ग्वालियर आयोग का फैसला: बीमा कंपनी को 1.24 लाख रुपये चुकाने का आदेश
ग्वालियर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए केयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया है कि वह शिवम गुप्ता को 1 लाख 24 हजार 782 रुपये का भुगतान करे। आयोग ने इस मामले में स्पष्ट किया कि अस्पतालों में इलाज के दौरान डॉक्टरों का बदलता रहना सामान्य है, और इस कारण से रिपोर्ट और प्रिस्क्रिप्शन में भिन्नता अनिवार्य है।
2018 में ली गई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का मामला
शिवम गुप्ता ने वर्ष 2018 में स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ली थी। हाल ही में, 7 दिसंबर 2022 को गंभीर रूप से बीमार होने पर उन्हें जीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस दौरान उनके इलाज पर लगभग 1.24 लाख रुपये खर्च हुए। शिवम ने इलाज के बाद बीमा कंपनी में दावा पेश किया और सभी संबंधित दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। लेकिन बीमा कंपनी ने 27 जून 2023 को तकनीकी खामियों और रिपोर्ट की हैंडराइटिंग में अंतर का हवाला देते हुए उनके दावे को अस्वीकार कर दिया।
आयोग की सुनवाई और निर्णय
आयोग की सुनवाई के दौरान, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अस्पतालों में विभिन्न डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं और इस कारण से मेडिकल रिपोर्ट और प्रिस्क्रिप्शन की हैंडराइटिंग में भिन्नता होना स्वाभाविक है। आयोग ने कहा कि बीमा कंपनी के पास उपभोक्ता का दावा अस्वीकार करने का कोई वैध कारण नहीं है। इसके बाद, आयोग ने केयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया कि वह शिवम गुप्ता को 45 दिनों के भीतर 1 लाख 24 हजार 782 रुपये का भुगतान करे।
अतिरिक्त दंड और ब्याज का प्रावधान
यदि बीमा कंपनी तय की गई अवधि में राशि का भुगतान नहीं करती है, तो उसे इस पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा। इसके अलावा, मानसिक क्षति और वाद व्यय के लिए कंपनी को 2 हजार रुपये का अतिरिक्त भुगतान भी करना होगा। यह फैसला उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।
उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा
इस निर्णय ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि उपभोक्ता के अधिकारों का संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक है। बीमा कंपनियों को चाहिए कि वे अपने दावों के निपटारे में पारदर्शिता बरतें और किसी भी प्रकार की तकनीकी खामियों के कारण उपभोक्ताओं को हानि न पहुंचाएं। आयोग का यह निर्णय न केवल शिवम गुप्ता के लिए न्याय है, बल्कि यह अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी एक मिसाल पेश करता है।
निष्कर्ष
ग्वालियर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के इस निर्णय ने यह सिद्ध कर दिया है कि उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए और न्याय की उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए। बीमा कंपनियों को भी इस मामले से सीख लेनी चाहिए और उपभोक्ता हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस प्रकार के मामले उपभोक्ता न्याय प्रणाली की प्रभावशीलता को दर्शाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उपभोक्ताओं को उनके हक मिलें।
इस प्रकार के फैसले उपभोक्ताओं में विश्वास जगाते हैं और यह संदेश देते हैं कि जब वे किसी समस्या का सामना करते हैं, तो उन्हें न्याय मिलने की संभावना हमेशा बनी रहती है।