“Doctors: छतरपुर अस्पताल में काली पट्टी बांधकर किया इलाज, छिंदवाड़ा मामले में कार्रवाई का विरोध”



छतरपुर जिला अस्पताल में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन छतरपुर, मध्य प्रदेश: छतरपुर जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने बुधवार को काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन छिंदवाड़ा के शिशु…

“Doctors: छतरपुर अस्पताल में काली पट्टी बांधकर किया इलाज, छिंदवाड़ा मामले में कार्रवाई का विरोध”

छतरपुर जिला अस्पताल में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन

छतरपुर, मध्य प्रदेश: छतरपुर जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने बुधवार को काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन छिंदवाड़ा के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी पर हुई कार्रवाई के खिलाफ था। इस दौरान डॉक्टरों ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए मरीजों का इलाज भी जारी रखा, जिससे उनके प्रति जिम्मेदारी और समर्पण का संकेत मिलता है।

डॉ. प्रवीण सोनी के खिलाफ कार्रवाई को बताया अनुचित

डॉक्टरों का कहना है कि छिंदवाड़ा में डॉ. प्रवीण सोनी के खिलाफ एफआईआर और निलंबन की कार्रवाई पूरी तरह से अनुचित है। डॉ. नीरज द्विवेदी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि डॉक्टर का कार्य मरीज की बीमारी के अनुसार दवा देना होता है, न कि दवा की गुणवत्ता या उसके मिश्रण की जिम्मेदारी लेना। ऐसे में, इस तरह की कार्रवाई से चिकित्सकों के बीच भय का माहौल उत्पन्न हो रहा है।

यह मामला तब गरमा गया जब छिंदवाड़ा में 17 बच्चों की मौत हुई, जो कि जहरीली कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ पीने से हुई बताई गई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घटना पर सख्त रुख अपनाते हुए 4 अक्टूबर को कार्रवाई के आदेश दिए। इस आदेश के बाद एसपी अजय पांडे के नेतृत्व में डॉ. सोनी को गिरफ्तार किया गया और स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया। इसके साथ ही, खाद एवं औषधि प्रशासन ने डॉ. सोनी की पत्नी के नाम से संचालित मेडिकल स्टोर का लाइसेंस भी रद्द कर दिया।

डॉक्टरों की मांग: पुनर्विचार की अपील

डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे डॉ. प्रवीण सोनी पर की गई कार्रवाई पर पुनर्विचार करें। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद इस तरह की कार्रवाई से चिकित्सा जगत में एक असुरक्षा का माहौल बन रहा है। डॉक्टरों का यह भी कहना है कि इस तरह की घटनाएं चिकित्सकों को उनके कर्तव्यों का पालन करने से रोक सकती हैं।

क्या है ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप का मामला?

ज्ञातव्य है कि ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप के सेवन से हुई 17 बच्चों की मौत के मामले ने पूरे मध्य प्रदेश में हलचल मचा दी है। इस घटना के बाद से ही सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कफ सिरप का सेवन करने से बच्चों की हालत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका।

  • छिंदवाड़ा में 17 बच्चों की मौत का मामला
  • कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ के सेवन से हुई मौतें
  • मुख्यमंत्री द्वारा कार्रवाई के आदेश
  • डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी

निष्कर्ष

इस मामले ने न केवल छिंदवाड़ा बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में चिकित्सा क्षेत्र की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। डॉक्टरों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाई से न केवल उनके कामकाज में बाधा आएगी, बल्कि इससे मरीजों को भी नुकसान हो सकता है। इस स्थिति में, सभी की नजरें सरकार की अगली कार्रवाई पर हैं और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या चिकित्सा जगत में इस असुरक्षा के माहौल को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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