दुर्गा विसर्जन जैसे धार्मिक आयोजनों को सुरक्षित और आनंददायक बनाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।
स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, स्थानीय प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। जरूरत इस बात की है कि हम एकजुट होकर सुरक्षा उपायों को मजबूत करें और धार्मिक आयोजनों को सुरक्षित बनाएं।