बसपा ने अनिल मिश्रा के खिलाफ राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा
मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने हाल ही में राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में पार्टी ने अनिल मिश्रा के खिलाफ डॉ. भीमराव अंबेडकर के संबंध में की गई अमर्यादित और भड़काऊ टिप्पणियों के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। यह मामला राज्य में राजनीतिक हलचल का कारण बन गया है, और बसपा ने इसे गंभीरता से लिया है।
अनिल मिश्रा की विवादास्पद टिप्पणी
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि अनिल मिश्रा ने “आचरण ग्वालियर पर लाइव” नामक कार्यक्रम के दौरान डॉ. भीमराव अंबेडकर के खिलाफ अत्यंत निंदनीय और अमर्यादित वक्तव्य दिए हैं। यह वीडियो कुलदीप धनवई की आईडी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। अनिल मिश्रा ने डॉ. अंबेडकर को “गंदा व्यक्ति” और “अग्रजों का गुलाम” बताया, साथ ही यह भी कहा कि उन्हें संविधान निर्माता न कहा जाए। यह बयान अंबेडकरवादी विचारधारा के अनुयायियों के लिए गहरी चोट पहुंचाने वाला है।
बसपा की प्रतिक्रिया और मांगें
बसपा ने अपने ज्ञापन में कहा है कि अनिल मिश्रा की टिप्पणियों ने देश और दुनिया भर के अंबेडकरवादी तथा संविधान प्रेमी लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाई है। पार्टी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का निर्माता, भारत रत्न, स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और सच्चे राष्ट्रभक्त के रूप में वर्णित किया है। उन्हें करोड़ों दलितों, पिछड़ों, गरीबों, महिलाओं और वंचित समाज के लिए मसीहा बताया गया है।
बसपा ने यह भी आशंका जताई है कि अनिल मिश्रा जैसे जातिवादी लोगों के माध्यम से विदेशी शक्तियां भारत में सांप्रदायिकता भड़काकर देश को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं। इस संदर्भ में, पार्टी ने मांग की है कि अनिल मिश्रा के खिलाफ आस्था को ठेस पहुंचाने और राष्ट्रद्रोह के तहत एफआईआर दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
राजनीतिक हलचल और जनभावना
इस विवाद ने मध्य प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को गर्म कर दिया है। बसपा ने अपने समर्थकों और अंबेडकरवादी विचारधारा के अनुयायियों से समर्थन जुटाने का प्रयास किया है। पार्टी का मानना है कि ऐसे बयान भारतीय समाज में नफरत फैलाने का काम करते हैं, और इससे समाज का ताना-बाना कमजोर होता है।
- अनिल मिश्रा के बयान ने अंबेडकरवादी विचारधारा के अनुयायियों में रोष पैदा किया है।
- बसपा ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है।
- पार्टी का मानना है कि जातिवादी टिप्पणियां समाज में विभाजन पैदा करती हैं।
- अनिल मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग राजनीतिक दलों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाती है।
समाज में अंबेडकर की भूमिका
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय समाज में समानता और न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे एक महान समाज सुधारक और संविधान निर्माता थे, जिन्होंने दलितों और अन्य वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उनके विचार और सिद्धांत आज भी समाज में प्रासंगिक हैं और उनके अनुयायी उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
बसपा द्वारा राष्ट्रपति को दिया गया ज्ञापन इस बात का संकेत है कि राजनीतिक दल डॉ. अंबेडकर की विचारधारा की रक्षा के लिए कितने गंभीर हैं। इस तरह के बयानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि समाज में समरसता और एकता बनी रहे।
निष्कर्ष
अंत में, यह मामला न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक मुद्दों का भी प्रतीक है। बसपा की मांगें और अनिल मिश्रा की टिप्पणियां दोनों ही समाज में गहरी छाप छोड़ने वाली हैं। इस तरह के विवादों से बचने के लिए सभी दलों को जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए और समाज में समरसता बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
जैसे-जैसे यह मामला आगे बढ़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और संबंधित संस्थाएं इस पर किस प्रकार की कार्रवाई करती हैं।
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