Custom Milling घोटाला: मिलर्स से सिंडिकेट ने वसूले 140 करोड़, टुटेजा मास्टरमाइंड; रोशन-ढेबर पर वसूली की जिम्मेदारी



कस्टम मिलिंग घोटाले में EOW की चार्जशीट, IAS अधिकारी और कारोबारी पर गंभीर आरोप छत्तीसगढ़ में चर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने…

Custom Milling घोटाला: मिलर्स से सिंडिकेट ने वसूले 140 करोड़, टुटेजा मास्टरमाइंड; रोशन-ढेबर पर वसूली की जिम्मेदारी

कस्टम मिलिंग घोटाले में EOW की चार्जशीट, IAS अधिकारी और कारोबारी पर गंभीर आरोप

छत्तीसगढ़ में चर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने सोमवार, **6 अक्टूबर 2023** को सेवानिवृत्त IAS अधिकारी **अनिल टुटेजा** और कारोबारी **अनवर ढेबर** के खिलाफ लगभग **1500 पन्नों** की चार्जशीट पेश की है। इस चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि टुटेजा और तत्कालीन अधिकारी **रोशन चंद्राकर** इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार हैं।

EOW ने अपनी चार्जशीट में यह स्पष्ट किया है कि यह घोटाला **वर्ष 2021-22** में शुरू हुआ था। उस समय, अनिल टुटेजा उद्योग विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे। इस घोटाले की शुरुआत एक बैठक में हुई, जिसमें कस्टम मिलिंग से जुड़ी अनियमितताओं की योजना बनाई गई थी। हालांकि, इस मामले में सभी आरोपों की जांच अभी भी जारी है और न्यायिक प्रक्रिया के दौरान सभी पक्षों को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलेगा।

कस्टम मिलिंग में अनियमितताओं की रूपरेखा

EOW की चार्जशीट में **अनिल टुटेजा** ने खरीफ विपणन वर्ष **2021-22** के लिए **104 लाख मैट्रिक टन** धान खरीदने का अनुमान प्रस्तुत किया। यह अनुमान उस समय के लिए था, जब **2020-21** में केवल **24 लाख मैट्रिक टन** का ही कोटा हासिल किया गया था। टुटेजा ने खाद्य सचिव को चावल का केंद्रीय कोटा मांगने के निर्देश दिए। इस योजना के तहत मिलरों को विशेष प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की योजना बनाई गई थी, ताकि अवैध वसूली की जा सके।

वसूली की रणनीति और दबाव

EOW के अनुसार, टुटेजा ने मार्कफेड में वसूली सुनिश्चित करने के लिए राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पर दबाव डाला। इसी दबाव के तहत तत्कालीन कोषाध्यक्ष **नरेश सोमानी** को हटाकर **रोशन चंद्राकर** को नियुक्त किया गया। चार्जशीट के अनुसार, रोशन ने पदभार संभालने के बाद राइस मिलर्स से वसूली का काम शुरू किया। जिन कारोबारियों ने पैसे देने से इनकार किया, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।

  • चार्जशीट के अनुसार, रोशन चंद्राकर ने वसूली के लिए **140 करोड़ रुपए** की अवैध वसूली की।
  • अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा ने पद का दुरुपयोग कर **22 करोड़ रुपए** कमीशन के रूप में वसूले।
  • जो कारोबारी विरोध कर रहे थे, उनके मिलों पर छापे मारे गए।

कमीशन का पैसा कैसे पहुंचता था?

EOW की चार्जशीट में यह खुलासा किया गया है कि कस्टम मिलिंग के कमीशन की वसूली **अनिल टुटेजा** और **अनवर ढेबर** के माध्यम से की जाती थी। इसके लिए **रोशन चंद्राकर** और शराब कारोबारी **सिद्धार्थ सिंघानिया** को जिम्मेदारी दी गई थी, जिन्होंने हर जिले में एजेंट नियुक्त किए। वसूली की रकम विभिन्न होटलों में लाई जाती थी और हर बार पैसे छिपाने के लिए जगह बदली जाती थी।

कमीशन का एक हिस्सा **कांग्रेस के राजीव भवन** में भेजा जाता था, जिसे पार्टी के कोषाध्यक्ष **रामगोपाल अग्रवाल** द्वारा लिया जाता था। यह पैसा बोरियों और कार्टून में भरकर भेजा जाता था, ताकि किसी को संदेह न हो। इस प्रकार से वसूली के लिए एक सुनियोजित योजना बनाई गई थी।

वसूली की योजना और मुख्यमंत्री निवास में बैठक

EOW के अनुसार, कस्टम मिलिंग घोटाले को अंजाम देने के लिए राइस मिलर्स एसोसिएशन में पदाधिकारियों का बदलाव किया गया। **रोशन चंद्राकर** को कोषाध्यक्ष नियुक्त कर अवैध वसूली की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके बाद मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक में प्रोत्साहन राशि को **40 से बढ़ाकर 120 रुपए** प्रति क्विंटल करने का निर्णय लिया गया। इसके पश्चात्, बेबीलॉन होटल में एक सम्मान समारोह आयोजित कर वसूली की गतिविधियों की शुरुआत की गई।

इस प्रक्रिया में टुटेजा के निर्देश पर रोशन चंद्राकर और **मनोज सोनी** ने प्रति क्विंटल **20 रुपए** की कमीशन वसूली शुरू की। यह पैसा पहले मार्कफेड के जिला अधिकारियों के पास जाता था, जो इसे ऊपर तक पहुंचाते थे।

अन्य विभागों में गड़बड़ी और राजनीतिक प्रभाव

EOW की चार्जशीट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कारोबारी अनवर ढेबर का सरकार में गहरा प्रभाव था। यह प्रभाव विभिन्न विभागों में भी देखने को मिला, जैसे **पीडब्ल्यूडी**, **वन विभाग**, और **बिजली विभाग**। अनवर ने कई काम करवाए और उनके बिना कई विभागों में कोई काम नहीं होता था। EOW अब इन विभागों में हुई गड़बड़ियों की भी जांच कर रही है।

शराब घोटाले में शामिल आरोपी **सिद्धार्थ सिंघानिया** भी कस्टम मिलिंग में वसूली करता था। यह काम उसे अनवर ढेबर ने सौंपा था।

विधानसभा में उठी आवाज

बीजेपी विधायक **शिवरतन शर्मा** ने 6 मार्च 2023 को विधानसभा में इस घोटाले का मुद्दा उठाया था। उन्होंने इस बात का खुलासा किया था कि कस्टम मिलिंग में प्रति टन **20 रुपए** की अवैध वसूली की जा रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि केवल उन्हीं राइस मिलर्स को भुगतान किया जाता है, जो वसूली की राशि देते हैं।

इस पर तत्कालीन मंत्री **मोहम्मद अकबर** ने विधायक से सबूत मांगे थे, जिसके बाद सदन में हंगामा हुआ। यह पूरी घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि कस्टम मिलिंग घोटाला कितना बड़ा और जटिल था। EOW की चार्जशीट इस घोटाले की गहराई को उजागर करती है और यह दर्शाती है कि किस प्रकार से सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार पनप रहा था।

इस मामले में आगे की कार्रवाई और न्यायिक प्रक्रिया का इंतजार किया जा रहा है, ताकि सभी दोषियों को उचित दंड मिल सके।

लेखक –

Recent Posts