मध्य प्रदेश में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को कोर्ट में जवाब न देने पर नोटिस
मध्य प्रदेश की राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से अवमानना प्रकरणों में समय पर जवाब न पेश करने के कारणों का स्पष्टीकरण मांगा है। यह कदम सरकार द्वारा उठाया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अदालतों में लंबित मामलों का शीघ्र समाधान हो सके। मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अधिकारियों को अदालतों में समय पर जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा है, इस पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी होगी।
सरकार ने विभाग के 12 मुख्य अभियंताओं को विशेष पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें सभी पेंडिंग अवमानना मामलों की विस्तृत रिपोर्ट तय प्रारूप में जल्दी भेजनी होगी। इसके साथ ही, प्रत्येक प्रकरण में देरी की ठोस वजह भी बतानी होगी। इसके माध्यम से सरकार ने अधिकारियों को स्पष्ट संकेत दिया है कि कानूनी मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अवैध भुगतान मामलों में वसूली की जानकारी जरूरी
सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि जिन कर्मचारियों से अवैध भुगतान के मामलों में वसूली की जानी है, उनकी पूरी जानकारी संबंधित जिलों में पदस्थ अधिकारियों को भेजी जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वसूली की प्रक्रिया में कोई रुकावट न आए और सभी मामलों का समय पर निपटारा किया जा सके।
मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में लंबित भूमि अधिग्रहण और अवमानना प्रकरणों की स्थिति भी तत्काल भेजने के लिए कहा है। यह जानकारी आगामी सुनवाई में विभाग की ओर से प्रभावी जवाब पेश करने में सहायक सिद्ध होगी। इससे यह पता चलता है कि सरकार इन कानूनी मामलों को कितनी गंभीरता से ले रही है।
मुख्य अभियंताओं से रिट अपील और अवमानना की जानकारी मांगी गई
मुख्य अभियंता चंबल बेतवा कछार भोपाल, विद्युत और यांत्रिकी भोपाल, गंगा कछार रीवा, यमुना कछार ग्वालियर, बेनगंगा कछार सिवनी, नर्मदा ताप्ती कछार इंदौर, जल संसाधन विभाग उज्जैन, जल संसाधन विभाग नर्मदापुरम, राजघाट नहर परियोजना दतिया, बोधी भोपाल, धसान केन कछार सागर, बांध सुरक्षा जल संसाधन विभाग भोपाल को पत्र लिखकर कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे प्रकरणों के मामले में जानकारी प्रदान करें।
यह निर्देश स्पष्ट करता है कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए समय पर रिपोर्ट जमा करनी होगी, ताकि विभाग की छवि को नुकसान न पहुंचे।
राजस्व वसूली और न्यायालय के मामलों की स्थिति पर ध्यान
राजस्व वसूली के मामलों, रिट अपील से संबंधित केस और न्यायालय में चल रहे अवमानना के प्रकरणों की अपडेट स्थिति भी देने के लिए कहा गया है। अधिकारियों और कर्मचारियों से वसूली का ब्योरा, न्यायालय द्वारा दिए गए फैसलों के संबंध में स्पीकिंग आदेश संबंधी मामले और 30 सितंबर की स्थिति में दायर रिट और अवमानना प्रकरणों की संख्या भी मांगी गई है।
- राजस्व वसूली के मामलों की विस्तृत जानकारी
- रिट अपील से संबंधित मामलों का ब्योरा
- अवमानना के प्रकरणों की अद्यतन स्थिति
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि ये प्रकरण क्यों बढ़ रहे हैं और इनके निपटारे के लिए किए जाने वाले प्रयासों के बारे में भी जानकारी देने को कहा गया है। जल संसाधन विभाग के आला अफसरों ने इस मामले में मीटिंग के बाद हर जिले से अलग-अलग रिपोर्ट तलब की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इन मामलों को गंभीरता से ले रही है और अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाने का प्रयास कर रही है।
पिछले महीने भी चीफ इंजीनियरों को ऐसे ही मामलों में नोटिस जारी किए जा चुके हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि विभाग में सुधार की आवश्यकता है। सरकार का यह कदम यह दर्शाता है कि वह कानून के प्रति प्रतिबद्ध है और सभी मामलों का निपटारा समय पर करना चाहती है।
इस स्थिति से यह भी संकेत मिलता है कि विभाग में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं और अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाया जा रहा है। यह कदम न केवल कानूनी प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे विभाग की कार्यक्षमता भी बढ़ेगी।