सीहोर में खाद की किल्लत: किसान रातभर जागने को मजबूर
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से हाल ही में सामने आई तस्वीरें किसानों की गंभीर समस्या को उजागर कर रही हैं। यहाँ के इछावर क्षेत्र में किसान खाद के लिए रातभर जागने को विवश हो रहे हैं। यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है, और राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा का भी गृहनगर है। ऐसे में यह स्थिति और भी चिंताजनक बन जाती है।
रातभर खाद के लिए इंतजार
सीहोर के इछावर और बोरदी की सोसायटियों में किसान कई दिनों से खाद के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें सोसायटी परिसर के बाहर रातभर रुकना पड़ रहा है। कई किसानों को तो पिछले **8 दिनों** से खाद नहीं मिली है, जबकि कुछ को केवल **2 या 3 दिन** बाद ही एक या दो बोरी खाद मिल पाई है।
किसान भूरा सिंह परमार ने कहा, “हम **8 दिन** से खाद के लिए परेशान हैं। मंत्री करण सिंह वर्मा से मेरा कहना है कि यदि खाद नहीं दी जानी है तो हमें सेलफास दे दें। मंत्री जी मंच से हमें अन्नदाता कहते हैं, लेकिन हमें अन्नदाता नहीं, अंधे दाता कहना चाहिए, क्योंकि हम आंख मूंदकर आपको वोट देते हैं।” एक और किसान रमेश ने बताया कि रातभर जागकर नंबर लगाने के बाद भी सभी किसानों को खाद मिल पाना सुनिश्चित नहीं है।
किसानों की समस्याएं और खाद की कमी
इछावर ब्लॉक के किसानों का कहना है कि खाद की भारी कमी हो गई है। किसानों को मजबूरी में रातभर जागकर अपने नंबर का इंतजार करना पड़ रहा है। कई किसान दो दिनों से इंतजार कर रहे हैं और सिर्फ रातभर बैठने के बाद ही उन्हें खाद मिलने की उम्मीद है। यह स्थिति किसानों के लिए अत्यंत कठिनाईपूर्ण है, क्योंकि उनकी फसलों के लिए खाद अत्यंत आवश्यक है।
जिले के कलेक्टर की प्रतिक्रिया
कलेक्टर बालागुरू के. ने जिले में खाद वितरण की स्थिति को लेकर कहा है कि आवश्यकतानुसार खाद की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने समय पर वितरण केंद्रों को खुलवाने की दिशा में भी कदम उठाने की बात की। इसके साथ ही खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए खाद दुकानों की नियमित जांच और कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टर ने यह भी कहा कि जिले के लिए आवंटित खाद का पूरा उठाव सुनिश्चित किया जाए।
किसानों की स्थिति पर चिंता
किसानों की इस समस्या पर विचार करते हुए यह स्पष्ट होता है कि खाद की कमी केवल सीहोर जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे मध्य प्रदेश में एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। किसानों का यह संघर्ष उनके आर्थिक भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यदि समय पर समाधान नहीं निकाला गया, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
किसानों की मांगें और सरकार की जिम्मेदारी
किसान नेताओं ने सरकार से मांग की है कि खाद की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। किसानों का कहना है कि अगर सरकार उनके लिए खाद की व्यवस्था नहीं कर सकती, तो उन्हें वैकल्पिक उपायों के तहत अन्य साधनों की पेशकश करनी चाहिए।
समाज की भूमिका
इस स्थिति में समाज का भी एक महत्वपूर्ण रोल है। स्थानीय स्तर पर किसानों को समर्थन देने के लिए सामुदायिक संगठनों और एनजीओ को आगे आना चाहिए। इससे न केवल किसानों को मदद मिलेगी, बल्कि उनकी आवाज को भी मजबूती मिलेगी।
निष्कर्ष
सीहोर जिले के किसानों की खाद की किल्लत एक गंभीर समस्या है, जो न केवल उनकी आजीविका को प्रभावित कर रही है, बल्कि कृषि की भविष्यवाणी पर भी सवाल उठाती है। सरकार और संबंधित अधिकारियों को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए। किसानों की मेहनत और उनके संघर्ष को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
अंत में, यह स्पष्ट है कि किसानों की समस्याओं का समाधान करना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर हिस्से को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा।