आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.8% किया, लेकिन व्यापारिक चुनौतियाँ बनी रहेंगी
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार, 1 अक्टूबर को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि भारत पर लागू 50% अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अगले पीढ़ी के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार कुछ हद तक इन टैरिफ के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में मदद करेंगे।
मल्होत्रा ने कहा, “प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त को घोषित कई संरचनात्मक सुधारों के कार्यान्वयन, जिनमें जीएसटी का सरल बनाना शामिल है, से कुछ बाहरी चुनौतियों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने की उम्मीद है।” इसके बावजूद, उन्होंने चेताया कि व्यापार नीतियों में अनिश्चितता और वैश्विक वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव से बाहरी मांग पर असर पड़ सकता है।
जीडीपी वृद्धि का सकारात्मक अनुमान, लेकिन चुनौतियाँ बनी रहेंगी
आरबीआई के गवर्नर ने यह भी बताया कि इस वित्तीय वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान अब **6.8 प्रतिशत** किया गया है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है, हालांकि वैश्विक बाजारों में चल रही अनिश्चितताएँ और भू-राजनीतिक तनाव इस वृद्धि पर असर डाल सकते हैं।
एयूएम वेल्थ के संस्थापक अमित सूरी ने कहा, “जीडीपी वृद्धि में **6.8%** की वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाती है। जबकि महंगाई में गिरावट नीति की प्रभावशीलता का प्रमाण है। निवेशकों के लिए, स्थिर नीतिगत वातावरण सकारात्मक है, विशेषकर उन क्षेत्रों के लिए जो ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील हैं, जैसे रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल और बैंकिंग।”
- पिछले अनुमान से **6.5%** की वृद्धि की संशोधन, अब इसे **7%** पर अनुमानित किया गया है।
- तीसरे तिमाही में **6.4%** और चौथी तिमाही में **6.2%** की वृद्धि का अनुमान।
- अगले वर्ष की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान **6.4%** है।
- जोखिम संतुलित हैं, लेकिन वैश्विक चुनौतियाँ बनी रहेंगी।
आरबीआई ने नीति दरें स्थिर रखी, भविष्य की रणनीतियाँ भी साझा कीं
इस बीच, एमपीसी ने सर्वसम्मति से **रेपो दर** को **5.5 प्रतिशत** पर स्थिर रखने का निर्णय लिया और “तटस्थ” रुख बनाए रखा। इससे यह संकेत मिलता है कि आरबीआई मौजूदा आर्थिक स्थिति में स्थिरता बनाए रखना चाहता है।
गवर्नर ने कहा कि आरबीआई ने कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों की घोषणा की है, जो कि क्रेडिट के प्रवाह में सुधार, विदेशी मुद्रा प्रबंधन को सरल बनाने, भारतीय रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण और व्यापार में आसानी को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। ये उपाय भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने और निवेश को आकर्षित करने में मदद करेंगे।
निष्कर्ष
आरबीआई के ये कदम और उपाय भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। हालांकि, वैश्विक आर्थिक स्थिति की चुनौतियाँ और व्यापारिक अनिश्चितताएँ अभी भी एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बनी हुई हैं। ऐसे में, निवेशकों और उद्योग के लिए यह आवश्यक है कि वे इन परिवर्तनों का ध्यान रखें और अपने निर्णयों में संतुलन बनाए रखें।
अंत में, भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.8% की ओर बढ़ना एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इसके साथ ही वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए उचित रणनीतियों की आवश्यकता बनी रहेगी।