Bihar News: ‘BJP के एजेंट की तरह काम कर रहा Election आयोग’: मधेपुरा में पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने SIR प्रक्रिया पर उठाए सवाल



पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर उठाए सवाल पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा आयोजित स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर…

Bihar News: ‘BJP के एजेंट की तरह काम कर रहा Election आयोग’: मधेपुरा में पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने SIR प्रक्रिया पर उठाए सवाल

पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर उठाए सवाल

पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा आयोजित स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार से लगभग 3.84 करोड़ लोग रोजगार और अध्ययन के लिए बाहर जाते हैं। ऐसे में यह समझना आवश्यक है कि इस विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता क्यों पड़ी।

यादव ने कहा, “20 साल पहले भी SIR हुआ था, लेकिन तब यह एक लंबी प्रक्रिया थी। जब 6 महीने पहले ही वोटर लिस्ट की गहन जांच की जा चुकी थी, तो अचानक नई प्रक्रिया की आवश्यकता क्यों महसूस की गई?” उन्होंने यह भी बताया कि इस बार 69 लाख लोगों का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया, क्योंकि नाम काटने से पहले नोटिस देने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

मृत मतदाताओं और घुसपैठियों की पहचान पर सवाल

पप्पू यादव ने चुनाव आयोग से मांग की कि वह बूथ वाइज यह स्पष्ट करे कि कितने बांग्लादेशी, रोहिंग्या या नेपाल के घुसपैठियों की पहचान की गई है। इसके साथ ही उन्होंने 22 लाख मृत मतदाताओं की सूची जारी करने की भी बात की। यादव ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा की मदद करने के लिए एजेंट की तरह काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “यह गरीब मतदाताओं का अधिकार छीनने का प्रयास है, जो कि हमारे लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है।”

उन्होंने आगे कहा, “यदि SIR इतनी आवश्यक थी, तो इसे लोकसभा चुनाव से 2 साल पहले शुरू किया जाना चाहिए था, न कि चुनाव से 3 महीने पहले।” यादव ने चुनाव आयोग से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि बिहार में कितने रोहिंग्या, बांग्लादेशी, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए हैं।

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया पर सवाल

पप्पू यादव ने यह भी कहा कि “हमारे नेता राहुल गांधी लगातार SIR और चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग उनकी बातों का जवाब देने के बजाय हलफनामा मांग रहा है।” उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग यह हलफनामा देगा कि अब बिहार में कोई घुसपैठिया नहीं है?

यह स्थिति बिहार की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना रही है। चुनाव आयोग की प्रक्रिया और उसके द्वारा उठाए गए कदमों पर उठाए गए सवाल यह दर्शाते हैं कि राजनीतिक दलों के बीच मतदाता सूची को लेकर गंभीर मतभेद हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इन सवालों का किस प्रकार जवाब देता है और क्या यह प्रक्रिया आगामी चुनावों पर कोई प्रभाव डालती है।

समाज में बढ़ती आशंकाएं

पप्पू यादव के द्वारा उठाए गए सवाल न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह समाज में बढ़ती आशंकाओं को भी उजागर करते हैं। चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता है, ताकि लोकतंत्र की नींव मजबूत बनी रहे। जब मतदाता अपनी पहचान खोने का डर महसूस करते हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है।

इस संदर्भ में, पप्पू यादव ने यह भी कहा कि “हमारे लोकतंत्र को बचाने के लिए यह आवश्यक है कि हम सही जानकारी पर आधारित चुनावी प्रक्रिया का पालन करें।” उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे इस मुद्दे पर जागरूक रहें और अपने अधिकारों की रक्षा करें।

निष्कर्ष

पूर्णिया सांसद पप्पू यादव के द्वारा उठाए गए सवाल और चिंताएं दर्शाते हैं कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया को लेकर बिहार में गहरी असंतोष और आशंकाएं हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि चुनाव आयोग इन सवालों का जवाब दे और सुनिश्चित करे कि लोकतंत्र का हर नागरिक सुरक्षित और समर्थित महसूस करे।

चुनाव आयोग को चाहिए कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और अपनी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखे। ऐसा करने से ही हम एक मजबूत और स्वस्थ लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ सकेंगे।

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