बिहार: दुलारचंद यादव की हत्या के बाद मोकामा में चुनावी समीकरण बदलने की संभावना
बिहार के मोकामा में बाहुबली दुलारचंद यादव की हत्या के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। 30 अक्टूबर</strong} को जनसुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के प्रचार के दौरान हुई इस हत्या ने न केवल स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव पर भी गहरा असर डालने की संभावना है।
दुलारचंद की शवयात्रा को एक समारोह की तरह आयोजित किया गया, जिसमें राजद के उम्मीदवार सूरजभान की पत्नी वीणा देवी भी शामिल थीं। शवयात्रा के दौरान, दुलारचंद के समर्थकों ने आक्रोशित होकर अनंत सिंह और भूमिहार समाज के खिलाफ नारेबाजी की। यह नारेबाजी उस समय तेज हो गई जब काफिला पंडारक पहुंचा। यहाँ पर भीड़ के बीच अनंत सिंह के खिलाफ गालियाँ दी गईं, जिससे राजनीतिक तनाव और बढ़ गया।
अनंत सिंह का प्रचार और गिरफ्तारी
दुलारचंद की हत्या के 72 घंटे बाद, अनंत सिंह ने मोकामा के बाजार में प्रचार करना शुरू कर दिया। लेकिन उनकी यह यात्रा खत्म नहीं हुई, क्योंकि उन्हें देर रात गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना ने लोगों में गहरी चिंता पैदा कर दी है कि क्या यह हत्या चुनावी परिणामों को प्रभावित करेगी।
मोकामा और बाढ़ के क्षेत्रों में हमारी टीम ने लोगों से बातचीत की और पता लगाया कि दुलारचंद यादव हत्या कांड का चुनाव पर क्या असर पड़ सकता है। इस चर्चा में चार प्रमुख बातें उभरकर सामने आईं:
- मोकामा में अगड़ा बनाम पिछड़ा की चर्चा तेज हो गई है।
- भूमिहार वोटिंग तेजी से अनंत सिंह के पक्ष में हो रही है।
- जनसुराज के उम्मीदवार को भावनात्मक समर्थन मिल रहा है।
- सबसे ज्यादा नुकसान सूरजभान की पत्नी वीणा देवी को हो रहा है।
भूमिहारों के बीच अनंत सिंह को लेकर चर्चा
मोकामा में भूमिहार समाज के बीच दो वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो में दुलारचंद यादव को अनंत सिंह के काफिले पर पत्थर फेंकते हुए देखा जा सकता है, जबकि दूसरे में शवयात्रा के दौरान भीड़ द्वारा गालियाँ दी जा रही हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि अनंत सिंह को जानबूझकर फंसाने का प्रयास किया जा रहा है।
किराना की दुकान चलाने वाले सुनील सिंह का कहना है, “अनंत सिंह को इस घटना में फंसाने का प्रयास किया गया है। दुलारचंद यादव को उनके अपने लोगों ने पैसे के लालच में मरवा दिया है।” मोकामा के वार्ड-3 के प्रिंस कुमार ने भी यही बात दोहराई और कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में अनंत सिंह का कोई हाथ नहीं है।
भूमिहार एकजुट हुए तो राजद को होगा नुकसान
27 वर्ष के ज्ञान प्रकाश का कहना है कि इस घटना के बाद अब क्षेत्र में ध्रुवीकरण हो रहा है। वह बताते हैं, “भूमिहारों को गालियाँ दी जा रही हैं और अब यही मुद्दा बन गया है।” विक्की कुमार का मानना है कि अब अनंत सिंह का वोट और मजबूत हो गया है।
इस दौरान, मोकामा में पहले मोल्दियार-शंकरवार टोला का मुद्दा था, लेकिन अब यह मुद्दा भूमिहार बनाम यादव में बदल गया है। ज्ञान प्रकाश का मानना है कि अब विकास के मुद्दे की बजाय जातिवाद की बात होने लगी है।
पिछड़े वोटरों का असर और अनंत सिंह की स्थिति
पिछड़े वर्ग के आकाश कुमार का कहना है कि इस बार विकास के नाम पर वोट पड़ेगा। ओबीसी, खासकर धानुक का वोट अब अनंत सिंह से शिफ्ट हो रहा है। उनका भरोसा अनंत सिंह पर कम हो रहा है।
करणजीत कुमार पासवान ने कहा कि इससे अनंत सिंह को फायदा-नुकसान दोनों होगा। उन्होंने बताया कि अनंत सिंह के विकास कार्यों में पिछड़े वर्ग को कम ध्यान दिया गया है।
अनंत सिंह का समर्थन और विरोध
हालांकि, कुछ लोग अनंत सिंह का समर्थन करते हैं। पप्पू पासवान का कहना है, “अनंत सिंह सबके नेता हैं। किसी पर भी आरोप लगाने का कोई मतलब नहीं है।” शिवनार के अमन का मानना है कि अनंत सिंह ने कभी अगड़ा-पिछड़ा नहीं किया है।
क्या होगा चुनावी समीकरण में बदलाव?
अगर अगड़ा बनाम पिछड़ा की बात करें तो मोकामा में 2.90 लाख वोटर्स हैं। भूमिहार वोटर्स की संख्या लगभग 30 प्रतिशत है। अगर ब्राह्मण और राजपूत को जोड़ दें, तो यह संख्या 40 प्रतिशत तक पहुँच जाती है।
इस प्रकार, मोकामा में आगामी विधानसभा चुनावों की दिशा में यह घटनाक्रम एक नया मोड़ ला सकता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि भूमिहार एकजुट होते हैं, तो इससे राजद के उम्मीदवार सूरजभान को भारी नुकसान हो सकता है।
अंत में, इस हत्या के बाद मोकामा में राजनीतिक दांव-पेंच के बीच चुनावी समीकरण बदलते दिख रहे हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटनाक्रम का चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ता है।






















