रायपुर में अवैध निर्माण कार्यों पर डॉ. राकेश गुप्ता की चिंता
रायपुर के प्रसिद्ध ईएनटी विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राकेश गुप्ता ने वन मंत्री को एक पत्र लिखकर कर्बला तालाब क्षेत्र में हो रहे अवैध और प्रतिबंधित निर्माण कार्यों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने अपने पत्र में उल्लेख किया कि छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी ने इस मामले में नगर निगम रायपुर के आयुक्त को स्पष्ट निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
डॉ. गुप्ता ने कहा कि स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, कर्बला तालाब के पास हाईएस्ट मीन फ्लड लेवल (HMFL) से 50 मीटर के भीतर पक्के निर्माण कार्य जैसे सीमेंट की दीवारें, रिटेनिंग वॉल और कंक्रीट कॉलम का निर्माण जारी है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये कार्य रायपुर नगर निगम के अधिकारियों के संरक्षण में हो रहे हैं, जो कि अत्यंत चिंताजनक है।
निर्माणाधीन कॉम्प्लेक्स द्वारा नई दीवार का निर्माण
पत्र में डॉ. गुप्ता ने यह भी बताया कि एक निर्माणाधीन कॉम्प्लेक्स के मालिक ने 50 मीटर के भीतर नई दीवार खड़ी कर दी है, जो कि वेटलैंड (प्रबंधन एवं संरक्षण) नियम, 2017 का उल्लंघन है। यह कार्य कर्बला तालाब की पारिस्थितिकी के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता है। उन्होंने 13 अक्टूबर 2025 को लिए गए निर्माण कार्यों के फोटो भी वन मंत्री को भेजे हैं, जो कि आदेशों की अवहेलना को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
डॉ. गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रकार के निर्माण कार्य न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं, बल्कि यह स्थानीय निवासियों की ज़िंदगी पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो इसका नकारात्मक प्रभाव पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की अनदेखी
डॉ. गुप्ता ने अपने पत्र में यह भी कहा कि यह स्थिति माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों की अवमानना है। 2017 में बी.के. बालाकृष्णन बनाम केरल राज्य के मामले में दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कलेक्टर रायपुर और नगर निगम आयुक्त पर वेटलैंड प्राधिकरण के आदेशों की खुलेआम अवहेलना का आरोप लगाया है।
उन्होंने इस स्थिति को प्रशासनिक अनुशासन का घोर उल्लंघन बताया और कहा कि इससे न केवल शासन की कार्यप्रणाली, बल्कि उसकी पर्यावरणीय प्रतिबद्धता पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगते हैं। यह स्थिति एक ऐसे समय में उत्पन्न हो रही है जब पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ रही है।
मंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग
डॉ. गुप्ता ने वन मंत्री से अपील की है कि वे इस मामले को गंभीरता से लेते हुए व्यक्तिगत रूप से संज्ञान में लें, ताकि छत्तीसगढ़ वेटलैंड प्राधिकरण के आदेशों की गरिमा बनी रहे और कर्बला तालाब सहित प्रदेश के अन्य जलाशयों का संरक्षण सुनिश्चित हो सके। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं होती है, तो यह संदेश जाएगा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर शासन की संवेदनशीलता केवल कागजों तक सीमित रह गई है।
इस पत्र के माध्यम से डॉ. गुप्ता ने न केवल स्थानीय निवासियों की चिंताओं को उठाया है, बल्कि उन्होंने प्रशासन की जिम्मेदारी को भी स्पष्ट किया है। उनका कहना है कि यदि हमें अपनी पर्यावरणीय धरोहर और जलाशयों को बचाना है, तो तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
आगे की राह
डॉ. गुप्ता की इस पहल से यह स्पष्ट हो जाता है कि पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस प्रकार की गतिविधियों पर नजर रखने की आवश्यकता है और प्रशासन को भी इन मुद्दों को गंभीरता से लेना चाहिए।
समाज में जागरूकता फैलाने के लिए यह आवश्यक है कि हम सभी मिलकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम उठाएं और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं। डॉ. गुप्ता की यह पहल निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है, जो अन्य नागरिकों को भी प्रेरित कर सकती है।