बिहार में चुनावी माहौल: गौरा बौराम विधानसभा क्षेत्र की खासियतें
बिहार के दरभंगा जिले के दसरी गांव में रहने वाले रामप्रवेश ने 20 साल पहले के समय को याद करते हुए कहा, “इस इलाके में अपराधियों का खौफ था। न सड़के थीं, न बिजली। हम घर से बाहर निकलते हुए अपनी जेब में नाम और पते की पर्ची रखते थे, ताकि अगर किसी ने हत्या कर दी तो कम से कम लाश घर तक पहुँच जाए। आज नीतीश कुमार की वजह से ये इलाका शांत है।” यह बयान इस बात का संकेत है कि कैसे समय के साथ इस क्षेत्र में बदलाव आया है।
गौरा बौराम विधानसभा सीट पर 6 नवंबर को मतदान होना है, और यह सीट महागठबंधन के दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबले का साक्षी बनेगी। इस बार इस सीट पर महागठबंधन के उम्मीदवारों में VIP के मुकेश सहनी के भाई संतोष सहनी और RJD के अफजल अली खान शामिल हैं। इस चुनावी कड़ी में दोनों पार्टियों के बीच आपसी लड़ाई का फायदा भाजपा को हो सकता है, जिसने मौजूदा विधायक स्वर्णा सिंह के पति सुजीत कुमार को मैदान में उतारा है।
महागठबंधन की आपसी लड़ाई का असर
इस चुनाव में महागठबंधन के दो उम्मीदवारों के होने से वोटरों में कन्फ्यूजन देखा जा रहा है। आंतरिक लड़ाई का सीधा असर चुनाव परिणाम पर पड़ सकता है। यदि वोट बंटे, तो निश्चित तौर पर NDA को इसका लाभ मिल सकता है। मौजूदा विधायक स्वर्णा सिंह के खिलाफ लोगों में नाराजगी है, बावजूद इसके भाजपा के उम्मीदवार सतीश कुमार मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं।
गौरा बौराम के प्रमुख मुद्दों में बाढ़, शिक्षा, इलाज, रोजगार और पलायन शामिल हैं। किसानों को सम्मान निधि योजना और महिलाओं को 10,000 रुपये देने की योजना से भी NDA को फायदा मिलने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में 23% ब्राह्मण और 25% मुस्लिम वोटर हैं, जो हार-जीत का फैसला करते हैं।
गौरा बौराम विधानसभा क्षेत्र के पिछले चुनावों का विश्लेषण
गौरा बौराम सीट 2008 में परिसीमन के बाद बनी। 2010 में यहां हुए पहले चुनाव में JDU के डॉ. इजहार अहमद ने RJD के डॉ. महावीर प्रसाद को 10,602 वोटों से हराया था। 2015 में JDU ने RJD के साथ महागठबंधन बनाया और मदन सहनी को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने BJP के समर्थन वाले LJP के विनोद सहनी को 14,062 वोटों से हराया। 2020 में NDA के समर्थन से VIP की स्वर्णा सिंह ने RJD के अफजल अली खान को 7,280 वोटों से हराया।
स्वर्णा सिंह की खराब सेहत के कारण उनके पति सुजीत कुमार इस बार चुनावी मैदान में हैं। इसे लेकर स्थानीय लोगों में भी चर्चा है कि क्या सुजीत अपने पत्नी की जगह ले पाएंगे या नहीं।
स्थानीय लोगों की राय और चुनावी मुद्दे
गौरा बौराम के विभिन्न गांवों में जाकर स्थानीय लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि अधिकांश लोग महागठबंधन के दो उम्मीदवारों के बीच चुनावी विकल्प को लेकर कन्फ्यूज हैं। नाड़ी गांव में मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहम्मद शमीम ने कहा, “महागठबंधन के दो उम्मीदवार हैं, समझ नहीं आ रहा किसे वोट दें।” इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जैसे कि सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य।
बिरौल गांव के भोला भगत ने बताया कि यह इलाका बिहार में सबसे पिछड़ा है, जहां साल के 8 महीने पानी में डूबा रहता है। लोग अब जात-पात या धर्म की बजाय बुनियादी जरूरतों पर वोट देना चाहते हैं।
महागठबंधन में सहमति की कमी
जर्नलिस्ट अभिषेक झा ने बताया कि महागठबंधन में सहमति की कमी के कारण जीत मुश्किल हो सकती है। उन्होंने कहा, “अगर VIP और RJD में सहमति नहीं बनी, तो महागठबंधन कमजोर होगा और सुजीत कुमार मजबूत हो जाएंगे।” इस चुनाव में मुस्लिम और यादव वोटर्स की एकजुटता महत्वपूर्ण होगी।
तेजस्वी यादव ने भी इस पर अपनी राय दी और कहा कि “महागठबंधन के प्रत्याशी संतोष हैं।” इस पर अफजल अली का कहना था कि “मैं लालू यादव के आदेश पर चुनाव लड़ रहा हूं।”
उम्मीदवारों के मुद्दे
VIP के उम्मीदवार संतोष सहनी ने कहा, “यहां कई इलाकों में सड़क नहीं है और कुछ इलाके हमेशा पानी से डूबे रहते हैं।” वहीं भाजपा के उम्मीदवार सुजीत कुमार ने कहा कि उनकी प्राथमिकता शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार करना है।
गौरा बौराम विधानसभा क्षेत्र में इस बार का चुनाव कई नए मोड़ लेकर आया है। स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ महागठबंधन के भीतर आपसी लड़ाई का परिणाम इस चुनाव को विशेष बना सकता है। चुनावी माहौल में स्थानीय लोगों की राय और उनकी प्राथमिकताएं महत्वपूर्ण होंगी।






















