बिहार विधानसभा चुनाव: पवन सिंह और ज्योति सिंह के बीच बढ़ती दूरियां
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही पवन सिंह और ज्योति सिंह का विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। पवन सिंह ने हाल ही में कहा कि चूँकि चुनाव का समय नजदीक है, इसलिए ज्योति सिंह एक बार फिर उनसे टिकट के लिए संपर्क कर रही हैं। इस पर ज्योति ने पलटवार करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान वह खुद उनके पास क्यों आई थीं और उनकी मांग क्यों पूरी की गई थी।
यह विवाद तब और गहरा गया जब ज्योति सिंह लखनऊ में पवन सिंह से मिलने गईं, लेकिन वहां से वह रोते-रोते लौटीं। इस बयानों से यह स्पष्ट होता है कि दोनों के बीच दूरियां और बढ़ती जा रही हैं। हालांकि, भोजपुर में पवन सिंह के परिवार और गांववालों से बातचीत करने पर यह बात सामने आई है कि लोग चाहते हैं कि दोनों एक बार फिर एक हो जाएं।
पवन सिंह के लोकसभा चुनाव में समर्थन की दुआ
जिन क्षेत्रों से पवन सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ा, वहां के किन्नरों ने भी उनके और ज्योति के फिर से एक होने की दुआ मांगी है। उनके गांव जोकहरी के लोग भी इस विवाद को लेकर चिंतित हैं और चाहते हैं कि दोनों के बीच की दूरियां समाप्त हों।
पवन सिंह का पारिवारिक पृष्ठभूमि
पवन सिंह का जन्म **5 जनवरी 1986** को एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता सेंट्रल गवर्नमेंट के मालवाहक जहाज के कप्तान थे और काम के सिलसिले में कोलकाता में रहते थे। उनकी मां प्रतिमा सिंह आरा के पकड़ी में रहती हैं। पवन के दो बड़े भाई, रानू और गुड्डू सिंह हैं, जो आरा में ही रहते हैं। गुड्डू आरा के परशुराम स्कूल में शिक्षक हैं, जबकि रानू प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं।
पवन सिंह की बहन माला की शादी बक्सर जिले में हुई है। पवन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जोकहरी गांव में एक प्राइमरी स्कूल से की और आगे की पढ़ाई आदर्श जनता प्राथमिक सह माध्यमिक उच्च संस्कृत विद्यालय रूप चकिया से की। उन्होंने **2004** में बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड से 10वीं की परीक्षा पास की।
गायकी की शुरुआत और संघर्ष
पवन सिंह के चाचा अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि पवन को बचपन से ही गाने का शौक था। जब वह छोटे थे, तो कोलकाता में अपने चाचा के पास रहते थे। एक बार जब पवन गा रहे थे, तब उनके चाचा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें रियाज कराने का निर्णय लिया। धीरे-धीरे पवन ने गायकी में अपनी पहचान बनाई और अब वह राजनीति में भी सक्रिय हो गए हैं।
गांववालों की पवन सिंह के प्रति राय
गांव के पड़ोसी मुन्ना सिंह का कहना है कि पवन सिंह जब गांव आते हैं, तो बच्चों और युवाओं के साथ समय बिताते हैं। वे खेल से जुड़ी सामग्री भी बच्चों को उपलब्ध कराते हैं और हमेशा उनका हौसला बढ़ाते हैं। पवन सिंह का गांव में आना सभी के चेहरे पर खुशी लाता है।
गांव के 11 साल के बच्चे शिवम ने बताया कि पवन भइया के स्कूल में पढ़ाई करता है और उन्हें गर्व है कि वह हमारे गांव के भाई हैं। उनका कहना है कि पवन सिंह हमेशा बच्चों को प्रेरित करते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
धार्मिकता और समाज सेवा
जोकहरी गांव के काली माता मंदिर के पुजारी सत्य नारायण सिंह ने कहा कि पवन सिंह में त्याग और तपस्या की भावना है। वह बचपन में मंदिर में आकर भजन गाते थे। उनका एक भक्ति गाना ‘माई डोली चढ़ी चलली, सेवक घरवा’ काफी प्रसिद्ध है। जब भी पवन बिहार आते हैं, तो उनका घर भक्तिमय माहौल में बदल जाता है।
पवन सिंह की नेकदिली और विवाद
गांव के 70 साल के दिनेश सिंह ने कहा कि पवन सिंह दूसरों के लिए जीते हैं। वह हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे रहते हैं। पवन सिंह का विवाद ज्योति से जुड़ा है, लेकिन यह उनकी निजी जिंदगी का मामला है। दिनेश सिंह का मानना है कि पवन सिंह ने हमेशा समाज के लिए संघर्ष किया है और उसकी कोशिशें कभी व्यर्थ नहीं गई हैं।
इस प्रकार, पवन सिंह और ज्योति सिंह के बीच का विवाद न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इसने उनके समर्थकों और गांववालों को भी चिंतित कर दिया है। लोग चाहते हैं कि यह जोड़ी फिर से एक हो, ताकि उनके साथ-साथ गांव का माहौल भी खुशहाल हो सके।