दिल्ली एनसीआर: राजकीय मध्य विद्यालय पाटन की परेशानियाँ
दिल्ली एनसीआर के राजकीय मध्य विद्यालय पाटन के छात्र पिछले दस वर्षों से भवन की कमी के कारण बरामदे में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं। इस विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक कुल 645 विद्यार्थी नामांकित हैं। प्रतिदिन लगभग 80 से 85 प्रतिशत बच्चे विद्यालय में उपस्थित रहते हैं, लेकिन कमरों की कमी के कारण शिक्षण कार्य में लगातार बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं।
विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका भारती गुप्ता ने इस समस्या के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विद्यालय के नाम पर 1 एकड़ 3 डिसमिल जमीन उपलब्ध है, लेकिन पर्याप्त भवन का अभाव है। वर्तमान में स्कूल में केवल तीन कमरे हैं, जिसके कारण बच्चों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाना पड़ता है। बरामदे में न तो ब्लैकबोर्ड की सुविधा है और न ही बच्चों को कक्षा जैसी शिक्षण-सुविधाएँ मिल पाती हैं। इस स्थिति के कारण बच्चों की पढ़ाई में बाधा आ रही है।
शिक्षा विभाग की अनदेखी
प्रधानाध्यापिका ने कहा कि विद्यालय के भवन निर्माण के लिए विभाग को कई बार लिखित मांग भेजी गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस स्थिति ने बच्चों के शिक्षण कार्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने यह भी बताया कि बरामदे में पढ़ाई करने के कारण छात्रों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि मौसम के बदलते मिजाज से पढ़ाई में रुकावट और अन्य बाहरी कारकों का प्रभाव।
इस संबंध में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि विद्यालय का भौतिक सत्यापन कराया जाएगा। सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव विभाग को भेजा जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि विभाग इस मामले को गंभीरता से लेगा और जल्द ही इसे सुलझाने का प्रयास करेगा।
विद्यालय की स्थिति और बच्चों का भविष्य
राजकीय मध्य विद्यालय पाटन की यह स्थिति न केवल छात्रों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। बच्चे जब एक सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, तो उनका मानसिक विकास भी प्रभावित होता है। शिक्षा का यह महत्वपूर्ण चरण, जब बच्चे अपनी बुनियादी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्त वातावरण की आवश्यकता है।
- विद्यालय में केवल तीन कमरे होने के कारण शिक्षण कार्य में बाधाएँ।
- बरामदे में पढ़ाई करने से छात्रों को जलवायु और अन्य बाहरी कारकों का सामना करना पड़ता है।
- विद्यालय की भवन निर्माण की मांग को लेकर कई बार विभाग को पत्र भेजा गया।
- प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने भवन निर्माण के लिए सत्यापन की प्रक्रिया की जानकारी दी।
वर्तमान में, यह आवश्यक है कि शिक्षा विभाग इस समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल करे। बच्चों का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें किस प्रकार की शिक्षा और वातावरण प्रदान किया जाता है। अगर विद्यालय की यह स्थिति जल्द नहीं सुधारी गई, तो ये बच्चे अपनी शिक्षा में पीछे रह सकते हैं।
समुदाय के सदस्यों और अभिभावकों ने भी इस समस्या पर चिंता जताई है और उन्होंने स्थानीय प्रशासन से अपील की है कि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य के लिए बच्चों को आज की जरूरतों के अनुसार सुविधाएँ प्रदान करना आवश्यक है।
आशा है कि शिक्षा विभाग इस मुद्दे को गंभीरता से लेगा और जल्द ही विद्यालय के भवन निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा, जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षा और सुविधाएँ मिल सकें।





















